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मेरे पास माँ है - M. Afsar Khan



माँ एक कोमल एहसासमाँ ज़िन्दगी की ख्वाबमाँ दुनिया कीसबसे बड़ी नेमत
इन मुर्गी के बच्चों को जरा गौर से देखिये...

अपनी माँ से कैसे लिपटे हुए हैं। और इस माँ ने अपने बच्चों को कैसेअपने ऊपर, अपने परों में छिपा रक्खा है
यही है माँ का अनूठा प्यार। सरे जहाँ की नेमतों में सबसे बड़ी नेमत है माँ का प्यार, इसी लिए लोग कहते हैं कि 



मेरे पास माँ हैमाँ... 
मुनव्वर राना के शब्दों में...

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में  जाती है,
माँ दुआ करती हुई  ख्वाब में आ जाती है



मुसीबत के दिनों में माँ हमेशा साथ रहती है,
पयम्बर क्या परेशानी में हिम्मत छोड़ सकता है

एम. अफसर खान सागर
http://hbfint.blogspot.com/2011/05/blog-post_20.html

Comments

Unknown said…
वाह अनवर साहब बहुत खूब कहा. वास्तव में माँ इस धरती पर खुदा का पैगाम है भगवान् का रूप है .
sunder jjbaato ki man mohane wali kvitaa !maa !
Shikha Kaushik said…
Afsar ji ke jajbat Maa ke prati ati sundar hain .aisi sarthak prastuti ke liye Anwar ji aapko hardik dhanywad .
ये रिश्ता अनमोल है। नि:स्वार्थ है। "माँ" तो सिर्फ़ और सिर्फ़ "माँ" ही होती है।
सुन्दर रचना माँ का कोई सानी नहीं माँ अतुलनीय है कोई भी जीव हो उसकी माँ माँ ही है -

शुक्ल भ्रमर ५
bahut acchi or sachi abhivykti
Vivek Jain said…
बहुत ही बढ़िया तरीके से आपने अपनी बात कही है. बधाई
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जिसके पास मां नहीं है,वही उसकी कीमत जानता है!

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