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Showing posts from September, 2013

बेटी को इज़्ज़त दो, इज़्ज़त की ज़िन्दगी जीने के लिए

इस्लाम में औरत का मुकाम: एक झलक इस्लाम   को   लेकर   यह   गलतफहमी   है   और   फैलाई   जाती   है   कि   इस्लाम   में   औरत को   कमतर   समझा   जाता   है।   सच्चाई   इसके   उलट   है।   हम   इस्लाम   का   अध्ययन करें   तो   पता   चलता   है   कि   इस्लाम   ने   महिला   को   चौदह   सौ    साल   पहले   वह मुकाम   दिया   है   जो   आज   के   कानून   दां   भी   उसे   नहीं   दे   पाए। इस्लाम   में   औरत   के   मुकाम   की   एक   झलक   देखिए। जीने   का   अधिकार शायद   आपको   हैरत   हो   कि   इस्लाम   ने   साढ़े   चौदह   सौ   साल पहले   स्त्री   को   दुनिया   में   आने   के   साथ   ही   अधिकारों   की   शुरुआत   कर   दी   और   उसे जीने   का   अधिकार   दिया।   यकीन   ना   हो   तो   देखिए   कुरआन   की   यह   आयत - और   जब   जिन्दा   गाड़ी   गई   लड़की   से   पूछा   जाएगा ,  बता   तू   किस   अपराध   के कारण   मार   दी   गई ?"( कुरआन ,  81:8-9)   ) यही   नहीं   कुरआन   ने   उन   माता - पिता   को   भी   डांटा   जो   बेटी   के   पैदा   होने   पर अप्रसन्नता   व्यक्त   करते   हैं -   &#