Skip to main content

ऐसे डालें Homework की आदत -Neelam Shukla

छोटे बच्चों में होमवर्क की आदत डालना टेढ़ी खीर है। कई बार अभिभावक इस गुमान में रहते हैं कि समय आने पर बच्चा खुद ही होमवर्क के प्रति संजीदा हो जाएगा। उनका ऐसा सोचना सरासर गलत है क्योंकि 3-4 साल की उम्र ही वो सही समय है जब बच्चे में दिनचर्या की दूसरी चीजें सिखाने के साथ उनमें होमवर्क करने की आदत भी डाली जा सकती हैं। आजकल छोटी कक्षाओं में भी सिलेबस बहुत ज्यादा है और होमवर्क का दवाब भी इतना अधिक है कि बच्चे को पढ़ाने के लिए मां-बाप को स्वयं पढऩा पढ़ता है। ऐसे में छोटी उम्र में ही होमवर्क करने की आदत डाली जाए तो बच्चे और माता पिता दोनों के लिए सुविधाजनक होता है। बच्चों में होमवर्क की आदत कैसे डेवलप की जाए इस बारे में बता रहे हैं मनोवैज्ञानिक डा.पुल्कित शर्मा- टाइम-टेबल जरूरी बच्चे में होमवर्क कराने की शुरुआत कर रही है तो सबसे पहले एक समय निर्धारित कर लें और रोज उसी टाइम में होमवर्क करवाने बैठें। छोटे बच्चों को होमवर्क में ड्राइंग में रंग भरना या अल्पाबेट लिखने जैसे काम मिलते हैं जो इनके लिहाज से काफी मुश्किल हैं। इसलिए उनके गलती करने पर भी उनको डांटे नहींबल्कि पेशेंस के साथ समझाएं। दिन में भले ही आप पूरे समय उनके साथ न रह पाती हों, पर होमवर्क करवाते समय उनको पूरा वक्त दें वो भरपूर अटेंशन के साथ उनके साथ रहें। प्यार से समझाएं अक्सर बच्चों को लगता है कि बच्चों को ही होमवर्क करना पड़ता है जबकि बड़े कितने मजे में रहते हैं। उनको प्यार से समझाएं कि बड़े होने के बाद तो ज्यादा होमवर्क करना पड़ता है। उनको बताएं कि सिर्फ नोटबुक में कुछ लिखने या प्रोजेक्ट बना लेने को ही होमवर्क नहीं कहते। किसी भी काम को करने में लिए जो भी तैयारी करते हैं उसे होमवर्क कहते हैं। आप चाहे तो खिलाडिय़ों की घंटों की मेहनत या किसी क्रियेटिव काम जैसे कार्टून फिल्म बनाने के पीछे लगने वाली मेहनत को आसान शब्दों में समझा सकती हैं। समय पर पूरा करवाएं आजकल छोटे बच्चों को भी स्कूल काफी सारा होमवर्क दे देते हैं जिसे समय पर करवाने की जिम्मेदारी मां-बाप के की होती है। उचित यही होगा कि रात्रि को सोने से पहले ही बच्चों का होमवर्क पूरा करवा दें। इससे दो लाभ होंगे। पहला तो ये कि सुबह आप घर के कामकाज या ऑफिस की तैयारी के लिए फुर्सत में रहेंगी और दूसरा ये कि बच्चे भी तनावमुक्त हो कर नींद लेंगे और आप भी। फ्रेंड्स हों साथ अगर आपका बच्चेा  आपकी तमाम कोशिशों के बाद भी होमवर्क में रुचि न ले रहा हो तो होमवर्क को फन में तब्दील करने के लिए आसपास रहने वाले उसके हमउम्र दोस्तों को अपने घर बुला लें और उनको आपके घर पर ही अपनी पढ़ाई करने को कहें। आपका बच्चा बाकी हमउम्र बच्चों को पढ़ाई करता देखेगा तो खुद भी पढऩे लगेगा। छोटे बच्चों के साथ होमवर्क करते समय साथ रहें। हालीडे में होमवर्क अगर हॉलिडे होमवर्क मिला है तो बच्चे को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर होमवर्क करवाएं। होमवर्क को पूरी छुट्टियों के दौरान बांट दें कि रोजाना कितना-कितना करना है, वरना बच्चे को समझ नहीं आता कि कितना होमवर्क हो गया और कितना रह गया। कभी भी बच्चे का होमवर्क खुद न करें। इससे बच्चा आलसी हो जाएगा और अपने काम की अहमियत कभी नहीं समझेगा। ध्यान रखें कि छुट्टियां खत्म होने से कुछ दिन पहले होमवर्क जरूर खत्म हो जाए। हेल्दी हो फूड हेल्दी फूड खाने से उनका दिमाग विकसित होगा और पढऩे व होमवर्क करने की स्टेमिना बढ़ेगी। बच्चे में खाने की अच्छी आदत विकसित करना चाहती हैं तो उनमें खाने की नकल करने की प्रवृत्ति डालें। होमवर्क से पहले कुछ भी हैवी खाने को न दें वरना होमवर्क करते समय बच्चे को झपकी आ सकती है।
Source : http://www.aparajita.org/read_more.php?id=56&position=2

Comments

उपयोगी टिप्पस देने के लिये आभार,,,,,

RECENT POST - मेरे सपनो का भारत

Popular posts from this blog

माँ बाप की अहमियत और फ़ज़ीलत

मदर्स डे पर विशेष भेंट  इस्लाम में हुक़ूक़ुल ऐबाद की फ़ज़ीलत व अहमियत इंसानी मुआशरे में सबसे ज़्यादा अहम रुक्न ख़ानदान है और ख़ानदान में सबसे ज़्यादा अहमियत वालदैन की है। वालदैन के बाद उनसे मुताल्लिक़ अइज़्जा वा अक़रबा के हुक़ूक़ का दर्जा आता है डाक्टर मोहम्मद उमर फ़ारूक़ क़ुरैशी 1 जून, 2012 (उर्दू से तर्जुमा- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम) दुनिया के हर मज़हब व मिल्लत की तालीमात का ये मंशा रहा है कि इसके मानने वाले अमन व सलामती के साथ रहें ताकि इंसानी तरक़्क़ी के वसाइल को सही सिम्त में रख कर इंसानों की फ़लाहो बहबूद का काम यकसूई के साथ किया जाय। इस्लाम ने तमाम इंसानों के लिए ऐसे हुक़ूक़ का ताय्युन किया है जिनका अदा करना आसान है लेकिन उनकी अदायगी में ईसार व कुर्बानी ज़रूरी है। ये बात एक तरह का तर्बीयती निज़ाम है जिस पर अमल कर के एक इंसान ना सिर्फ ख़ुद ख़ुश रह सकता है बल्कि दूसरों के लिए भी बाइसे राहत बन सकता है। हुक़ूक़ की दो इक़्साम हैं । हुक़ूक़ुल्लाह और हुक़ूक़ुल ऐबाद। इस्लाम ने जिस क़दर ज़ोर हुक़ूक़ुल ऐबाद पर दिया है इससे ये अमर वाज़ेह हो जाता है कि इन हुक़ूक़ का कितना बुलंद मुक़ाम है और उनकी अ

माँ की ममता

ईरान में सात साल पहले एक लड़ाई में अब्‍दुल्‍ला का हत्यारा बलाल को सरेआम फांसी देने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. इस दर्दनाक मंजर का गवाह बनने के लिए सैकड़ों का हुजूम जुट गया था. बलाल की आंखों पर पट्टी बांधी जा चुकी थी. गले में फांसी का फंदा भी  लग चुका था. अब, अब्‍दुल्‍ला के परिवार वालों को दोषी के पैर के नीचे से कुर्सी हटाने का इंतजार था. तभी, अब्‍दुल्‍ला की मां बलाल के करीब गई और उसे एक थप्‍पड़ मारा. इसके साथ ही उन्‍होंने यह भी ऐलान कर दिया कि उन्‍होंने बलाल को माफ कर दिया है. इतना सुनते ही बलाल के घरवालों की आंखों में आंसू आ गए. बलाल और अब्‍दुल्‍ला की मां भी एक साथ फूट-फूटकर रोने लगीं.

माँ को घर से हटाने का अंजाम औलाद की तबाही

मिसालः‘आरूषि-हेमराज मर्डर केस’ आज दिनांक 26 नवंबर 2013 को विशेष सीबीाआई कोर्ट ने ‘आरूषि-हेमराज मर्डर केस’ में आरूषि के मां-बाप को ही उम्रक़ैद की सज़ा सुना दी है। फ़जऱ्ी एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए डा. राजेश तलवार को एक साल की सज़ा और भुगतनी होगी। उन पर 17 हज़ार रूपये का और उनकी पत्नी डा. नुपुर तलवार पर 15 हज़ार रूपये का जुर्माना भी लगाया गया है। दोनों को ग़ाजि़याबाद की डासना जेल भेज दिया गया है। डा. नुपुर तलवार इससे पहले सन 2012 में जब इसी डासना जेल में बन्द थीं तो उन्होंने जेल प्रशासन से ‘द स्टोरी आॅफ़ एन अनफ़ार्चुनेट मदर’ शीर्षक से एक नाॅवेल लिखने की इजाज़त मांगी थी, जो उन्हें मिल गई थी। शायद अब वह इस नाॅवेल पर फिर से काम शुरू कर दें। जेल में दाखि़ले के वक्त उनके साथ 3 अंग्रेज़ी नाॅवेल देखे गए हैं।  आरूषि का बाप राकेश तलवार और मां नुपुर तलवार, दोनों ही पेशे से डाॅक्टर हैं। दोनों ने आरूषि और हेमराज के गले को सर्जिकल ब्लेड से काटा और आरूषि के गुप्तांग की सफ़ाई की। क्या डा. राजेश तलवार ने कभी सोचा था कि उन्हें अपनी मेडिकल की पढ़ाई का इस्तेमाल अपनी बेटी का गला काटने में करना पड़ेगा?