(माता गुजरी व् बालक गोविंद )
औरत तू जननी हे--एक बहन है--एक बेटी है--एक पत्नीहै-- और इन सबसे ऊपर तू एक माँ है--हमारे गुरू गोविंदसिंह जी ने कहा हे :--
"एकअच्छी माँ ही एक शूरवीर को जन्म देती हे"
यदि माता गुजरी जी न होती तो,
गुरु गोविन्दसिंह जी जेसे शूरवीर कहाँ होते ?
यदि माँ जिजामाता न होती तो,
शिवाजी कैसे मराठा -पुत्र कहलाते ?
यशोदा माँ ही थी ,
जिसने कृष्ण का पालन किया |
वो देवकी माँ ही थी ,
जिसने कान्हा को जन्म दिया |
रानी कोशल्या भी तो माँ थी,
जिसकी कोंख से रघुवीर जन्मे |
उस कैकई को कैसे भूलू ,
जिसके वचनों से वनवास गए |
वो भी माँ का एक रूप थी ,
जिसके कारण रावण का संहार हुआ |
वो माँ ही थी जिसकी कोंख से ,
कभी भगत,कभी सुभाष,कभी प्रताप पैदा हुए |
वो माँ ही थी ? वो माँ ही है --
जिसने हमे सूखे में सुलाया |
नो माह हमारा बोझा ढोहा,
रातो को जागकर,
हमे तिल -तिल बड़ा किया,
हमारी हर ख़ुशी पर अपनी खुशियों को निहाल किया |
वो माँ ही हे--जो एक मांस के लोथड़े को,
कभी डॉ.,कभी वकील,कभी इंजिनियर बनाती है,
और इन सबसे ऊपर उसे एक इंसान बनाती है-
माँ तुझे सलाम !!!
Comments
वाह ...हर पंक्ति बहुत ही सुन्दर भावों को समेटे हुये..मां के बारे में क्या कहूं ...जहां ये शब्द 'मां' होता है नजरें खुद-ब-खुद वहां ठहर जाती हैं ..बेहतरीन प्रस्तुति ।
कभी डॉ.,कभी वकील,कभी इंजिनियर बनाती है,
और इन सबसे ऊपर उसे एक इंसान बनाती है
सराहनीय प्रस्तुति
http://shalinikaushik2.blogspot.com
कभी डॉ.,कभी वकील,कभी इंजिनियर बनाती है,
और इन सबसे ऊपर उसे एक इंसान बनाती है-
sach hai! bahut sunder post!
बारिशे ईमान में यूं रोज़ नहलाती है माँ
कोई टीपू तो कोई सिकंदर हुआ ,
कोई कबीर तो कोई क़लंदर हुआ
हर वुजूद अलग हो चाहे मगर
हर वुजूद माँ से ही ज़ाहिर हुआ