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Showing posts from July, 2012

माँ देती बुलंदी की राह उसके रहमों-करम से .

माँ देती बुलंदी की राह उसके रहमों-करम से .      मिलती है हमको माँ  उसके रहमों-करम से   ; मिलती है माँ की गोद उसके रहमों-करम से . अहकाम में माँ के छिपी औलाद की नेकी ; ममता की मिलती छाँव उसके रहमों-करम से . तालीम दे जीने के वो काबिल है बनाती ; माँ करती राहनुमाई उसके रहमों-करम से . औलाद की ख्वाहिश को वो देती  है  तवज्जह ;  माँ दिलकुशा मोहसिन उसके रहमों-करम से . कुर्बानियां देती सदा औलाद की खातिर ; माँ करती परवरिश है उसके रहमों-करम से . तसव्वुर 'शालिनी' के अब भर रहे परवाज़ ; माँ देती बुलंदी की राह उसके रहमों-करम से .                                            शालिनी कौशिक                                                       [कौशल ] अहकाम -हुकुम ,राहनुमाई -पथप्रदर्शन ,दिलकुशा -बड़े दिलवाला ,मोहसिन -एहसान करने वाला ,तसव्वुर -कल्पना ,परवाज़ -उड़ान 

एक आवाज़ बीमार भ्रूण हत्या के खि़लाफ़

प्यारी बेटी अनम की याद में, जो जन्नत का फूल बन गई है. अनम हमारी बेटी का नाम है, जो कि 24 जून 2010 को पैदा हुई और सिर्फ़ 28 दिन हमारे पास रहकर 22 जुलाई 2010 को इस दुनिया से चली गई। वह ‘स्पाइना बायफ़िडा‘ की बीमारी से जूझ रही थी। उसकी बीमारी का पता डाक्टर मीनाक्षी राना ने उसकी पैदाइश से पहले ही लगा लिया था। अनम, जब 7 माह का एक भ्रूण ही थी, तभी डाक्टर ने यह सलाह दी थी कि इसे टर्मिनेट करा दीजिए क्योंकि इसकी रीढ़ की हड्डी ठीक नहीं है। इस भ्रूण की कमर पर एक ज़ख्म है। इसका असर इसके पैरों पर आएगा और इसके सिर की हड्डियों में भी कमी है। डाक्टर मीनाक्षी राना की जगह कोई दूसरा डाक्टर होता तो वह भी यही सलाह देता क्योंकि मेडिकल वर्ल्ड के माहिरों ने यही सही ठहराया है। एक सवाल तो यही है कि सही और ग़लत ठहराने का अधिकार उन्हें किसने दिया ? दूसरा सवाल यह है कि क्या बीमार भ्रूणों को टर्मिनेट कर देने का उनका फ़ैसला ठीक होता है ? पैदा होने के बाद जो लोग बीमार और ज़ख्मी हो जाते हैं या जिंदगी भर के लिए विकलांग हो जाते हैं, क्या उन्हें दुनिया से ‘टर्मिनेट‘ कर दिया जाता है ? अगर एक मुकम्मल इंसान अपाहिज होने के बावज

अपने सपने जरूर पूरे करें -इंदिरा नूयी

मेरी 12 साल की बेटी ने मुझसे कहा, ‘मां, आप अपने सपने पूरे करो। मैं आपके साथ हूं।’ आज भी उसके शब्द मेरे कानों में गूंजते हैं। मैं आप सबसे कहती हूं कि अपने सपने पूरे करने की कोशिश जरूर कीजिए। गलतियों से सबक लें और काम के प्रति पूरी तरह समर्पित रहें। उनकी गिनती अमेरिका की सबसे सफल महिलाओं में होती है। वह दुनिया के सबसे कामयाब प्रोफेशनल्स में से एक हैं। पेप्सिको की सर्वेसर्वा इंदिरा नूयी ने अपनी इस कामयाबी की प्रेरणा अपने जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं से ही ली है। यहां पेश है उनका एक संवाद, जिसमें उन्होंने अपनी कामयाबी की राह के बारे में बताया है। मैं आप सबसे कहती हूं कि सपने देखें और उन्हें पूरे करने की कोशिश करें। मेरी बेटी जब 12 साल की थी, तो उसके स्कूल में हर महीने के पहले बुधवार को एक कार्यक्रम (कॉफी क्लास) होता था। इस कार्यक्रम में बच्चों की मां को बुलाया जाता था। जाहिर है, वर्किंग डे में सुबह ऑफिस की बजाय बेटी के स्कूल जाना मेरे लिए मुश्किल होता था। काफी व्यस्त होने के कारण मैं बेटी के स्कूल नहीं जा पाती थी और इसे लेकर मेरे अंदर एक अपराध बोध था। मैं अंदर ही अ

अपनी लड़कियों को हमेशा हिफ़ाज़त मुहैय्या कराएं

पहले लड़कियों को उनकी हिफाज़त की गर्ज़ से घर में रखा जाता था और जब वे घर से बाहर जाती थीं तो उनकी हिफाज़त के लिए घर का कोई न कोई सदस्य भी उनके साथ जाता था . आज लड़कियों और औरतों के लिए खतरे पहले से ज़्यादा बढ़ गए हैं और उनकी हिफ़ाज़त  का परम्परागत कवच भी आज उन्हें मयस्सर  नहीं है. अपनी लड़कियों को हमेशा हिफ़ाज़त मुहैय्या कराएं. दरिन्दे जान पहचान के दायरे में भी होते हैं।. देखिये एक ताज़ा घटना और सबक़  हासिल कीजिये- ब्लू फिल्म देखते हुए दो नाबालिगों के साथ 5 लोग सारी रात करते रहे रेप नागपुर. हुडकेश्वर क्षेत्र में पांच लोगों पर दो नाबालिग लड़कियों के साथ पूरी रात गैंगरेप करने का आरोप लगा है। ये पांचों रात भर ब्लू फिल्म देखते रहे और बारी-बारी से लड़कियों को हवस का शिकार बनाते रहे। एक लड़की की उम्र 12 और दूसरी की 14 वर्ष बताई गई है। पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपियों ने रविवार की रात 9 बजे से सोमवार की सुबह 5 बजे तक स्वागत नगर में एक आरोपी के घर में वारदात को अंजाम दिया। उस घर में कोई नहीं था। पांच आरोपियों में से एक के कहने पर दोनों लड़कियां उसके साथ स्वागत नगर गई थीं