मदर्स डे पर विशेष भेंट इस्लाम में हुक़ूक़ुल ऐबाद की फ़ज़ीलत व अहमियत इंसानी मुआशरे में सबसे ज़्यादा अहम रुक्न ख़ानदान है और ख़ानदान में सबसे ज़्यादा अहमियत वालदैन की है। वालदैन के बाद उनसे मुताल्लिक़ अइज़्जा वा अक़रबा के हुक़ूक़ का दर्जा आता है डाक्टर मोहम्मद उमर फ़ारूक़ क़ुरैशी 1 जून, 2012 (उर्दू से तर्जुमा- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम) दुनिया के हर मज़हब व मिल्लत की तालीमात का ये मंशा रहा है कि इसके मानने वाले अमन व सलामती के साथ रहें ताकि इंसानी तरक़्क़ी के वसाइल को सही सिम्त में रख कर इंसानों की फ़लाहो बहबूद का काम यकसूई के साथ किया जाय। इस्लाम ने तमाम इंसानों के लिए ऐसे हुक़ूक़ का ताय्युन किया है जिनका अदा करना आसान है लेकिन उनकी अदायगी में ईसार व कुर्बानी ज़रूरी है। ये बात एक तरह का तर्बीयती निज़ाम है जिस पर अमल कर के एक इंसान ना सिर्फ ख़ुद ख़ुश रह सकता है बल्कि दूसरों के लिए भी बाइसे राहत बन सकता है। हुक़ूक़ की दो इक़्साम हैं । हुक़ूक़ुल्लाह और हुक़ूक़ुल ऐबाद। इस्लाम ने जिस क़दर ज़ोर हुक़ूक़ुल ऐबाद पर दिया है इससे ये अमर वाज़ेह हो जाता है कि इन हुक़ूक़ का कितना बुलंद मुक़ाम है और उनकी अ
बस एक माँ है जो मुझ से कभी ख़फ़ा नहीं होती
Comments
शब्द नहीं सूझ रहे... क्या लिखूं इस पर।
आपने तो रूला ही दिया।
एक बार फिर बेहतरीन।
यह बिलकुल सच है.
और यह भी सच है कि आँखें भर आईं. इन खूबसूरत अशआर के साथ हम आपका और आपकी इस बेहतरीन रचना का इस्तक़बाल करते हैं.
उम्र भर रखे रही सर पर ज़रूरतों का पहाड़
थक गई साँसें तो अब आराम फरमाते है माँ
जो जुबां पर भी न आये , दिल में घुट कर रह गए
ऐसे कुछ अरमान अपने साथ ले जाती है माँ
आपकी आमद ने आज हमारी देरीना इंतज़ार को बिल-आख़िर ख़तम कर दिया.
जजाकल्लाह .
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
इसी के साथ आज मैंने अपने कई और ब्लॉग्स भी इस एग्रीगेटर पर जोड़ दिया है.
रास्ते अभी और भी हैं ट्रैफिक बढाने के लिए. जैसे जैसे मेरा इल्म बढ़ता जायेगा और मुझे वक़्त मिलता जायेगा , मैं आपकी आवाज़ को ज्यादा से ज़्यादा फैलाता चला जाऊंगा.
आप लिखते रहें और हम पढ़ते रहें ऐसी हमारी इच्छा है.
शुक्रिया.
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/03/good-news.html
मैं तुझ ही में तो समाई हुई हुं।
सुन्दर, बेहतरीन
Vivek Jain (vivj2000.blogspot.com)
इस खुशखबरी का चर्चा आप यहाँ भी देख सकते हैं
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/03/blog-post_27.html
आप सभी का बहोत बहोत शुक्रिया। मेरी रचना को सराहने के लिये। ये रचना ही सिर्फ़ नहिं है ये हक़ीकत बयाँ की है मैने।
डो.जमाल साहब की तहे दिल से शुक्रगुज़ार हुं जिन्होंने मुझे प्यारी माँ ब्लोग पर लिखने को कहा।
“तुं ही तो मेरा वजुद है बेटी
khubsurat ahsason se sazi rachna