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कम आयु में विवाह करना ही है बेहतर विकल्प !!

एक समय था जब बच्चों के विवाह संबंधी लगभग सभी फैसले परिवार के बड़े और उनके माता-पिता अपनी सूझबूझ से ले लिया करते थे. बच्चों का विवाह किस उम्र में किया जाना चाहिए और उनके लिए कैसा जीवनसाथी उपयुक्त रहेगा आदि जैसे महत्वपूर्ण निर्णय परिवार वालों पर ही निर्भर होते थे. पढ़ाई और व्यक्तिगत इच्छाओं को ज्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी और ना ही वर-वधु के आयु को महत्व दिया जाता था. जिसके परिणामस्वरूप कम आयु में ही उन्हें विवाह और बच्चों की जिम्मेदारी निभानी पड़ती थी.


लेकिन अब समय पूरी तरह बदल चुका है, क्योंकि अब ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाएं भी कॅरियर के प्रति संजीदगी बरतने लगी हैं. उनके लिए पढ़ाई और कॅरियर दोनों समान महत्व रखते हैं. हालांकि आधुनिक होती मानसिकता के अंतर्गत व्यक्तिगत अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरी अहमियत दी जाने लगी है, जिसके परिणामस्वरूप अभिभावक भी अपने बच्चों को जल्दी विवाह करने के लिए बाध्य नहीं करते. लेकिन अगर एक नए अध्ययन की मानें तो वे लोग जो सही उम्र में विवाह नहीं करते उन्हें अपने आगामी वैवाहिक जीवन में विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि माता या पिता में से किसी एक की भी आयु यदि 35 वर्ष से अधिक  होती है, तो उन्हें ऑटिज्म पीड़ित बच्चे को जन्म देने का खतरा बढ़ जाता है. डेली मेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन और डेनमार्क में अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने पाया कि वे लोग जो ज्यादा उम्र में विवाह बंधन में बंधते हैं उनकी संतान का ऑटिज्म पीड़ित होने की संभावना कई गुणा अधिक बढ़ जाती है.

उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले तक यह माना जाता था कि वे महिलाएं जो ज्यादा उम्र में बच्चों को जन्म देती हैं केवल उन्हीं के बच्चों के ऑटिज्म पीड़ित होने की संभावना रहती है लेकिन इस शोध के बाद यह प्रमाणित हो गया है कि युवा माता-पिता की तुलना में अधिक आयु वाले माता-पिता को ऑटिज्म पीड़ित संतान होने की आशंका 27 फीसदी तक बढ़ जाती है.

भले ही यह अध्ययन विदेशी दंपत्तियों को केंद्र में रखकर किया गया है लेकिन अगर इसे भारतीय परिदृश्य के अनुसार भी देखा जाए तो भी हम इसके नतीजों को नकार नहीं सकते. प्राय: यहां भी कॅरियर के आगे विवाह की महत्ता कम पड़ने लगी है. इसीलिए अधिक उम्र में विवाह होना एक सामान्य घटनाक्रम बन चुका है. एक ओर जहां यह बदलाव व्यक्तिगत स्वतंत्रता को चित्रित करता है वहीं स्वास्थ्य और पारिवारिक संरचना के विषय में दिनोंदिन घटती गंभीरता को भी प्रदर्शित कर रहा है.

Source : http://lifestyle.jagranjunction.com/2012/03/28/right-age-to-get-married-its-better-to-get-married-in-early-age/

Comments

प्राय: यहां भी कॅरियर के आगे विवाह की महत्ता कम पड़ने लगी है. इसीलिए अधिक उम्र में विवाह होना एक सामान्य घटनाक्रम बन चुका है.
बेहतरीन आलेख ,बहुत लाजबाब प्रेरक प्रस्तुति,.

RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...
अधिक उम्र की अनेक समस्याएं हैं।
दूसरे शब्दों में कहें तो सबकुछ समय से ही अच्छा होता है।
हिन्दू धर्म में भी गृह्स्ताश्रम की बात की गयी है उचित समयरेखा के भीतर ।
आज शुक्रवार
चर्चा मंच पर
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति ||

charchamanch.blogspot.com
shyam gupta said…
हिन्दू धर्मानुसार चार आश्रम व्यवस्था....ही सत्य है..
G.N.SHAW said…
आधुनिकता के परिणाम तो भुगतने ही होंगे !
kavita verma said…
badhati mahtvakanksha ke dushparinam hai ye...
virendra sharma said…
अच्छी पोस्ट .देर से विवाह के मामलों में सामान्य प्रसव के मौके भी और कम हो जातें हैं.आप सेवा निवृत्त हो जातें हैं बच्चे तब तक . सेटिल नहीं हो पाते .लेकिन अब हम चले आयें हैं उस दौर में जहां नारा है =डबल इनकम नो किड्स यानी "डिंक'''DINK '"का .ज़रा संभल के .
ऐसे सर्वेक्षणों के प्रकाशन को तब तक हतोत्साहित किया जाना चाहिए जब तक उनकी सार्वजनिक स्वीकृति नहीं हो जाती। खासकर अधिक उम्र में स्त्रियों के विवाह का निर्णय उनके करिअर से जुड़ा होता है। महिलाओं की आत्मनिर्भरता अब हमारी ज़रूरत है।

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