लंदन। माता-पिता अक्सर अपने किशोरवय बच्चों के व्यवहार से परेशान रहते हैं, लेकिन इसमें बच्चों का नहीं बल्कि उनके मस्तिष्क का दोष होता है।
नए अध्ययन के मुताबिक, किशोरावस्था के दौरान मस्तिष्क ठीक ढंग से काम नहीं करता। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि उम्र के इस मोड़ पर मस्तिष्क में नई कोशिकाओं को बनाने की प्रक्रिया बाधित होती है, जो नाटकीय परिणाम देती है।
अखबार 'डेली मेल' के मुताबिक किशोरावस्था में नई कोशिकाओं के निर्माण में आने वाली बाधाओं के कारण उनमें न केवल व्यवहारिक समस्या पैदा होती है, बल्कि उनके बड़े होने पर सीजोफ्रेनिया जैसी दिमागी बीमारी का शिकार होने का खतरा भी होता है। ऐसा तब होता है, जब मस्तिष्क के हिप्पोकैंपस भाग में न्यूरॉन्स बनने में कमी आ जाती है।
चूहों पर किए गए प्रयोग से पता चला कि यदि मस्तिष्क की कोशिकाओं के सुचारू विकास में बाधा आती है, तो वे असामाजिक हो जाते हैं। यही बाधा अगर वयस्क होने पर उत्पन्न होती है, तो ऐसा कोई प्रभाव नहीं दिखता।
अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर एरी काफमैन ने 'न्यूरोसांइस जर्नल' में लिखा है कि यह अध्ययन सामाजिक विकास को समझने में मददगार होगा। इस अध्ययन से यह भी पता चला कि किशोरावस्था में बनी मस्तिष्क की कोशिकाएं उसके क्रियाकलापों और व्यवहार में बदलाव करती है।
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