मिसेज शर्मा की परेशानी दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। पहले तो मनाने से उनकी बेटी बड़ों के पांव भी छू लेती थी। यही नहीं, गलती हो जाने पर उनसे माफी भी मांग लेती थी, लेकिन पिछले कुछ समय से न जाने क्या हुआ है कि समझाने और मनाने तो दूर, डांटने-फटकारने और यहां तक कि पिटाई करने के बाद भी वह न तो मेहमानों के पांव ही छूती है और न ही अपनी गलती पर उनसे सॉरी कहती है। अगर आप भी अपने बच्चे के ऐसे ही व्यवहार से परेशान हैं, तो संभव है कि वह भी मिसेज शर्मा की बेटी की तरह घमंडी होता जा रहा है।
अपोलो हॉस्पिटल में क्लीनिकल एंड चाइल्ड साइकोलजिस्ट डॉ. धीरेन्द्र कुमार बच्चों के इस व्यवहार के लिए कई चीजों को जिम्मेदार मानते हैं। अब एकल परिवार का चलन बढ़ा है, जहां बच्चे केवल माता-पिता के साथ बड़े होते हैं। पेरेंट्स बच्चे की उपलब्धियों को अपनी आन-बान से जोड़कर चलने लगते हैं। परिणाम यह होता है कि बच्चे की हर छोटी-बड़ी मांग पूरी की जाती है। धीरे-धीरे बच्चे को इसकी आदत हो जाती है और कुछ समय बाद बच्चे को भी खुद पर गर्व होने लग जाता है कि वे जो चाहते हैं वह पूरा होता जाता है। बच्चों को गर्व और घमंड के बीच का अंतर मालूम नहीं होता।
क्या करें आप?
सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि आप उसे अपना प्यारा बच्चा बनाए रखना चाहती हैं या अन्य पेरेंट्स की तरह हर क्षेत्र में अव्वल देखना चाहती हैं। अगर आपका बच्चा आपकी अपेक्षाओं की वजह से घमंडी बन गया है, तो सबसे पहले आपको चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से मिलकर पेरेंटिंग स्किल क्लास लेने की जरूरत है। बच्चे के स्कूल जाकर उसके टीचर्स को यह सुझाव दे सकती हैं कि स्कूल में समय-समय पर लाइफ स्किल्स प्रोग्राम चलाया जाए। बच्चे से बातचीत करें। उन्हें ऐसे लक्ष्य अपनाने की सलाह दें, जिसे आसानी से हासिल किया जा सके।
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खूबसूरत प्रस्तुति ||
बधाई ||