Skip to main content

माँ की ममता .....







"कैसी होती है माँ की ममता "
प्रश्न है बड़ा कठिन
मगर जबाब की लालसा होती है .....

भुला के प्रसव की पीड़ा को
जब आँचल में समेटती है
वह नवजात शिशु को
एक हाथ में थामें शिशु को
दूजे हाथ से वह संभाले तन को
उस पल का कोई मोल नहीं
हाँ -
ऐसी होती है माँ की ममता
जिसका कोई तोल नहीं ......

बूढी हड्डियों में है ना दम
हाथ पैरों में है अब कम्पन
फिर भी हर दिन हर पल
नातिन को लिए गोद में
अस्पतालों के चक्कर लगाती है
कोई बोले यहाँ दिखा दो
कोई बोले वहाँ दिखा दो
भरे दिल में उम्मीद की आस
यूँही जीवन जीती जाती है ....
उस पल का कोई मोल नहीं
हाँ -
ऐसी होती है माँ की ममता
जिसका कोई तोल नहीं .......

जब नहीं होती है माँ पास में
मौसी ही माँ बन जाती है
दिल से निकली हर आह पर
सीना उसका छलनी होता है
तोड़ दुनिया के नियम कानून सब
वही ढाल बन जाती है
नहीं होती तब परवाह स्वयं की
हर आंसू का हिसाब वो  पूरा चुकवाती है .....
उस पल का कोई मोल नहीं
हाँ -
ऐसी होती है माँ की ममता
जिसका कोई तोल नहीं ......

जब कभी बचपन में
भूख की आग सताती है
पास नहीं जब होता कोई
बुआ ही हाथ अपना बढ़ाती है
चम्मच में भर  चीनी मलाई
प्यार से खुद ही खिलाती है ....
उस पल का कोई मोल नहीं
हाँ -
ऐसी होती है माँ की ममता
जिसका  कोई तोल नहीं ......

जब कभी कमजोर पलों में
भाई बहन संग होती है नोकझोक
कौन है स्वयं की बेटी
कौन है ननद की बेटी
बिना यह महसूस किये
मामी ही सर पर हाथ फिराती है
छोड़ खुद की भोजन - थाली
गोद उठा कर दुनिया नयी दिखाती है ....
उस पल का कोई मोल नहीं
हाँ -
ऐसी होती है माँ की ममता
जिसका कोई तोल नहीं ......

बहुत कठिन है समझना इसको -
जननी की महानता तो है जग जाहिर
पर पालनकर्ता छिपी हुयी पर्दों में
नहीं नजर आ पाती है ...
दूजे की संतान को
समर्पित भाव से अपना तन - मन देना
यही है सच्ची माँ की ममता
जिसका कोई मोल नहीं
जिसका कोई तोल नहीं .......!!!!!!!





प्रियंका राठौर



Comments

DR. ANWER JAMAL said…
हाँ -
ऐसी होती है माँ की ममता
जिसका कोई तोल नहीं ....
सदा said…
माँ की ममता
जिसका कोई तोल नहीं ......

बिल्‍कुल सच कहा है आपने ... मां की ममता ऐसी ही होती है ।
Sadhana Vaid said…
बहुत सुन्दर रचना ! जन्म देने वाली माँ की महत्ता से जुड़ी तो तमाम रचनाएं पढ़ते आ रहे हैं ! आपने जिस संवेदनशीलता के साथ माँ जैसे ही वात्सल्य एवं ममता से भरे अन्य रिश्तों की महत्ता को भी स्वीकारा है उसने मन को बहुत सुख और आनंद दिया है ! इतनी खूबसूरत रचना लिखने के लिये और इतना उदार और खूबसूरत हृदय पाने के लिये बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें !
माँ तो बस माँ ही है| माँ की जगह दुनियां में कोई नहीं ले सकता है| धन्यवाद|
***Punam*** said…
माँ बस माँ होती है...

कुछ भी लिखा जाए..

कितना भी लिखा जाए..

उसका बयां शब्दों में करना नामुमकिन नहीं

असंभव है..

Popular posts from this blog

माँ बाप की अहमियत और फ़ज़ीलत

मदर्स डे पर विशेष भेंट  इस्लाम में हुक़ूक़ुल ऐबाद की फ़ज़ीलत व अहमियत इंसानी मुआशरे में सबसे ज़्यादा अहम रुक्न ख़ानदान है और ख़ानदान में सबसे ज़्यादा अहमियत वालदैन की है। वालदैन के बाद उनसे मुताल्लिक़ अइज़्जा वा अक़रबा के हुक़ूक़ का दर्जा आता है डाक्टर मोहम्मद उमर फ़ारूक़ क़ुरैशी 1 जून, 2012 (उर्दू से तर्जुमा- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम) दुनिया के हर मज़हब व मिल्लत की तालीमात का ये मंशा रहा है कि इसके मानने वाले अमन व सलामती के साथ रहें ताकि इंसानी तरक़्क़ी के वसाइल को सही सिम्त में रख कर इंसानों की फ़लाहो बहबूद का काम यकसूई के साथ किया जाय। इस्लाम ने तमाम इंसानों के लिए ऐसे हुक़ूक़ का ताय्युन किया है जिनका अदा करना आसान है लेकिन उनकी अदायगी में ईसार व कुर्बानी ज़रूरी है। ये बात एक तरह का तर्बीयती निज़ाम है जिस पर अमल कर के एक इंसान ना सिर्फ ख़ुद ख़ुश रह सकता है बल्कि दूसरों के लिए भी बाइसे राहत बन सकता है। हुक़ूक़ की दो इक़्साम हैं । हुक़ूक़ुल्लाह और हुक़ूक़ुल ऐबाद। इस्लाम ने जिस क़दर ज़ोर हुक़ूक़ुल ऐबाद पर दिया है इससे ये अमर वाज़ेह हो जाता है कि इन हुक़ूक़ का कितना बुलंद मुक़ाम है और उन...

माँ तो माँ है...

कितना सुन्दर नाम है इस ब्लॉग का प्यारी माँ .हालाँकि प्यारी जोड़ने की कोई ज़रुरत ही नहीं है क्योंकि माँ शब्द में संसार का सारा प्यार भरा है.वह प्यार जिस के लिए संसार का हर प्राणी भूखा है .हर माँ की तरह मेरी माँ भी प्यार से भरी हैं,त्याग की मूर्ति हैं,हमारे लिए उन्होंने अपने सभी कार्य छोड़े और अपना सारा जीवन हमीं पर लगा दिया. शायद सभी माँ ऐसा करती हैं किन्तु शायद अपने प्यार के बदले में सम्मान को तरसती रह जाती हैं.हम अपने बारे में भी नहीं कह सकते कि हम अपनी माँ के प्यार,त्याग का कोई बदला चुका सकते है.शायद माँ बदला चाहती भी नहीं किन्तु ये तो हर माँ की इच्छा होती है कि उसके बच्चे उसे महत्व दें उसका सम्मान करें किन्तु अफ़सोस बच्चे अपनी आगे की सोचते हैं और अपना बचपन बिसार देते हैं.हर बच्चा बड़ा होकर अपने बच्चों को उतना ही या कहें खुद को मिले प्यार से कुछ ज्यादा ही देने की कोशिश करता है किन्तु भूल जाता है की उसका अपने माता-पिता की तरफ भी कोई फ़र्ज़ है.माँ का बच्चे के जीवन में सर्वाधिक महत्व है क्योंकि माँ की तो सारी ज़िन्दगी ही बच्चे के चारो ओर ही सिमटी होती है.माँ के लिए कितना भी हम करें वह माँ ...

"माँ ममता और बचपन"

माँ की ममता एक बच्चे के जीवन की अमूल्य धरोहर होती है । माँ की ममता वो नींव का पत्थर होती है जिस पर एक बच्चे के भविष्य की ईमारत खड़ी होती है । बच्चे की ज़िन्दगी का पहला अहसास ही माँ की ममता होती है । उसका माँ से सिर्फ़ जनम का ही नही सांसों का नाता होता है । पहली साँस वो माँ की कोख में जब लेता है तभी से उसके जीवन की डोर माँ से बंध जाती है । माँ बच्चे के जीवन के संपूर्ण वि़कास का केन्द्र बिन्दु होती है । जीजाबाई जैसी माएँ ही देश को शिवाजी जैसे सपूत देती हैं । जैसे बच्चा एक अमूल्य निधि होता है वैसे ही माँ बच्चे के लिए प्यार की , सुख की वो छाँव होती है जिसके तले बच्चा ख़ुद को सुरक्षित महसूस करता है । सारे जहान के दुःख तकलीफ एक पल में काफूर हो जाते हैं जैसे ही बच्चा माँ की गोद में सिर रखता है ।माँ भगवान का बनाया वो तोहफा है जिसे बनाकर वो ख़ुद उस ममत्व को पाने के लिए स्वयं बच्चा बनकर पृथ्वी पर अवतरित होता है । एक बच्चे के लिए माँ और उसकी ममता का उसके जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान होता है । मगर हर बच्चे को माँ या उसकी ममता नसीब नही हो पाती । कुछ बच्चे जिनके सिर से माँ का...