ये ऐसा बंधन है कभी टूट नहीं सकता ,
ये ऐसी दौलत है कोई लूट नहीं सकता ,
जीवन भर देती हम सबको दुआएं
हम सब की माएं ;हम सबकी माएं.
वो अपना निवाला बच्चे को दे देती ,
बदले में बच्चे से भला माँ है क्या लेती ?
अपने पर ले लेती वो सारी बलाएँ ,
हम सबकी माएं,हम सब की माएं
जो भटके कभी हम वो राह दिखाती,
जीने का सलीका माँ ही तो सिखाती
ममता के मोती बच्चों पे लुटाएं ,
हम सबकी माएं.हम सबकी माएं .
जो गोद में लेकर रोते को हँसाती;
जो ऊँगली पकड़कर चलना है सिखाती ,
जो खुद जगती रहकर बच्चे को सुलाएं
हम सब की माएं ,हम सबकी माएं .
शिखा कौशिक
Comments
aapki aawaz me ise sunna bahut achchha laga.aabhar.
चर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
स्पेशल काव्यमयी चर्चाः-“चाहत” (आरती झा)
आमीन ।
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bahut hi nayab v ishwar ka duya hua hame ek hassen ,khoobsurat tohfa hai maa. maa shabd hi aisa hai jiske aage har shabd nagany ho jaaye
is beintaha rachna ke liye shayad mere paas shabd nahi hai ----
maa---to bas hai maa
dili bdhai swikaren---
poonam
maa hum sab ki ma
bahut khoob
rachana