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समाज का डर


समाज का डर

Manish Khedawat said…
jindagi ki sachhai ko bakhoobi bayan kiya hai aapne !
Bahut sunder rachna ! badhai !
___________________________________
...दिल में कसक आज़ भी हैं ||
करते रहो प्रहार,
बात बन जायगी जरुर |
आज हम समझे हैं-
कल दुनिया भी समझ जाएगी जरुर ||
तलवार से भी तेज धार वाली ये कलम
चलाते जाओ---
मंजिल आएगी जरुर ||
DR. ANWER JAMAL said…
समाज का डर अच्छा है अगर समाज अच्छा हो क्योंकि अच्छा समाज बुरी बातों से रोकता है जबकि बुरा समाज डराता है अच्छे लोगों को । भटके हुए लोगों के बीमार समाज से डरना बेकार है ।

सहमत ।
Shalini kaushik said…
समाज का डर अच्छा है अगर समाज अच्छा हो क्योंकि अच्छा समाज बुरी बातों से रोकता है जबकि बुरा समाज डराता है अच्छे लोगों को । भटके हुए लोगों के बीमार समाज से डरना बेकार है ।
anwar jamal ji ki ye tippani aapki hi nahi sabhi blogs ki post ke liye mahtvapoorn hai.
nice post.

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