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Showing posts from April, 2012

मां The Mother (Urdu Poetry Part 3)

सर झुकाए ग़मज़दा बच्चा इधर आया नज़र दौड़ कर बच्चे को घर में ख़ुद बुला लाती है मां हर तरफ़ ख़तरा ही ख़तरा हो तो अपने लाल को रख के इक संदूक़ में दरया को दे आती है मां दर नया दीवार में बनता है इस्तक़बाल को ख़ाना ए काबा के जब नज़्दीक आ जाती है मां लेने आते हैं जो मौलाना इजाज़त अक्द की घर में जाती है कभी आंगन में आ जाती है मां शोर होता है मुबारकबाद का जब हर तरफ़ बेतहाशा शुक्र के सज्दे में गिर जाती है मां पोंछ कर आंसू दुपट्टे से, छुपा कर दर्द को ले के इक तूफ़ान बेटी से लिपट जाती है मां चूम कर माथाा, कभी सर और कभी कभी देकर दुआ कुछ उसूले ज़िंदगी बेटी को समझाती है मां होते ही बेटी के रूख्सत मामता के जोश में अपनी बेटी की सहेली से लिपट जाती है मां छोड़ कर घर बार जो सुसराल में रहने लगे अपने उस बेटे की सूरत को तरस जाती है मां करके शादी दूसरी हो जाए जो शौहर अलग ख़ूं की इक इक बूंद बच्चों को पिला जाती है मां छीन ले शौहर जो बच्चे, दे के बीवी को तलाक़ हाथ ख़ाली, गोद ख़ाली हाय रह जाती है मां सुबह दर्ज़ी लाएगा कपड़े तुम्हारे वास्ते ईद की शब बच्चों को ये कह के बहलाती है मां मर्तबा मां का ज़माना देख ले पेशे ख़ुदा इस ल

शादी के लिए होती है महिलाओं की खरीद-फरोख्त Women as animal

शादी के लिए होती है महिलाओं की खरीद-फरोख्त जयपुर।। राजस्थान में महिलाओं की खरीद-फरोख्त करने वाले मानव तस्कर किस हद तक सक्रिय हैं, इसका बड़ा खुलासा हुआ है। पाली के 47 वर्षीय गोरधन लाल ने 3 महीने के अंदर 3 शादियां कीं, लेकिन उनकी तीनों ही दुल्हन छोड़ कर भाग गईं। जीवन बसाने की कोशिश में उन्होंने मानव तस्करी करने वाले गैंग का सहारा लिया था। उन्होंने तीनों शादियों के लिए गैंग को करीब ढाई लाख रुपये दिए। पिछले 3 महीने में उन्होंने मानव तस्करी करने वाले गिरोह से 3 बार महिलाएं खरीदीं। शादी के कुछ दिन बाद ही तीनों गोरधन को छोड़ कर भाग गईं। पिछले हफ्ते ही तीसरी वाली महिला जब भागी तो उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने ट्रेस कर रविवार को उस महिला को अजमेर से बरामद कर लिया और लाकर गोरधन लाल को सौंप दिया, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी को अपनाने से इनकार कर दिया। गोरधन लाल ने पाली के इंडस्ट्रीयल एरिया पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करवाई है कि पुलिस उस गैंग के खिलाफ कार्रवाई करे, जिसने उन्हें महाराष्ट्र से लाकर इस महिला को बेचा था। इंस्पेक्टर जगत सिंह ने बताया कि गोरधन लाल प्र

सूर्यास्त

मैं धरा हूँ रात्रि के गहन तिमिर के बाद भोर की बेला में जब तुम्हारे उदित होने का समय आता है मैं बहुत आल्हादित उल्लसित हो तुम्हारे शुभागमन के लिए पलक पाँवड़े बिछा अपने रोम रोम में निबद्ध अंकुरों को कुसुमित पल्लवित कर तुम्हारा स्वागत करती हूँ ! तुम्हारे बाल रूप को अपनी धानी चूनर में लपेट तुम्हारे उजले ओजस्वी मुख को अपनी हथेलियों में समेट बार बार चूमती हूँ और तुम्हें फलने फूलने का आशीर्वाद देती हूँ ! लेकिन तुम मेरे प्यार और आशीर्वाद की अवहेलना कर अपने शौर्य और शक्ति के मद में चूर गर्वोन्नत हो मुझे ही जला कर भस्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ते ! दिन चढ़ने के साथ-साथ तुम्हारा यह रूप और प्रखर, और प्रचंड, रौद्र और विप्लवकारी होता जाता है ! लेकिन एक समय के बाद जैसे हर मदांध आतातायी का अवसान होता है ! संध्या के आगमन की दस्तक के साथ तुम्हारा भी यह रौरवकारी आक्रामक रूप अवसान की ओर उन्मुख होने लगता है और तुम थके हारे निस्तेज विवर्ण मुख पुन: मेरे आँचल में अपना आश्रय ढूँढने लगते हो ! मैं धरा हूँ ! संसार के न जाने कितने कल्मष को

कम आयु में विवाह करना ही है बेहतर विकल्प !!

एक समय था जब बच्चों के विवाह संबंधी लगभग सभी फैसले परिवार के बड़े और उनके माता-पिता अपनी सूझबूझ से ले लिया करते थे. बच्चों का विवाह किस उम्र में किया जाना चाहिए और उनके लिए कैसा जीवनसाथी उपयुक्त रहेगा आदि जैसे महत्वपूर्ण निर्णय परिवार वालों पर ही निर्भर होते थे. पढ़ाई और व्यक्तिगत इच्छाओं को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी और ना ही वर-वधु के आयु को महत्व दिया जाता था. जिसके परिणामस्वरूप कम आयु में ही उन्हें विवाह और बच्चों की जिम्मेदारी निभानी पड़ती थी. लेकिन अब समय पूरी तरह बदल चुका है, क्योंकि अब ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाएं भी कॅरियर के प्रति संजीदगी बरतने लगी हैं. उनके लिए पढ़ाई और कॅरियर दोनों समान महत्व रखते हैं. हालांकि आधुनिक होती मानसिकता के अंतर्गत व्यक्तिगत अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरी अहमियत दी जाने लगी है, जिसके परिणामस्वरूप अभिभावक भी अपने बच्चों को जल्दी विवाह करने के लिए बाध्य नहीं करते. लेकिन अगर एक नए अध्ययन की मानें तो वे लोग जो सही उम्र में विवाह नहीं करते उन्हें अपने आगामी वैवाहिक जीवन में विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. भावनाएं नहीं

बाप रे बाप, 600 बच्चों का एक बाप!

अपने पिता बर्टोल्ड वाइजनर की तस्वीर के साथ बैरी स्टीवंस। (साभार: डेली मेल) पीटीआई ।। लंदन/  हाल ही में  ऐसी खबरें सामने आई हैं कि ब्रिटेन के एक जानेमाने वैज्ञानिक करीब 600 बच्चों के पिता थे। इन सभी बच्चों का जन्म 1940-60 के बीच हुआ था। बर्टोल्ड वाइजनर का लंदन में एक क्लिनिक था। इस क्लिनिक की मदद से महिलाओं ने 2 दशकों में लगभग 1,500 बच्चों को जन्म दिया। बर्टोल्ड ने इनमें से करीब 600 बच्चों के लिए खुद अपने स्पर्म डोनेट किए थे।  अगर यह खबर सही है तो बर्टोल्ड ने इस तरह पिता बनने का पिछला रेकॉर्ड तोड़ दिया है। इसके पहले यह रेकॉर्ड एक अज्ञात अमेरिकन के नाम था जिसके बारे में माना जाता है कि उसने स्पर्म डोनेशन के जरिए 150 बच्चों के जन्म में मदद की थी।  Source :   http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12581494.cms  अखबार डेली मेल के मुताबिक यह सनसनीखेज दावा इसी क्लिनिक में जन्म लेने वाले 2 लोगों ने किया है। ये हैं कनाडा के डॉक्युमेंटरी बनाने वाले बैरी स्टीवंस और लंदन में रहने वाले वकील डेविड गोलैंज। ये दोनों भी बर्टोल्ड के ही स्पर्म से पैदा होने वाले बच्चे हैं।

वालिदैन (मां बाप)

मां बाप हैं अल्लाह की बख्शी हुई नेमत मिल जाएं जो पीरी में तो मिल सकती है जन्नत लाज़िम है ये हम पर कि करें उन की इताअत जो हुक्म दें हम को वो बजा लाएं उसी वक्त हम को वो कभी डांट दें हम सर को झुका लें नज़रें हों झुकी और चेहरे पे नदामत खि़दमत में कमी उन की कभी होने न पाए है दोनों जहां में यही मिफ़्ताहे सआदत भूले से भी दिल उन का कभी दुखने न पाए दिल उन का दुखाया तो समझ लो कि है आफ़त मां बाप को रखोगे हमा वक़्त अगर ख़ुश अल्लाह भी ख़ुश होगा, संवर जाएगी क़िस्मत फ़ज़्लुर्रहमान महमूद शैख़ जामिया इस्लामिया सनाबल, नई दिल्ली शब्दार्थः पीरी-बुढ़ापा, नदामत-शर्मिंदगी, इताअत-आज्ञापालन, खि़दमत-सेवा, मिफ़्ताहे सआदत-कल्याण की कुंजी, हमा वक़्त-हर समय राष्ट्रीय सहारा उर्दू दिनांक 1 अप्रैल 2012 उमंग पृ. 3