ज़माने के हालात देखकर
मरने को मन तो करता है मेरा
मगर उस दुआ का क्या होगा
जो किसी ने मांगी थी
मेरी सलामती के लिए
उन आंखों का क्या होगा
जो आते-जाते देखती हैं
मेरा रास्ता
उस दिल का क्या होगा
जो धड़कता है मेरा नाम लेकर
और उन सांसों का क्या होगा
जो चलती हैं मेरी सांसों के साथ
मेरी उस बूढ़ी मां का क्या होगा
जो बसती है मेरी धड़कन में
और मुझे इंसान बनाया।
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२९/11- भार्गव नगर,
जालंधर, 144003 (पंजाब)
Comments
मुशायरा ब्लॉग पर भी तशरीफ़ लाये.
मेहरबानी होगी.
शुक्रिया .