प्यारी माँ
मोम की तरह पिगलती रहती है
शमां बन जलती रहती है
हमरा हर काम अपनी शक्ति से परे करती है
हमे परेशां देख ,खुद मन ही मन कुढती है
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ, यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |
कभी खुद को साबित नही किया उसने
हमेशा हमे प्रोत्साहित किया उसने
हमारी हर गलती को माफ़ किया उसने
हममे हर शक्ति का संचार किया उसने
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ ,यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |
खुदा से ज्यादा हमने उसका मान किया
खुद को खुद से ज्यादा कुर्बान किया
हमेशा उसके आंचल में आराम किया
माँ की क्या शे है इसका हमने ज्ञान किया
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |
सपनो से परे एक जहां और भी है
एक जमी एक आसमान और भी है
इस पथरीली धरा पे हमे आगे बढना है
होसले बुलंद हो ,सफलता कदम चूमे
हर कठिनाई से आगाज़ किया इसने
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |
दिनभर खटकती रहती है हमारी ख़ुशी के लिए
रातो को चोंक उठती है .हमारी परेशानी के लिए
खुद कांटो पर चलती है ,हमे फूलो पे चलाने के लिए
खुदगर्ज़ कभी हो नही सकती अपने 'जायो' के लिए
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ ,यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |
"हाँ ,यह मेरी माँ है ?"
Comments
ममता तो माँ का पर्याय है!
"हाँ ,यह मेरी माँ है ?
Darshan ji bahut bhavpurn rachna prastut ki hai aapne .aabhar
खुदगर्ज़ कभी हो नही सकती अपने 'जायो' के लिए
bahut bhavpoorn prastuti.nayan bhar aaye .
बाक़ी कविता के भाव सुंदर हैं।
http://tobeabigblogger.blogspot.com/2011/04/charity-begins-from-toilet.html
धन्यवाद !