बच्चों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुके वीडियोगेम माता-पिता भले ही बड़े लाड़ से उन्हें देते हों, लेकिन विशेषज्ञों और चिकित्सकों का मानना है कि यह उनकी स्वाभाविक मासूम सोच को खत्म कर उन्हें हिंसा की ओर प्रवृत्त कर रहे हैं। बच्चों को बेहतर भौतिक सुविधाओं से भरपूर जीवन देने के लिए दिन-रात पैसे कमाने में जुटे अभिभावक इस छोटी मगर बेहद जरूरी बात पर ध्यान ही नहीं देते। जब तक उन्हें यह बात समझ आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसके बारे में फोर्टिस अस्पताल की मनोविश्लेषक डॉक्टर वंदना प्रकाश ने बताया कि वीडियो गेम बच्चों की मासूमियत को खत्म कर रहे हैं। आजकल बनने वाले ज्यादातर वीडियोगेम में सिर्फ हिंसा और बदले की भावनाएं दिखाई जाती हैं। अनजाने में बच्चों वही सीखते हैं। वह कहती हैं, बच्चों के बीच सबसे मशहूर वीडियो गेम मारियो में भी हिंसा दिखाई जाती है। आजकल सीडी हो या इंटरनेट वीडियो गेम सभी की थीम हिंसा ही होती है। उसमें बच्चों को गोलियां चलाना और लोगों को मारना होता है। ऐसे में बच्चों को धीरे-धीरे इन बातों में कोई बुराई नजर नहीं आती। बच्चों के मनोविज्ञान पर काम करने वाले मनोविशलेषक डॉक्...
बस एक माँ है जो मुझ से कभी ख़फ़ा नहीं होती