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Showing posts from June, 2011

माँ

vidya ji has posted this post on her blog ''LOVE EVERYBODY ''.her blog's URL is -''http://sarapyar.blogspot.com'' माँ माँ शब्द दिल से कहते ही मानों हमारा सारे दुःख दूर हो जाते है | मानों हमें दुनिया का सुख मिल जाता है !" माँ " हमें सबसे जयादा प्यार करती है || माँ घर मे सबसे पहले उठती है / सबके लिय खाना आदि बनाती है / सबके जरुरत का ध्यान रखती है / समय समय पर सब का काम करती है माँ प्यार , दया और ममता की मूर्ति है ! माँ कभी अपने कर्तब्यो से मुह नाहे मोड़ती | वह घर मे सबको मिलकर रहना है | बच्चो के सुख को ही अपना सुख मानती है | वह कभी किसी से गुस्सा नही करती | कोई गलत बात बोले तो भी चुप ही रहती है | फिर भी उसका भला ही चाहती है | हमने भगवान को नही देखा | पर हम अपनी माँ में ही भगवान को देख सकते ह'' shikha kaushik
दुनिया की  रीत 1 दुनिया की रीत ही निराली है  किसी को फूलों का हार ,किसी को देती गाली है  अमीरों को झूक कर सलाम करती है  भूंखे  गरीब बच्चे की तरबूज चोरी पर जान ले लेती है  स्वार्थी ,मतलब से परिपूर्ण दुनिया हो रही है  दुःख-दर्द ,भावनाओं से विहीन,पैसों की गुलाम हो रही है  गरीबों की कहीं नहीं सुनवाई  ,अमीरों की बेवजह वाहवाही  गरीब जब सब तरफ से परेशान हो जातें हैं  तो विद्रोह पर उतर आते हैं चोरी,डकेती करने,गुंडे,मवाली बनने  के लिए मजबूर हो जातें हैं धर्म के नाम पर धर्म के ठेकेदार ,देश के नाम पर देश के कर्णधार  जब जनता और देश को लूट सकतें हैं  तो चोरी,डकेती करने पर सिर्फ गरीबों ही को क्यों सजा देते हैं  यह दोहरी रीति समझ नहीं आती  इंसानों में यह भेद की निराली नीति क्यों है निभाई जाती  गरीबों के जीवन में होतीं खुशियाँ कम हैं  जमाने द्वारा दिए उनको बहुत से गम हैं  पैसे को भगवान् मत बनाओ ,इंसानियत को अपनाओ  मतलब,अहम् ,स्वार्थ को भूलकर ,इंसान को गले लगाओ  अमीरी,गरीबी किस्मत की बात है ,उसको ...

माँ जो चाहे तुमसे प्यारे वही काम तुम करना.

जीवन में गर चाहो बढ़ना,     माँ की पूजा करना. माँ जो चाहे तुमसे प्यारे,   वही काम तुम करना. माँ के आशीर्वाद को पाकर,    जब तुम कहीं भी जाओगे. मनमाफिक हो काम तुम्हारा,     खुशियाँ सारी पाओगे. कोई काम करने से पहले माँ का कहा ही करना, माँ जो चाहे तुमसे प्यारे वही काम तुम करना. माँ ने ही सिखलाया हमको,     बड़ों की सेवा करना. करनी पड़े मदद किसी की,    कभी न पीछे हटना. करो सहायता यदि किसी की अहम् न इसका करना, माँ जो चाहे तुमसे प्यारे वही काम तुम करना.                    शालिनी कौशिक 
पीढ़ियों  का अंतराल  आजकल युवा पीढ़ी परयह इल्जाम लगाए जाते हैं की आजकल के युवा बुजुर्गों का आदर नहीं करते उनकी देखभाल नहीं करते उनको समय नहीं देते / यह एक सोचने वाली बात है /पुरानी पीढ़ी और एक नई पीढ़ी का अंतराल तो है /परन्तु क्या पुरानी पीढ़ी नए जमाने के साथ अपनी सोच ,अपनी आदतें अपना सहयोग कायम रखतीं हैं/हमारे जमाने का गुणगान करने की जगह नए जमाने में हो रहे बदलाव ,को अपनाएँ अपने बच्चों को आजकल के प्रतियोगी ,भाग-दौड़           वाली जिंदगी में कदम से कदम मिला कर चलने में  सहयोग करें/जो काम वो घर में रहकर आराम से कर सकतें हैं उसको करने में संकोच ना करें और ना ही अपना अहम् बीच में लायें /तो उनका समय भी अच्छे से बीतेगा और उनका मान अपने आप बढेगा /आजकल जिस तरह महंगाई दिन पर दिन बढ़ रही है उसमें एक ब्यक्ति की तनख्वा से ग्रहस्थी  चलाना नामुमकिन है तो पति-पत्नी  दोनों को ही बाहर काम करके अपनी ग्रहस्थी  चलाने की जिम्मेदारी उठानी पढती है /पहले नारी को केवल घर के कार्य ही करने होते थे /बाहर के कार्यों से उनको कोई मतलब नहीं होता था /ज्याद...

बूढ़े लोगों की समस्याएं बन गई हैं अब नाम चमकाने का ज़रिया

बूढ़े माँ बाप और लाचार इंसान हिंदी ब्लॉग जगत की चिंता का विषय हमेशा से हैं। 'प्यारी माँ' ब्लॉग हिंदी ब्लॉग जगत का पहला सामूहिक प्रयास है । इसके बाद दो चार और ब्लॉग भी इसी चिंता को लेकर खड़े हुए हैं और अब यह चिंता उन ब्लॉग्स पर भी देखी जा रही है , जो कि अब तक इस तरह के मुददों से कोई सरोकार ही नहीं रखते थे या फिर कम रखते थे। यह एक अच्छा लक्षण है लेकिन संकीर्णता और पक्षपात का आलम यह है कि किसी ने भी 'प्यारी माँ' ब्लॉग के रचनात्मक आंदोलन का जिक्र तक अपनी पोस्ट में न किया । हरेक अपने आप को ऐसे जाहिर कर रहा है जैसे कि इस मुददे को चर्चा मात्र उसके लेखन के कारण मिल रही है । यह एक ग़लत ट्रेंड है । वृद्धों के प्रति उपेक्षा एक गंभीर सामाजिक समस्या है। इसे महज़ क़ानून और क़ानूचियों के बल पर हल नहीं किया जा सकता । ब्लॉग पर विचार विमर्श किया जा सकता है लेकिन इसे हल करने के लिए हमें हक़ीक़त की दुनिया में काम करना होगा और सबको मिलकर करना होगा। जो लोग सबके साथ मिलकर सोचने तक के लिए तैयार नहीं हैं , वे इस समस्या पर लिख कर ख़ुद को मानवीयता के गुण के आवरण में लिपटा हुआ सा तो दिखा सकते हैं लेकिन ...

प्यारी माँ

प्यारी  माँ  दुनिया मैं सबसे न्यारी है मेरी माँ  बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ  भगवान् पर बहुत विस्वास करती है मेरी माँ  इसीलिए कैसी भी परिस्थिति मैं घबराती नहीं मेरी माँ  बिलकुल देवी-स्वरूपा है मेरी माँ  बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ  अपनी दिनचर्या ,अपने मैं ही ब्यस्त रहती है मेरी माँ  सबमे अच्छाई देखती ,कभी किसी की बुराई नहीं करती मेरी माँ  हमेशा अच्छी सीख ,अच्छे सस्कार देती है मेरी माँ  बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ  दिल मैं बहुत प्यार है पर जताती नहीं मेरी माँ  मन के भावों को शब्दों मैं ब्यक्त नहीं कर पाती मेरी माँ  इसीलिए गलतफमी की शिकार बन जाती है मेरी माँ  बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ  हमेशा सजीं संवरी,एक मनमोहक ब्यक्तित्व है मेरी माँ  अपनी सुंदरता का अभी भी बहुत ख्याल रखती है मेरी माँ  मेरे लिए तो मेरा आदर्श मेरी दुनिया है मेरी माँ  बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ  भगवान् हर जनम मैं इन्हें ही बनाए मेरी माँ  इतनी दीर्घायु दे की कभी ना बिछड़े मुझसे...

चिंताएं दूर करता है मां का प्यार

आज आपको एक ख़बर भी देंगे और एक ऐसी वेबसाइट से भी परिचित कराएंगे जो कि बहुत सी ऐसी जानकारियां अपने दामन में समेटे हुए है जो कि सभी औरतों के लिए और ख़ास तौर पर एक मां के लिए बहुत ज़रूरी हैं। ख़बर के नीचे दिये गये लिंक पर जाकर आप उस वेबसाइट को देख सकते हैं।  लंदन। यदि आपको लगता है कि मां का प्यार सिर्फ बच्चे को बिगड़ता है, तो आप गलत हैं। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि मां का प्यार बच्चे को भविष्य में तनाव और चिंताओं से निपटने में बहुत मददगार साबित होता है। ब्रिटिश अखबार डेली मेल के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया है कि बच्चों को मां का खूब प्यार मिलता है, वे जीवन में आगे चलकर अपने निजी संबंधों में सुरक्षा की भावना महसूस करते हैं। मां के साथ जिन बच्चों के संबंध प्रगाढ़ होते हैं, वे जीवन की मुश्किलों से बेहतर ढंग से निपट पाते हैं। नॉर्थ कैरोलीना स्थित ड्यूक यूनिवर्सिटी की डॉ. जोआन्ना मासेल्को और उनकी टीम ने यह अध्ययन किया है। उन्होंने अमेरिका के रोड्स आइलैंड में पिछली सदी के छठे दशक में किए गए एक अध्ययन को अपना आधार बनाया। इस अध्ययन में आठ महीने के 1000 बच्चों और उनकी माताओं के संबंधों...

बेसन की सोंधी रोटी

बेसन की सोंधी रोटी बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ याद आती है चौका बासन चिमटा फुँकनी जैसी माँ बान की खूर्रीं खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे आधी सोई आधी जागी थकी दुपहरी जैसी माँ चिड़ियों की चहकार में गूँजे राधा-मोहन अली-अली मुर्गे की आवाज़ से खुलती घर की कुंडी जैसी माँ बीवी बेटी बहन पड़ोसन थोड़ी थोड़ी सी सब में दिनभर एक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी माँ बाँट के अपना चेहरा माथा आँखें जाने कहाँ गईं फटे पुराने इक अलबम में चंचल लड़की जैसी माँ - निदा फ़ाज़ली [विवेक  जी ने अपने ब्लॉग पर यह पोस्ट प्रस्तुत की है .उनके ब्लॉग का url -'' http://vivj2000.blogspot.कॉम '' है .]                                                                            शिखा कौशिक 

मां कहना .....

मैंने अभी-अभी मां कहना सीखा है, और कोई शब्‍द मुंह से निकलता है न मेरी बोली कोई समझता है, सच मानो तो मां मेरी हमजोली है मेरे आंखों की भाषा को वह पढ़ लेती है, मेरे मौन को भी सुन लेती है मैने अभी-अभी ....।। मेरी भूख-प्‍यास का मुझसे पहले मां को पता चल जाता है, जब भी मैने मां की उंगली थामी है चलते से रूक जाती है मेरी ममता की मनुहार को आंचल में अपने छिपाती है माथे पे मेरे बुरी नज़र से बचने को काज़ल का टीका भी लगाती है मैने अभी - अभी ....।।

;हम सबकी माएं.

ये ऐसा बंधन है कभी टूट नहीं सकता , ये ऐसी दौलत है कोई लूट नहीं सकता , जीवन भर देती हम सबको दुआएं  हम सब की माएं ;हम सबकी माएं. वो अपना निवाला बच्चे  को दे देती , बदले में बच्चे  से भला माँ है क्या लेती ? अपने पर ले लेती वो सारी बलाएँ , हम सबकी माएं,हम सब की माएं  जो भटके कभी हम वो राह दिखाती, जीने का सलीका माँ ही तो सिखाती  ममता के मोती बच्चों पे लुटाएं , हम सबकी माएं.हम सबकी माएं . जो गोद में लेकर रोते को हँसाती; जो ऊँगली पकड़कर चलना है सिखाती , जो खुद जगती रहकर बच्चे को सुलाएं  हम सब की माएं ,हम सबकी माएं .                                                         शिखा कौशिक  http://shikhakaushik666.blogspot.com

एक नाकाम कोशिश माँ हर रात करती है

ये कहानी है एक औरत की.. हुई थी जो कुछ दिनों पहले हवस का शिकार॥ ये मुर्दा समाज कहता है... उसका जीना है बेकार ढकी है आज पूरे कपड़ों में फिर भी नग्न नजर आती है॥ ये पुरवाई भी अब नही सुहाती है ॥ देख खुद को आईने में... लजाती नहीं ..झल्लाती है॥ किया था वादा .. उसकी गली डोली ले आने का अब झांकता तक नहीं उस ओर ॥ कॉलेज में हर साल , इनाम उसके हाथों में समाते नहीं थे निष्कासित किया जा चुका है असर दूसरे बच्चो पर पड़ेगा..कहकर दो साल से टॉप कर रही थी ये तीसरा साल किताबों से खेल रही थी ॥ हर रात वह चिल्ला उठती है मारे डर के सो नहीं पाती है... माँ भाग कर आती है.... पोंछ उसका पसीना समझाती है उस डर से बाहर निकालती है पर क्या निकाल पाती है ?? एक नाकाम कोशिश माँ हर रात करती है॥ पानी डाल तन पर अपने वह रगडती हैं ज़ोरों से ... उसे दाग़ नजर आते हैं अपनी देह पर हर कहीं.... पूरा दम लगा के भी वह मिटा नहीं पाती ॥ सहेली उसकी सुख दुःख की संगी रास्ता भूल चुकी हैं घर का उसके ॥ माँ संग बाज़ार जाए तो फब्तियां लाश को मार डालती हैं फिर से एक...

माँ को शीश नवाना है.

होगा जब भगवान् से मिलना हमें यही तब कहना है, नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है. माँ ने ही सिखलाया हमको प्रभु को हर पल याद करो, मानव जीवन दिया है तुमको इसका धन्यवाद् करो. माँ से ही जाना है हमने क्या क्या तुमसे कहना है, नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है. जीवन की कठिनाइयों को गर तुम्हे पार कर जाना है , प्रभु के आगे काम के पहले बाद में सर ये झुकाना है. शिक्षा माँ की है ये हमको तुमको ही अपनाना है, नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है. माँ कहती है एक बार गर प्रभु के प्रिय बन जाओगे, इस धरती पर चहुँ दिशा में बेटा नाम कमाओगे. तुमसे मिलवाया है माँ ने इसीलिए ये कहना है, नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है.                शालिनी कौशिक  http://shalinikaushik2.blogspot.com