समाज का डर
Manish Khedawat said…
करते रहो प्रहार,
बात बन जायगी जरुर |
आज हम समझे हैं-
कल दुनिया भी समझ जाएगी जरुर ||
तलवार से भी तेज धार वाली ये कलम
चलाते जाओ---
मंजिल आएगी जरुर ||
बात बन जायगी जरुर |
आज हम समझे हैं-
कल दुनिया भी समझ जाएगी जरुर ||
तलवार से भी तेज धार वाली ये कलम
चलाते जाओ---
मंजिल आएगी जरुर ||
समाज का डर अच्छा है अगर समाज अच्छा हो क्योंकि अच्छा समाज बुरी बातों से रोकता है जबकि बुरा समाज डराता है अच्छे लोगों को । भटके हुए लोगों के बीमार समाज से डरना बेकार है ।
सहमत ।
सहमत ।
समाज का डर अच्छा है अगर समाज अच्छा हो क्योंकि अच्छा समाज बुरी बातों से रोकता है जबकि बुरा समाज डराता है अच्छे लोगों को । भटके हुए लोगों के बीमार समाज से डरना बेकार है ।
anwar jamal ji ki ye tippani aapki hi nahi sabhi blogs ki post ke liye mahtvapoorn hai.
nice post.
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nice post.
Bahut sunder rachna ! badhai !
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...दिल में कसक आज़ भी हैं ||