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Showing posts from September, 2012

मूत्राशय प्रदाह (cystitis) का कुदरती घरेलू पदार्थों से उपचार.

    मूत्राशय में रोग-जीवाणुओं का संक्रमण होने से मूत्राषय प्रदाह रोग उत्पन्न होता है। निम्न मूत्र पथ के अन्य अंगों किडनी, यूरेटर और प्रोस्टेट ग्रंथि और योनि में भी संक्रमण का असर देखने में आता है।     इस रोग  के कई कष्टदायी लक्छण होते हैं जैसे-तीव्र गंध वाला पेशाब होना,पेशाब का रंग बदल जाना, मूत्र त्यागने में जलन और दर्द  अनुभव होना, कमजोरी मेहसूस होना,पेट में पीडा और शरीर में बुखार की हरारत रहना। हर समय मूत्र त्यागने की ईच्छा बनी रहती है। मूत्र पथ में जलन  बनी रहती है। मूत्राषय में सूजन आ जाती है।      यह रोग पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में ज्यादा देखने में आता है। इसका कारण यह है कि स्त्रियों की पेशाब नली (दो इंच) के बजाय पुरुषों की मूत्र नलिका ७ इंच लंबाई  की होती है। छोटी नलिका से होकर संक्रमण सरलता से मूत्राषय को आक्रांत कर लेता है। गर्भवती स्त्रियां और सेक्स-सक्रिय औरतों में मूत्राषय प्रदाह रोग अधिक पाया जाता है। रितु निवृत्त महिलाओं में भी यह रोग अधिक होता है।      इस रोग में मूत्र खुलकर नहीं होता है और जलन की वजह से रोगी पूरा पेशाब नहीं कर पाता है और मूत्राषय में

औरत की काया को ताउम्र सुंदर, सुडौल व स्वस्थ बनाए रखने के लिये सुंदर आयुर्वेदिक नुस्खा Sudol

Balweer Lodha मातृशक्ति के शरीर को ताउम्र सुंदर, सुडौल व स्वस्थ बनाए रखने के लिये सुंदर आयुर्वेदिक नुस्खा :- महिलाएँ प्रायः स्वभाव से ही भावुक होती हैं. ममता, प्यार, दया और सेवाभाव, ये सभी गुण उनमें जन्म से ही होते हैं. यही वे गुण हैं जिनके कारण 'मातृशक्ति' शादी के बंधन में बंधने के बाद पराए घर को भी अपनाकर स्वयं को दिन-रात उस परिवार की सेवा में लगा देती है. ऐसे में अधिकतर महिलाएँ अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाती हैं. ध्यान नहीं देने के कारण वे कई बार अपनी बीमारियों को छिपाए रखती हैं. इस तरह अंदर ही अंदर वे कमजोर होती जाती हैं. श्वेत-प्रदर, रक्त प्रदर, मासिक धर्म की अनियमितता, कमजोरी, सिरदर्द, कमरदर्द आदि ये सभी बीमारियाँ शरीर को स्वस्थ और सुडौल नहीं रहने देती हैं. इसलिए हम आपको ''स्वर्ण मालिनी'' वसंत नामक एक ऐसा आयुर्वेदिक नुस्खा बताने जा रहे हैं जो महिलाओं की हर तरह की कमजोरी को दूर करता है. (अ) ''स्वर्ण मालिनी'' वसंत बनाने हेतु आवश्यक आयुर्वेदिक सामग्री :-   १/ स्वर्ण भस्म या वर्क = 10 ग्राम २/ मोती पिष्टी = 20 ग्राम ३/ शुद

पांच महीने बाद सरहद पार मिला खोया बेटा

नोएडा। कार्यालय संवाददाता। अपने कलेजे के टूकड़े के लिए मां दर-दर भटकती रही, तीन महीने तक इधर-उधर बेटे के बारे में पूछती रही लेकिन बेटे का कुछ पता नहीं चला। दो महीने पहले जब बेटे ने मोबाइल से अपनी मां को फोन किया तो मां की ममता एक पल भी रहा नहीं जा सका। जब मां को पता चला कि बेटे ने भारत के मोबाइल नंबर से संपर्क किया है तो वह पासपोर्ट व वीजा बना सरहद पारकर भारत आ गई। इसके बाद वह दिल्ली फिर नोएडा पहुंची। नोएडा पुलिस ने उस मोबाइल नंबर के आधार पर बेटे को ढ़ढ निकाला। कोतवाली सेक्टर-20 पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर दिया है। इसके बाद कानूनी कार्रवाई कर उसे वापस बांग्लादेश भेज दिया जाएगा। जेसोर, बांग्लादेश निवासी अहमद अली (19) पांच महीने पहले हीरो होंडा कंपनी के ड्राइवर के साथ बैनापुर बॉर्डर होते हुए भारत आ गया था। कंटेनर के चालक ने उसे ड्राइवर की नौकरी देने की बात कही थी। रास्ते में अहमद को चालक का व्यवहार अच्छा नहीं लगा तो वह फरीदाबाद में उससे अलग हो गया। इसके बाद एक अजनबी की मदद से नोएडा पहुंचा और सेक्टर-10 स्थित सिग्नेचर स्टाफ कंपनी के कैंटीन में काम करने लगा। काम करने के तीन महीने के

ऐसे डालें Homework की आदत -Neelam Shukla

छोटे बच्चों में होमवर्क की आदत डालना टेढ़ी खीर है। कई बार अभिभावक इस गुमान में रहते हैं कि समय आने पर बच्चा खुद ही होमवर्क के प्रति संजीदा हो जाएगा। उनका ऐसा सोचना सरासर गलत है क्योंकि 3-4 साल की उम्र ही वो सही समय है जब बच्चे में दिनचर्या की दूसरी चीजें सिखाने के साथ उनमें होमवर्क करने की आदत भी डाली जा सकती हैं। आजकल छोटी कक्षाओं में भी सिलेबस बहुत ज्यादा है और होमवर्क का दवाब भी इतना अधिक है कि बच्चे को पढ़ाने के लिए मां-बाप को स्वयं पढऩा पढ़ता है। ऐसे में छोटी उम्र में ही होमवर्क करने की आदत डाली जाए तो बच्चे और माता पिता दोनों के लिए सुविधाजनक होता है। बच्चों में होमवर्क की आदत कैसे डेवलप की जाए इस बारे में बता रहे हैं मनोवैज्ञानिक डा.पुल्कित शर्मा- टाइम-टेबल जरूरी बच्चे में होमवर्क कराने की शुरुआत कर रही है तो सबसे पहले एक समय निर्धारित कर लें और रोज उसी टाइम में होमवर्क करवाने बैठें। छोटे बच्चों को होमवर्क में ड्राइंग में रंग भरना या अल्पाबेट लिखने जैसे काम मिलते हैं जो इनके लिहाज से काफी मुश्किल हैं। इसलिए उनके गलती करने पर भी उनको डांटे नहींबल्कि पेशेंस के साथ समझाएं।