Skip to main content

सरकारी या प्राइवेट




                                                   सरकारी या प्राइवेट  


आज एक महीने से हमारे देश में भ्रस्टाचार  के बारे में 
एकदम जागरूकता आ गई है,/
श्री अन्ना हजारेजी ने ये मुद्दा उठाया अनशन किया /
फिर बाबा रामदेवजी आये उन्होंने इस मुद्दे पर
 रामलीला मैदान में बहुत बड़े पैमाने पर
 सत्याग्रह किया परन्तु सरकार ने 
बलपूर्वक इस सत्याग्रह और अनशन को 
समाप्त कर दिया /अरे भाई भ्रस्टाचार कोई
 bird flu या swine flu जैसी बीमारी थोड़ी है
 की आई और चली गई या vaccine लगाने से 
थम गई /ये तो हमारे देश वासिओं के रग-रग में
 समाई हुई महाबिमारी है जो दीमक की तरह 
हमारे देश को अंदर ही अंदर खोखला कर रही है 
देश का पैसा कालेधन के रूप में अरबों -खरबों में 
बाहर के देश में जमा है/जिसका हमारे देश में
 कितना सदुपयोग हो सकता  है /
लेकिन सोचने वाली बात ये है  की हम उनसे ही 
उसे वापस लाने के लिए मांग कर रहे हैं
 जिनका उसे वहां जमा करने में बहुत बड़ा हाँथ है/ 
क्या वो ऐसा होने देंगे /                                  

असल बात ये है की हमारे देश में है 
"प्रजा-तंत्र"इसी लिए नहीं बचा अब कोई "तंत्र"/
सरकार के नाम पर सरकारी संस्थाओं द्वारा 
जो भी काम हो रहे हैं उसमे papers पर 
कुछ दिखाया जाता है और होता कुछ और है /
क्योंकि सबका हिस्सा बंटा हुआ है 
नीचे से ऊपर तक/लाखों-करोड़ों रूपए सरकार की तरफ से 
 काम के लिए दिए जाते है/
काम तो होता है परन्तु उसमे सस्ता materials use
 करके काम पूरा करने की खाना-पूरी होती है /
बाकी पैसा लोगों की जेबें  भरता है/
सरकारी विभाग सिर्फ भ्रष्टाचार को बढावा दे रहें हैं
 सरकार का कोई भी विभाग हो वहां 
कामचोरी,मक्कारी,का बोलबाला है /
विशेषकर तृतीय और चतुर्थ level के कर्मचारी ,
जो आठ घंटे की नोकरी मैं मुस्किल से 
४ या ५ घंटे काम करते हैं /
सरकार की तरफ से मिलनेवाली  छुट्टियों को तो लेते ही हैं
 झूठें मेडिकल certificate  बनवाकर
 महीने मैं आधे दिन office से गायब रहतें हैं /
किसी भी सरकारी कार्यालय मैं 
५०%कर्मचारियों की उपस्थति रहती है /
अगर कोई अफसर कुछ बोलता है 
तो इनकी union उनका साथ देने के लिए
 उस अफसर के खिलाफ नारे -बाजी करने खड़ी हो जातो है /
 सरकार इनको सुविधाएँ  और salary
 तो बढा रही है पर इन पर 
कोई अंकुश नहीं लगा रही है /
आज सरकारी अस्पताल ,सरकारी स्कूलों का हाल
 कोंन नहीं जानता /सरकारी डाक्टर अस्पताल की
 जगह अपने private क्लिनिक में, 
सरकारी शिक्षक स्कूलों की जगह घर में 
tution लेने में ज्यादा ब्यस्त रहतें हैं / 
private hospitals और public schools में
 जनता  को उनके मुहमांगी फीस ,donation,
और बेवजह की जांचों में मजबूरी में 
उनकी बात मानते हुए दुगना,
तीगना पैसा खर्च करना पड़ता है/
परन्तु उसके बाद कम से कम ये satisfaction
 तो रहता है की उनका इलाज ठीक से ,
या उनके बच्चों का भविष्य अच्छा बनेगा /
सरकारी विभागों के निक्कमेपन की वजह से 
ही आज जनता private companies
 पर ज्यादा विस्वास कर रही है/ 
आज देश की जो तरक्की हो  रही है 
वो private companies के कारण
/क्योंकि private companies 
अपने कर्मचारियों को अच्छी salary
 और सुविधाएँ  तो देतें हैं /
परंतू ऑफिस में उनके कर्मचारियों की
 उपस्थति ९५%रहती है / पूरी मेहनत,
लगन  और समय से आकर काम करना होता है
 /उनके कर्मचारिओं को डर रहता है की 
ठीक से काम नहीं किया या 
ज्यादा छुट्टियाँ लीं तो salary तो cut होगी ही 
नोकरी भी जा सकती है /
ये  डर हमारे सरकारी कर्मचारियों को नहीं होता /
अफसरों को तो भी 
promotion,C.R.,और Transfer का डर रहता है
 परन्तु नीचे के lable पर कोई डर नहीं है /
इसीलिए काफी अफसर frustrate होकर 
सरकारी नोकरी छोडकर 
प्राइवेट कंपनी join कर रहे हैं /
सरकार सरकारी संस्थाओं को बंद करके
 सारे विभागों का काम private companies
 को  क्यों  नहीं  सोंप देती /
कम से कम काम तो अच्छा होगा ही / 
सरकारी कर्मचारिओं की salary 
ना देने से करोंड़ों रुपयों की बचत भी होगी /
कामचोरी नहीं होगी और भ्रस्टाचार में भी 
काफी कमी आएगी /देश की और तरक्की होगी /
नेता भी जिन सरकारी विभागों के नाम पर 
सरकार से  फंड लेते हैं वो लेने की जरुरत भी नहीं पड़ेगी
 तो भ्रस्टाचार भी नहीं हो पायेगा / 
goverment school









जीवन हुआ दुश्वार ,जनता हुई बेजार 
बंद करो बंद करो ये भ्रष्टाचार/

                                                                        
   

Comments

Shalini kaushik said…
bahut sahi sahi kaha aapne prerna ji aabhar.
बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति के लिए ||
मै रक्तबीज हूँ
कभी नहीं मारूंगा,
झाँक कर देखो
तुम्हारे बीच फिर उग आया हूँ ,
DR. ANWER JAMAL said…
@ प्रेरणा जी, कृप्या यह ध्यान रखें कि प्यारी मां ब्लॉग पर केवल ‘मां‘ से संबंधित सामग्री ही प्रकाशित करें।
हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल पर आप किसी भी तरह की सामग्री पेश कर सकती हैं।
आपके लेख मुझे पसंद हैं। आप सचमुच अच्छा लिखती हैं।
आपके ज़रिये हमें बहुत कुछ जानने को मिलेगा।

Thanks a lot.

Popular posts from this blog

माँ बाप की अहमियत और फ़ज़ीलत

मदर्स डे पर विशेष भेंट  इस्लाम में हुक़ूक़ुल ऐबाद की फ़ज़ीलत व अहमियत इंसानी मुआशरे में सबसे ज़्यादा अहम रुक्न ख़ानदान है और ख़ानदान में सबसे ज़्यादा अहमियत वालदैन की है। वालदैन के बाद उनसे मुताल्लिक़ अइज़्जा वा अक़रबा के हुक़ूक़ का दर्जा आता है डाक्टर मोहम्मद उमर फ़ारूक़ क़ुरैशी 1 जून, 2012 (उर्दू से तर्जुमा- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम) दुनिया के हर मज़हब व मिल्लत की तालीमात का ये मंशा रहा है कि इसके मानने वाले अमन व सलामती के साथ रहें ताकि इंसानी तरक़्क़ी के वसाइल को सही सिम्त में रख कर इंसानों की फ़लाहो बहबूद का काम यकसूई के साथ किया जाय। इस्लाम ने तमाम इंसानों के लिए ऐसे हुक़ूक़ का ताय्युन किया है जिनका अदा करना आसान है लेकिन उनकी अदायगी में ईसार व कुर्बानी ज़रूरी है। ये बात एक तरह का तर्बीयती निज़ाम है जिस पर अमल कर के एक इंसान ना सिर्फ ख़ुद ख़ुश रह सकता है बल्कि दूसरों के लिए भी बाइसे राहत बन सकता है। हुक़ूक़ की दो इक़्साम हैं । हुक़ूक़ुल्लाह और हुक़ूक़ुल ऐबाद। इस्लाम ने जिस क़दर ज़ोर हुक़ूक़ुल ऐबाद पर दिया है इससे ये अमर वाज़ेह हो जाता है कि इन हुक़ूक़ का कितना बुलंद मुक़ाम है और उन...

माँ The mother (Urdu Poetry Part 2)

हम  बलाओं में कहीं घिरते हैं तो बेइख्तियार ‘ख़ैर हो बच्चे की‘ कहकर दर पे आ जाती है माँ दूर हो जाता है जब आँखों से गोदी का पला दिल को हाथों से पकड़कर घर को आ जाती है माँ दूसरे ही दिन से फिर रहती है ख़त की मुन्तज़िर दर पे आहट हो हवा से भी तो आ जाती है माँ चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जाएँ दोस्तो ! जब मुसीबत सर पे आती है तो याद आती है माँ दूर हो जाती है सारी उम्र की उस दम थकन ब्याह कर बेटे की जब घर में बहू लाती है माँ छीन लेती है वही अक्सर सुकूने ज़िंदगी प्यार से दुल्हन बनाकर जिसको घर लाती है माँ हमने यह भी तो नहीं सोचा अलग होने के बाद जब दिया ही कुछ नहीं हमने तो क्या खाती है माँ ज़ब्त तो देखो कि इतनी बेरूख़ी के बावुजूद बद्-दुआ देती है हरगिज़ और न पछताती है माँ अल्लाह अल्लाह, भूलकर हर इक सितम को रात दिन पोती पोते से शिकस्ता दिल को बहलाती है माँ बेटा कितना ही बुरा हो, पर पड़ोसन के हुज़ूर रोक कर जज़्बात को बेटे के गुन गाती है माँ शादियाँ कर करके बच्चे जा बसे परदेस में दिल ख़तों से और तस्वीरों से बहलाती है माँ अपने सीने पर रखे है कायनाते ज़िंदगी ये ज़मीं इस वास्ते ऐ दोस्त कहलाती है...

Maa...

MAA क्या होती है माँ   हजारों दर्द और तकलीफ़ें सह कर अपने बच्चे की एक मासूम मुस्कुराहट को देख कर अपने सारे गम भूला देने वाली होती है माँ , या फिर अपने बच्चे की खुशी के लिए कुछ भी त्याग करने को तत्पर रहने वाली होती है माँ , या फिर अपने बच्चे के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए दिल पर पत्थर रख कर निर्णय लेने वाली होती है माँ , माँ एक ऐसा शब्द है जिसके नाम में ही सुकून छुपा होता है प्यार छुपा होता है। जिसका नाम लेते ही हर दर्द जैसे कम हो जाता है , है ना , J कि सी ने कितना सुंदर कहा है ना की “ हाथों की लकीरें बादल जाएगी गम की यह जंज़ीरे पिघल जाएगी हो खुदा पर भी असर तू दुआओं का है ”   कितना कुछ जुड़ा होता है हमारे इस जीवन में इस “ माँ ” शब्द के नाम के साथ जैसे प्यार , डांट यादें एक बच्चे के बचपन की यादें और एक माँ की खुद के बचपन और अपने बच्चे के बचपन दोनों की यादें, कुछ खट्टी कुछ मिट्ठी यादें। जब कोई माँ  एक बच्चे को जन्म देती है तब वह उसके बचपन में अपना खुद का बचपन देख कर जीती है। उस नन्हे से पौधे को अपनी ममता और संस्कारों से पाल पोस कर बड़ा करती है इसलिए ...