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बाद इसके किसी भी दिन क्या माँ है याद फिर आती .-HAPPY MOTHER'S DAY



तरक्की इस जहाँ में है तमाशे खूब करवाती ,
मिला जिससे हमें जीवन उसे एक दिन में बंधवाती .


महीनों गर्भ में रखती ,जनम दे करती रखवाली ,
उसे औलाद के हाथों है कुछ सौगात दिलवाती .


सिरहाने बैठ माँ के एक पल भी दे नहीं सकते ,
दिखावे में उन्हीं से होटलों में मंच सजवाती .



कहे माँ लाने को ऐनक ,नहीं दिखता बिना उसके ,
कुबेरों के खजाने में ठन-गोपाल बजवाती .


बढ़ाये आगे जीवन में दिलाती कामयाबी है ,
उसी मैय्या को औलादें, हैं रोटी को भी तरसाती .


महज एक दिन की चांदनी ,न चाहत है किसी माँ की ,
मुबारक उसका हर पल तब ,दिखे औलाद मुस्काती .


याद करना ढूंढकर दिन ,सभ्यता नहीं हमारी है ,
हमारी मर्यादा ही रोज़ माँ के पैर पुजवाती .



किया जाता याद उनको जिन्हें हम भूल जाते हैं ,
है धड़कन माँ ही जब अपनी कहाँ है उसकी सुध जाती .


वजूद माँ से है अपना ,शरीर क्या बिना उसके ,
उसी की सांसों की ज्वाला हमारा जीवन चलवाती .



शब्दों में नहीं बंधती ,भावों में नहीं बहती ,
कड़क चट्टान की मानिंद हौसले हममे भर जाती .


करे कुर्बान खुद को माँ,सदा औलाद की खातिर ,
क्या चौबीस घंटे में एक पल भी माँ है भारी पड़ जाती .



मनाओ इस दिवस को तुम उमंग उत्साह से भरकर ,
बाद इसके किसी भी दिन क्या माँ है याद फिर आती .


बाँटो ''शालिनी''के संग रोज़ गम ख़ुशी माँ के,
फिर ऐसे पाखंडों को ढोने की नौबत नहीं आती .


शालिनी कौशिक
[कौशल]



Comments

Shikha Kaushik said…
sundar bhavmayi prastuti .aabhar
DR. ANWER JAMAL said…
वास्तव में आज इंसानियत के सामने आदर्श का संकट है.
Nice.

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