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माँ जो चाहे तुमसे प्यारे वही काम तुम करना.

जीवन में गर चाहो बढ़ना,
    माँ की पूजा करना.
माँ जो चाहे तुमसे प्यारे,
  वही काम तुम करना.
माँ के आशीर्वाद को पाकर,
   जब तुम कहीं भी जाओगे.
मनमाफिक हो काम तुम्हारा,
    खुशियाँ सारी पाओगे.
कोई काम करने से पहले माँ का कहा ही करना,
माँ जो चाहे तुमसे प्यारे वही काम तुम करना.

माँ ने ही सिखलाया हमको,
    बड़ों की सेवा करना.
करनी पड़े मदद किसी की,
   कभी न पीछे हटना.
करो सहायता यदि किसी की अहम् न इसका करना,
माँ जो चाहे तुमसे प्यारे वही काम तुम करना.
                   शालिनी कौशिक 

Comments

DR. ANWER JAMAL said…
आपकी नसीहतें भी सच्ची हैं
और चुनी गई तस्वीरें भी अच्छी हैं ।

शुक्रिया !
Unknown said…
behtareen kavita sarthak naseehate
Shalini kaushik said…
dhanyawad dr.sahab aur kushvansh ji,
dr,sahab aapke kahe anusar hamari vani ke link par click kiya tha kintu vahan post nahi dikhayee di.kyon?
Manish Khedawat said…
bahut khoobsurat rachna shalini zi
maa par likhe ko padne ka maza hi kuch orr hota hai :)
_______________________________
...दिल में कसक आज़ भी हैं ||
Manish Khedawat said…
bahut khoobsurat rachna shalini zi
maa par likhe ko padne ka maza hi kuch orr hota hai :)
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...दिल में कसक आज़ भी हैं ||
Manish Khedawat said…
bahut khoobsurat rachna shalini zi
maa par likhe ko padne ka maza hi kuch orr hota hai :)
_______________________________
...दिल में कसक आज़ भी हैं ||
विषय का चुनाव अत्यंत प्रभावशाली ||

रचना और चित्रों ने पूरा न्याय किया है ---


गर गलत घट-ख्याल आये,

रुत सुहानी बरगलाए

कुछ कचोटे काट खाए,

रहनुमा भी भटक जाए

वक्त न बीते बिताये,

काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--

हो कभी अवसाद में जो,

या कभी उन्माद में हो

सामने या बाद में हो,

कर्म सब मरजाद में हो

शर्म हर औलाद में हो,

नाम कुल का न डुबाये-

काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--

कोख में नौ माह ढोई,

दूध का न मोल कोई,

रात भर जग-जग के सोई,

कष्ट में आँखे भिगोई

सदगुणों के बीज बोई

पौध कुम्हलाने न पाए

काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
शालिनी कौशिक जी अभिवादन -माँ के प्रति बेटे बेटी को सुन्दर सीख देते हुए और प्यारा सन्देश हमारे समाज को बनाने की दिशा में -
प्यारी रचना -बधाई हो

माँ के आशीर्वाद को पाकर,
जब तुम कहीं भी जाओगे.
मनमाफिक हो काम तुम्हारा,
खुशियाँ सारी पाओगे.
सच है
शुक्ल भ्रमर ५
Shalini kaushik said…
shikha ji ,ravikar ji,surendra ji aapka bahut bahut dhanyawad.
Roshi said…
maa ke aashirvad mein hi sari taraqqi ,khushi hai
POOJA... said…
bahut hi sundar...
कविता सहजता से लिखी बहुत ही अच्छी लगी। बच्चे क्या बड़े --सभी इसके द्वारा मां के सुंदरतम रूप के दर्शन कर पायेंगे ।
सुधा भार्गव
mridula pradhan said…
maa par likhi bahut pyari kavita.
Shalini kaushik said…
roshi ji,pooja ji,sudha ji aur mridula ji yahan aakar mere utsahvardhan hetu dhanyawad..
Shalini kaushik said…
roshi ji,pooja ji,sudha ji aur mridula ji yahan aakar mere utsahvardhan hetu dhanyawad..

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