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माँ कभी मरती नही हैं ..?









माँ कभी मरती नही हैं ..?

वो सिर्फ जिस्म छोडती हैं ,चोला बदलती हैं ,अपने बच्चो से बिदा लेती हैं !
हर माँ अपने आप में परिपूर्ण होती हैं !
स्त्री का बस 'माँ' होना ही अपने आप में सम्पूर्ण हैं | पुरुष तो जीवन -भर 
' माँ ' का अनुचर ही होता हैं ,जीवन -भर माँ बनने का प्रयास करता रहता 
हैं पर सिर्फ 'पिता' बनकर रह जाता हैं !
पर माँ अपनी साधना से पुरुष को अमृत पिला कर महाबली बनाती है ?
इसलिए माँ कभी मरती नहीं..?
वो अपने विचारो से, अपनी आकांशाओ से,अपने समर्पण से, हमेशा जीवित 
रहती है ..और हम जब तक उसके साए में रहते हैं तब तक सुरक्षित रहते हैं !
जैसे ही वो साया हमारे ऊपर से उठ जाता हैं तो हम निरह प्राणी बन जंगल -जंगल 
घूमते रहते हैं ..एक अनबुझ प्यास के लिए ..?
फिर वो अमृत हमे नही मिलता ???   

Comments

बहुत दिनों बाद आप सबसे मुलाकात हुई हैं ..? अनेको शुभकामनाओ सहित ...
सही है ||
बधाई ||
vandana gupta said…
आपकी रचना तेताला पर भी है ज़रा इधर भी नज़र घुमाइये
http://tetalaa.blogspot.com/
Unknown said…
behad sundar abhvyakti hai hamesh se intzaar rahta hai aapki rachnao ka , badhai
Roshi said…
sach kaha hai .aaj jab maa nahi hai hamare pass to pata chalta hai............
istri me mamta, kshama, daya, vinamrta aur sehen shakti ke bhaav jyada hote hain jo purush se alag kar dete hain. agar purush me bhi ye gun aa jaye to vo bhi mata ban sakte hain.

sunder abhivyakti.
DR. ANWER JAMAL said…
ज़माने के हालात देखकर
मरने को मन तो करता है मेरा
मगर उस दुआ का क्या होगा
जो किसी ने मांगी थी
मेरी सलामती के लिए
उन आंखों का क्या होगा
जो आते-जाते देखती हैं
मेरा रास्ता
उस दिल का क्या होगा
जो धड़कता है मेरा नाम लेकर
और उन सांसों का क्या होगा
जो चलती हैं मेरी सांसों के साथ
मेरी उस बूढ़ी मां का क्या होगा
जो बसती है मेरी धड़कन में
और मुझे इंसान बनाया।
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/04/blog-post_19.html

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