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माँ ! वो पारस है !

माँ ! वो पारस है !


कभी माँ के थके पैरों को दबा कर देखो
ख़ुशी जन्नत की अपने दिल में तुम पा जाओगे .

जिसने देकर के थपकी सुलाया है तुम्हे
क्या उसे दर्द देकर चैन से सो पाओगे ?

करीब बैठकर माँ की नसीहतें भी सुनो
कई गुस्ताखियाँ करने से तुम बच जाओगे .

उसने हर फ़र्ज़ निभाया है बड़ी तबियत से
उसके हिस्से का क्या आराम तुम दे पाओगे ?

उम्रदराज़ हुई चल नहीं वो पाती है
उसे क्या छोड़ पीछे आगे तुम बढ जाओगे ?

जिसने कुर्बान करी अपनी हर ख़ुशी तुम पर
उसके होठों पे क्या मुस्कान सजा पाओगे ?

तुम्हे छू कर के मिटटी से बनाती सोना
माँ ! वो पारस है उसे भूल कैसे पाओगे ?

शिखा कौशिक

Comments

Vivek Jain said…
करीब बैठकर माँ की नसीहतें भी सुनो
कई गुस्ताखियाँ करने से तुम बच जाओगे .

वाह,आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जिसने कुर्बान करी अपनी हर ख़ुशी तुम पर
उसके होठों पे क्या मुस्कान सजा पाओगे ?

सुन्दर प्रस्तुति,
हार्दिक बधाई ||
Manish Khedawat said…
behad umda :clap: :clap:

maa hasti hi aisi hoti hai :)
Sakht Raahon me bhi aasaan safar lagta hai...
Yeh meri maa ki duaaon ka asar lagta hai...

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