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सबसे खुशनसीब


सबसे   खुशनसीब 

औलाद जो सदा माँ के करीब  है ;
सारी दुनिया में वो ही खुशनसीब  है .

जिसको परवाह नहीं माँ के सुकून की ;
शैतान का वो बंदा खुद अपना रकीब है .

दौलतें माँ की दुआओं की नहीं सहेजता 
इंसान ज़माने में वो सबसे गरीब है .

जो लबों पे माँ के मुस्कान सजा दे 
दिन रात उस बन्दे के दिल में मनती ईद है .

माँ जो खफा कभी हुई गम-ए -बीमार हो गए ;
माँ की दुआ की हर दवा इसमें मुफीद है .

है शुक्र उस खुदा का जिसने बनाई माँ !
मुबारक हरेक लम्हा जब उसकी होती दीद है .
   
                         शिखा कौशिक 




Comments

Unknown said…
बेहतरीन कविता, हृदयस्पर्शी बधाई
DR. ANWER JAMAL said…
शिखा जी आपने बहुत सही कहा है कि जो आदमी अपने मां-बाप का शुक्रगुज़ार नहीं है वह शैतान है। जो शख्स नज़र आने वाले अपने मां-बाप का हक़ अदा न कर सका वह नज़र न आने वाले रब का हक़ कैसे अदा कर सकता है ?

माँ-बाप के बारे में अल्लाह का हुक्म , जिसका पालन हर इंसान पर अनिवार्य है Qur'anic teachings
Shikha Kaushik said…
utsah vardhan hetu kushvansh ji aur anwar jamal ji ko bahut bahut dhanyawad.
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (21.05.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
Shalini kaushik said…
bahut sundar prastuti bahut pyare dhang se.
iske aage sab vyarth hai..

bilkul sach.
Unknown said…
बहुत अच्छी कविता | शानदार |
आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
सदा said…
बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ...बधाई ।
Shikha Kaushik said…
Satyam ji,Shalini ji,Amit ji,Pradeep ji,Sharad ji ,Sada ji -sarthak v sateek tippani dwara aapne mera utsahvardhan kiya hai .meri or se dhanywad swikar karen .
है शुक्र उस खुदा का जिसने बनाई माँ !
मुबारक हरेक लम्हा जब उसकी होती दीद है .
bahut sunder bhavpoorn rachna ..
Kailash Sharma said…
दौलतें माँ की दुआओं की नहीं सहेजता
इंसान ज़माने में वो सबसे गरीब है .

बहुत सच कहा है..हर पंक्ति अंतस को छू जाती है..बहुत सुन्दर

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