पल्लवी सक्सेना जी बता रही हैं एक सच्ची घटना
कल की ही बात है मेरे शहर भोपाल में मेरे घर के पास एक दवाई की दुकान है
जिसे एक पिता पुत्र मिलकर चलाते थे ,उन अंकल से अर्थात दुकान के मालिक की
मेरे पापा के साथ बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी थी। कल अचानक पता चला कि उनके
22 साल के लड़के ने आत्महत्या कर ली। जानकार बेहद अफसोस हुआ। इस सारे
मामले के पीछे की जो कहानी मेरे पापा को उन्होंने जो सुनाई और मेरे पापा
ने जो मुझे बताया वही आपके सामने रख रही हूँ।
Comments
अगर माँ बाप शुरू से बच्चों के दिन भर के क्रिया कलाप पर ध्यान रखे तो शायद ये नौबत नही आती,,,,,
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
----par is post men kaise bachayen .ye kahan bataya gaya hai gaya hai...jo sheershak hai..?
--- sirf ek kahanee/ ghatana varnan karane se kyaa matalab nikalata hai...
-- esee bekar ke post likh kar samay jaya n karen...
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@ डा. श्याम गुप्ता जी ! नफ़रत और संकीर्णता छोड़कर देखा होता तो आपको हल नज़र आ जाता . हमने बताया है कि आदर्श चरित्र का अनुसरण किया जाए तो नई नस्ल को आत्महत्या से बचाया जा सकता है.
ये रचनाएँ हर आम के पास जानी चाहिए | बेहतरीन !!
दवाब, मानसिकता और ग़लत चयन इन सब के कारण आज ऐसी स्थिति पैदा हो गई है।
आपने सही कहा है लोग आज ग़लत रोल मॉडल भी चुनने लगे हैं।
आपने सही कहा है लोग आज ग़लत रोल मॉडल भी चुनने लगे हैं।
आज भारत में हर चौथे मिनट पर एक नागरिक आत्महत्या कर रहा है. हरेक उम्र के आदमी मर रहे हैं. अमीर ग़रीब सब मर रहे हैं. उत्तर दक्षिण में सब जगह मर रहे हैं। हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सब मर रहे हैं। बच्चे भी मर रहे हैं। जिनके एक दो हैं वे ज्यादा मर रहे हैं और जिनके दस पांच हैं वे कम मर रहे हैं। जिनके एक बच्चा था और वही मर गया तो माँ बाप का परिवार नियोजन सारा रखा रह जाता है। दस पांच में से एक चला जाता है तो भी माँ बाप के जीने के सहारे बाक़ी रहते हैं। जिन्हें दुनिया ने कम करना चाहा वे बढ़ रहे हैं और जो दूसरों का हक़ भी अपनी औलाद के लिए समेट लेना चाहते थे उनके बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं या फिर ड्रग्स लेकर मरने से बदतर जीते रहते हैं।
कोई अक्लमंद अब इन्हें बचा नहीं सकता। ऊपर वाला ही बचाए तो बचाए .
लेकिन वह किसी को क्यों बचाए जब वह उसकी मानता ही नहीं .
जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले।
कोई अक्लमंद अब इन्हें बचा नहीं सकता। ऊपर वाला ही बचाए तो बचाए .
लेकिन वह किसी को क्यों बचाए जब वह उसकी मानता ही नहीं .
जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले।
बच्चे आत्महत्या न करें इसके लिए माँ बाप को बचपन से ही उनके सामने उन लोगों का चरित्र नहीं आने देना चाहिए जिन्होंने समस्या पड़ने पर खुद आत्महत्या कर ली.
जिन लोगों ने आत्महत्या की है उन्हें कभी आदर्श बनाकर पेश न किया जाए. गलत लोगों को आदर्श बनाया जायेगा तो बच्चे उनके रास्ते पर चल सकते हैं.
एक सच्चे आदर्श व्यक्ति का अनुसरण किये बिना समाज का दुःख कम होने वाला नहीं है.
युवक के पिता के साथ हमारी संवेदनाएं हैं.