ओस्लो।।  नॉर्व में रहने   वाला   एक   इंडियन   कपल   वहां के अजीब   कायदे   कानूनों   की   वजह   से   अपने   बच्चों   से  8  महीनों   से   मिल   नहीं   पा   रहा   है।   सरकारी   की   चली   तो   वे   बच्चों   के  18  साल   का   होने   तक   उनसे   साल   में   सिर्फ   दो   बार   एक  -  एक   घंटे   के   लिए   ही   मिल   पाएंगे।   इंडियन   कपल   अनुरूप   और   सागरिका   भट्टाचार्य   का   जुर्म   है   कि   वे   अपने   तीन   साल   के   बेटे   और   एक   साल   की   बेटी   को   गोद   में   बिठाकर   हाथों   से   खाना   खिलाते   हैं   और   अपने   साथ   ही   बिस्तर   पर   सुलाते   हैं।
 
बच्चों को मई 2011 में नॉर्वे चाइल्ड प्रोटेक्शन सर्विस ने उनके पैरंट्स से अलग कर दिया है। बच्चों के बिना दोनों की हालत खराब है , भारत सरकार ने इस मामले में नॉर्वे के अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
 
बच्चों के पिता अनुरूप का कहना था कि हमने अधिकारियों से कहा कि यह पूरी तरह से संस्कृति पर आधारित मसला है। हम बच्चों को रात में दूसरे कमरे छोड़कर गुडनाइट कह कर सोने नहीं जा सकते। बच्चों को अपने हाथ से खिलाना भारत में आम बात है। चम्मच से खिलाते समय अक्सर देखा गया है कि मां बच्चों को ज्यादा खाना खिला देती है। लेकिन हम से कहा गया कि हम हाथ से जबर्दस्ती खाना बच्चों के मुंह में डाल रहे थे। सागरिक का कहना था कि मेरा बेटा मेरे पति के साथ सो रहा था। उन्होंने कहा कि बेटे को अलग सोना चाहिए।
 
नॉर्वे की चाइल्ड प्रोटेक्टिव सर्विस की सख्ती की दुनिया भर में काफी आलोचना होती है। संयुक्त राष्ट्र अपनी रिपोर्ट में भी इसका जिक्र कर चुका है। बहरहाल , बच्चों के माता - पिता का वीजा मार्च में खत्म हो रहा है लेकिन उन्हें मजबूरन बच्चों के लिए नॉर्वे में रहना पड़ेगा।
Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11558566.cms
बच्चों को मई 2011 में नॉर्वे चाइल्ड प्रोटेक्शन सर्विस ने उनके पैरंट्स से अलग कर दिया है। बच्चों के बिना दोनों की हालत खराब है , भारत सरकार ने इस मामले में नॉर्वे के अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
बच्चों के पिता अनुरूप का कहना था कि हमने अधिकारियों से कहा कि यह पूरी तरह से संस्कृति पर आधारित मसला है। हम बच्चों को रात में दूसरे कमरे छोड़कर गुडनाइट कह कर सोने नहीं जा सकते। बच्चों को अपने हाथ से खिलाना भारत में आम बात है। चम्मच से खिलाते समय अक्सर देखा गया है कि मां बच्चों को ज्यादा खाना खिला देती है। लेकिन हम से कहा गया कि हम हाथ से जबर्दस्ती खाना बच्चों के मुंह में डाल रहे थे। सागरिक का कहना था कि मेरा बेटा मेरे पति के साथ सो रहा था। उन्होंने कहा कि बेटे को अलग सोना चाहिए।
नॉर्वे की चाइल्ड प्रोटेक्टिव सर्विस की सख्ती की दुनिया भर में काफी आलोचना होती है। संयुक्त राष्ट्र अपनी रिपोर्ट में भी इसका जिक्र कर चुका है। बहरहाल , बच्चों के माता - पिता का वीजा मार्च में खत्म हो रहा है लेकिन उन्हें मजबूरन बच्चों के लिए नॉर्वे में रहना पड़ेगा।
Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11558566.cms
 
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new post...वाह रे मंहगाई...