मैंने
अभी-अभी
मां कहना सीखा है,
और कोई शब्द मुंह से
निकलता है न मेरी बोली
कोई समझता है,
सच मानो तो
मां मेरी हमजोली है
मेरे आंखों की भाषा को
वह पढ़ लेती है,
मेरे मौन को भी सुन लेती है
मैने अभी-अभी ....।।
मेरी भूख-प्यास का
मुझसे पहले
मां को पता चल जाता है,
जब भी मैने
मां की उंगली थामी है
चलते से रूक जाती है
मेरी ममता की मनुहार को
आंचल में अपने छिपाती है
माथे पे मेरे
बुरी नज़र से बचने को
काज़ल का टीका भी लगाती है
मैने अभी - अभी ....।।
Comments
saader
rachana
बधाई हो आपको - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
ऐसा लगा जैसे मैंने ख़ुद अभी अभी मां कहना सीखा हो।
शुक्रिया !