कितना सुन्दर नाम है इस ब्लॉग का प्यारी माँ .हालाँकि प्यारी जोड़ने की कोई ज़रुरत ही नहीं है क्योंकि माँ शब्द में संसार का सारा प्यार भरा है.वह प्यार जिस के लिए संसार का हर प्राणी भूखा है .हर माँ की तरह मेरी माँ भी प्यार से भरी हैं,त्याग की मूर्ति हैं,हमारे लिए उन्होंने अपने सभी कार्य छोड़े और अपना सारा जीवन हमीं पर लगा दिया. शायद सभी माँ ऐसा करती हैं किन्तु शायद अपने प्यार के बदले में सम्मान को तरसती रह जाती हैं.हम अपने बारे में भी नहीं कह सकते कि हम अपनी माँ के प्यार,त्याग का कोई बदला चुका सकते है.शायद माँ बदला चाहती भी नहीं किन्तु ये तो हर माँ की इच्छा होती है कि उसके बच्चे उसे महत्व दें उसका सम्मान करें किन्तु अफ़सोस बच्चे अपनी आगे की सोचते हैं और अपना बचपन बिसार देते हैं.हर बच्चा बड़ा होकर अपने बच्चों को उतना ही या कहें खुद को मिले प्यार से कुछ ज्यादा ही देने की कोशिश करता है किन्तु भूल जाता है की उसका अपने माता-पिता की तरफ भी कोई फ़र्ज़ है.माँ का बच्चे के जीवन में सर्वाधिक महत्व है क्योंकि माँ की तो सारी ज़िन्दगी ही बच्चे के चारो ओर ही सिमटी होती है.माँ के लिए कितना भी हम करें वह माँ ...
Comments
माँ लहरों के विपरीत
संभावनाओं के द्वार खोलती है
बिलकुल सही बात है ... बहुत सुन्दर रचना !
बहुत खुबसूरत रचना |
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
एक आँचल में
करोड़ों सौगात लिए चलती है
.सही कहा आपने .
हवा , बादल , धूप , छाँव
बच्चों के लिए पूरी प्रकृति
अपने आँचल में समेट
एक धरोहर बन जाती है ...
जब सारी दिशाएं प्रतिकूल होती हैं
माँ लहरों के विपरीत
संभावनाओं के द्वार खोलती है
... माँ शब्द में ही
एक अदृश्य शक्ति होती है
माँ कहते ही
हर विपदा शांत हो जाती है
माँ लोरियों का सिंचन करती है
एक आँचल में
करोड़ों सौगात लिए चलती है
आशीर्वचनों का महाग्रंथ होती है
रश्मि जी इस कविता में एक भी पंक्ति निरर्थक नहीं है यही इसकी सबसे बड़ी सार्थकता है माँ दुनियां की सबसे अनुपम कृति है विधाता का साकार रूप है बधाई |
बहुत ही भावपूर्ण, हृदयस्पर्शी रचना
ये तो मां ही है जिनका अक्षय पात्र कभी रिक्त नहीं होता ......
प्रथम ज्ञान शिशु माँ से पाता ....
जीवन की निर्मात्री है माँ .....
सुकोमल भावों से सजी सुंदर रचना ....!!
pyari rachna.
जीवन का इक जरिया माँ
बोलें तो इक लफ्ज़ फ़क़त
समझें तो सारी दुनिया माँ"
इस बेहद खुबसूरत रचना के लिए नमन...
सादर...
मेहरबानी होगी.
शुक्रिया .
कैसी है प्यासे मन की तमन्ना ,
आज फिर से आँचल में उसकी
छिप जाने का मन करता है
माँ के आँचल के लिए आज
फिर मन ललचा है.....(anju...anu )