Skip to main content

माँ एक एक श्वास है


कोई मुझसे पूछता -फरिश्ते से मिली हो कभी ?
मैं उसे ये बोलती ''मै माँ से मिलकर आई  हूँ !

कोई मुझसे पूछता -तू कैसे खुशमिजाज है ?
मै उसे ये बोलती -''ये माँ का आशीर्वाद है .

कोई मुझसे पूछता -''क्या नहीं जन्नत की आरजू ?
मैं उसे ये बोलती -''मेरे पास माँ की गोद है .

कोई मुझसे पूछता -''देखा है खूबसूरत कोई ?
मैं उसे ये बोलती ''मेरी माँ से सुन्दर कौन है !

कोई मुझसे पूछता -''क्या है तू दौलतमंद भी ?
मैं उसे ये बोलती -''माँ की दुआएं साथ हैं .

कोई मुझ से  पूछता -''माँ से अलग क्या कुछ नहीं ?
मैं उसे ये बोलती -'' दिल की धड़कन है वही ,माँ एक एक श्वास है !
            शिखा कौशिक 

Comments

Shalini kaushik said…
कोई मुझ से पूछता -''माँ से अलग क्या कुछ नहीं ?
मैं उसे ये बोलती -'' दिल की धड़कन है वही ,माँ एक एक श्वास है !
har pantki sangrahniy hai aur in panktiyon me sari kavita ka sar samahit hai.vastav me ek ek shwas maa hi hai.
कोई मुझ से पूछता -''माँ से अलग क्या कुछ नहीं ?
मैं उसे ये बोलती -'' दिल की धड़कन है वही ,माँ एक एक श्वास है !

शिखा जी मन को छू लेने वाली रचना

माँ ही हमारी सर्वश्व है जितना भी लिखो माँ पर कम है

माँ एक महाकाव्य है

माँ एक मूर्ति के अन्दर की जान है

हम एक मूर्ति हैं

वो हमारी प्राण है

बहुत खूब

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
Kunal Verma said…
बहुत खूब
DR. ANWER JAMAL said…
कविता के भाव सुंदर हैं।
http://tobeabigblogger.blogspot.com/2011/04/charity-begins-
-फरिश्ते से मिली हो कभी ?
''मै माँ से मिलकर आई हूँ !
sach hai sach hai... ishwar ka ek naam maa hai
सदा said…
कोई मुझसे पूछता -फरिश्ते से मिली हो कभी ?
मैं उसे ये बोलती ''मै माँ से मिलकर आई हूँ !

वाह ... आपने तो नि:शब्‍द कर दिया ...इस सोच को नमन हर पंक्ति बेमिसाल ।
बहुत सुंदर भाव है ?तुझमे रब दीखता है ,माँ में क्या करू !
shikha ji
kya likhun maa ke baare me .aapne to itni sundarta ke saath maa shad ke har roop ka vivechan kar diya hai ki uske aage kuchh bhi likhna nirarthak hi hoga .
aapne bilkul sahi likha hai
maa se badh kar kya aur bhi koi anmol khajana ho sakta hai .
har ek pankti lazwab
sada ji ko bhi dhanyvad aapki itni sindar rachna padhwane ke liye .
aap dono ko hi bahut bahut badhai
poonam
A.G.Krishnan said…
A Great Salute to all Mothers.


Just Laugh :-

Ronie, the 7 yrs. old naughty son is on board a flight with his Dad (Minister of Aviation)…running here n there, making noise. Airhostesses are trying to catch and make him sit as the flight is about to take off but he’d not listen. He sees something unusual and comes to his Dad who is surrounded by airline officials, press etc.

Ronie (shouting) : Dad.

Dad : Just wait I’m busy son…….enjoy yourself.

Ronie : I wanna give you some breaking news.

Dad : Keep quite......I’ll come to you.

Ronie : No Dad……it's serious I need to talk to you right now.

(Airhostess comes and drags Ronie away; there is a big roar and flight takes off. After a while, Ronie comes to his Dad).

Dad (smiles) : You wanted to say something………..very serious ?

Ronie : Come on Dad, it’s no more serious now, God is with us.

Dad : Tell me exactly what happened ?

Ronie : Didi is flying plane alone.

Dad : Which Didi ?

Ronie : Don’t you remember…..…Rashmi Didi, daughter of Sharan Uncle, Jt. Director DGCA who was trained by Raipur based Touchwood Aviation who didn’t even have a single aircraft at their airport base, neither did they have a classroom or a hangar.

Dad : OMG……..(shouting)……….Idiot you are telling me now when our flight is some thousand feets above ground……anyway where is co-pilot ?

Ronie : She stuck up at traffic jam, could not board.......Didi is the only pilot available on plane.

DAD FAINTS

Popular posts from this blog

माँ बाप की अहमियत और फ़ज़ीलत

मदर्स डे पर विशेष भेंट  इस्लाम में हुक़ूक़ुल ऐबाद की फ़ज़ीलत व अहमियत इंसानी मुआशरे में सबसे ज़्यादा अहम रुक्न ख़ानदान है और ख़ानदान में सबसे ज़्यादा अहमियत वालदैन की है। वालदैन के बाद उनसे मुताल्लिक़ अइज़्जा वा अक़रबा के हुक़ूक़ का दर्जा आता है डाक्टर मोहम्मद उमर फ़ारूक़ क़ुरैशी 1 जून, 2012 (उर्दू से तर्जुमा- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम) दुनिया के हर मज़हब व मिल्लत की तालीमात का ये मंशा रहा है कि इसके मानने वाले अमन व सलामती के साथ रहें ताकि इंसानी तरक़्क़ी के वसाइल को सही सिम्त में रख कर इंसानों की फ़लाहो बहबूद का काम यकसूई के साथ किया जाय। इस्लाम ने तमाम इंसानों के लिए ऐसे हुक़ूक़ का ताय्युन किया है जिनका अदा करना आसान है लेकिन उनकी अदायगी में ईसार व कुर्बानी ज़रूरी है। ये बात एक तरह का तर्बीयती निज़ाम है जिस पर अमल कर के एक इंसान ना सिर्फ ख़ुद ख़ुश रह सकता है बल्कि दूसरों के लिए भी बाइसे राहत बन सकता है। हुक़ूक़ की दो इक़्साम हैं । हुक़ूक़ुल्लाह और हुक़ूक़ुल ऐबाद। इस्लाम ने जिस क़दर ज़ोर हुक़ूक़ुल ऐबाद पर दिया है इससे ये अमर वाज़ेह हो जाता है कि इन हुक़ूक़ का कितना बुलंद मुक़ाम है और उनकी अ

माँ की ममता

ईरान में सात साल पहले एक लड़ाई में अब्‍दुल्‍ला का हत्यारा बलाल को सरेआम फांसी देने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. इस दर्दनाक मंजर का गवाह बनने के लिए सैकड़ों का हुजूम जुट गया था. बलाल की आंखों पर पट्टी बांधी जा चुकी थी. गले में फांसी का फंदा भी  लग चुका था. अब, अब्‍दुल्‍ला के परिवार वालों को दोषी के पैर के नीचे से कुर्सी हटाने का इंतजार था. तभी, अब्‍दुल्‍ला की मां बलाल के करीब गई और उसे एक थप्‍पड़ मारा. इसके साथ ही उन्‍होंने यह भी ऐलान कर दिया कि उन्‍होंने बलाल को माफ कर दिया है. इतना सुनते ही बलाल के घरवालों की आंखों में आंसू आ गए. बलाल और अब्‍दुल्‍ला की मां भी एक साथ फूट-फूटकर रोने लगीं.

माँ को घर से हटाने का अंजाम औलाद की तबाही

मिसालः‘आरूषि-हेमराज मर्डर केस’ आज दिनांक 26 नवंबर 2013 को विशेष सीबीाआई कोर्ट ने ‘आरूषि-हेमराज मर्डर केस’ में आरूषि के मां-बाप को ही उम्रक़ैद की सज़ा सुना दी है। फ़जऱ्ी एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए डा. राजेश तलवार को एक साल की सज़ा और भुगतनी होगी। उन पर 17 हज़ार रूपये का और उनकी पत्नी डा. नुपुर तलवार पर 15 हज़ार रूपये का जुर्माना भी लगाया गया है। दोनों को ग़ाजि़याबाद की डासना जेल भेज दिया गया है। डा. नुपुर तलवार इससे पहले सन 2012 में जब इसी डासना जेल में बन्द थीं तो उन्होंने जेल प्रशासन से ‘द स्टोरी आॅफ़ एन अनफ़ार्चुनेट मदर’ शीर्षक से एक नाॅवेल लिखने की इजाज़त मांगी थी, जो उन्हें मिल गई थी। शायद अब वह इस नाॅवेल पर फिर से काम शुरू कर दें। जेल में दाखि़ले के वक्त उनके साथ 3 अंग्रेज़ी नाॅवेल देखे गए हैं।  आरूषि का बाप राकेश तलवार और मां नुपुर तलवार, दोनों ही पेशे से डाॅक्टर हैं। दोनों ने आरूषि और हेमराज के गले को सर्जिकल ब्लेड से काटा और आरूषि के गुप्तांग की सफ़ाई की। क्या डा. राजेश तलवार ने कभी सोचा था कि उन्हें अपनी मेडिकल की पढ़ाई का इस्तेमाल अपनी बेटी का गला काटने में करना पड़ेगा?