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डैड ने दिया तीन बच्चों को जन्म First Male Mother

जानकर चौंक जाएंगे कि तीन बच्चों के पिता 38 साल के थॉमस ने ही तीनों बच्चों को अपने गर्भ से जन्म दिया। वैसे तो यह माना जाता है कि पूरी दुनिया में 5 मेल मदर हैं, लेकिन कैमरे के सामने प्रेग्नेंसी से लेकर जन्म तक आने वाले थॉमस पहले मेल मदर हैं। दरअसल, अमेरिका में फीनिक्स के थॉमस का जन्म लड़की के रूप में हुआ था, लेकिन 20 साल की उम्र में उन्होंने अपना सेक्स चेंज करा लिया और लड़का बन गए। एक दिन मां बनने की इच्छा की वजह से उन्होंने फीमेल रिप्रडक्टिव ऑर्गन्स को हटवाया नहीं और इसी वजह से जेनेटिकली वह मां बन सके।
थॉमसे ने सेक्स चेंज कराने के बाद नैंसी से शादी की और एक अननोन स्पर्म डोनर की हेल्प से तीन बच्चों सुजैन, जेनसेन और ऑस्टिन को जन्म दिया। ऑस्टिन को जानवरों से बहुत प्यार है और वह अक्सर अपने डैड के घुटनों पर बैठकर उनकी कहानियां सुनती रहती है। थॉमस उसे यह भी बताते हैं कि वह इस दुनिया में कैसे आई। वह अपनी प्रेग्नेंसी की फोटो भी दिखाकर उसे बताते हैं कि वह किस तरह अपने डैड के पेट में थी। उसे यह रहस्य समझाने के लिए वह समुद्री घोड़े की भी कहानी सुनाते हैं कि वह किस तरह प्रेग्नेंट हो सकते हैं।
Source :  http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12173903.cms

Man who gave birth has a womb

Gender-realignment surgery raises interesting issues.

The world's first male mother: the American Thomas Beatie, right, pictured with wife Nancy and daughter Susan in 2008 - Man who gave birth has a womb
The world's first male mother: the American Thomas Beatie, right, pictured with wife Nancy and daughter Susan in 2008 Photo: PATRIK STOLLARZ/GETTY IMAGES

Comments

sangita said…
sarthak post hae .jankari bhi behad mahatva purna hae. mere blog par aapka svagat hae.
bahut intresting jankari hai...
holi ke dher sari shubh kamnaye ......
Ramakant Singh said…
WHAT CAN I SAY.
JUST WATCH MAA ON MY BLOG.
AAPAKI BHAWANA KO HRIDAY SE
SHAT SHAT PRANAM.

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माँ बाप की अहमियत और फ़ज़ीलत

मदर्स डे पर विशेष भेंट  इस्लाम में हुक़ूक़ुल ऐबाद की फ़ज़ीलत व अहमियत इंसानी मुआशरे में सबसे ज़्यादा अहम रुक्न ख़ानदान है और ख़ानदान में सबसे ज़्यादा अहमियत वालदैन की है। वालदैन के बाद उनसे मुताल्लिक़ अइज़्जा वा अक़रबा के हुक़ूक़ का दर्जा आता है डाक्टर मोहम्मद उमर फ़ारूक़ क़ुरैशी 1 जून, 2012 (उर्दू से तर्जुमा- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम) दुनिया के हर मज़हब व मिल्लत की तालीमात का ये मंशा रहा है कि इसके मानने वाले अमन व सलामती के साथ रहें ताकि इंसानी तरक़्क़ी के वसाइल को सही सिम्त में रख कर इंसानों की फ़लाहो बहबूद का काम यकसूई के साथ किया जाय। इस्लाम ने तमाम इंसानों के लिए ऐसे हुक़ूक़ का ताय्युन किया है जिनका अदा करना आसान है लेकिन उनकी अदायगी में ईसार व कुर्बानी ज़रूरी है। ये बात एक तरह का तर्बीयती निज़ाम है जिस पर अमल कर के एक इंसान ना सिर्फ ख़ुद ख़ुश रह सकता है बल्कि दूसरों के लिए भी बाइसे राहत बन सकता है। हुक़ूक़ की दो इक़्साम हैं । हुक़ूक़ुल्लाह और हुक़ूक़ुल ऐबाद। इस्लाम ने जिस क़दर ज़ोर हुक़ूक़ुल ऐबाद पर दिया है इससे ये अमर वाज़ेह हो जाता है कि इन हुक़ूक़ का कितना बुलंद मुक़ाम है और उनकी अ

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