
तब और अब
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*तब भी कहीं ठहरी थी ज़िंदगी *
*कहीं रुक के मैंने भी *
*छाँह तलाशी थी ! *
*तब हवाओं में खुशबू थी *
*गुलों में ताज़गी थी *
*मन में आशा थी *
*नैनों में सुनहर...
बस एक माँ है जो मुझ से कभी ख़फ़ा नहीं होती
18 comments:
बेहतरीन भाव लिए रचना।
शब्द नहीं सूझ रहे... क्या लिखूं इस पर।
आपने तो रूला ही दिया।
एक बार फिर बेहतरीन।
मैं तुझ में ही तो समाई हुई हूँ
यह बिलकुल सच है.
और यह भी सच है कि आँखें भर आईं. इन खूबसूरत अशआर के साथ हम आपका और आपकी इस बेहतरीन रचना का इस्तक़बाल करते हैं.
उम्र भर रखे रही सर पर ज़रूरतों का पहाड़
थक गई साँसें तो अब आराम फरमाते है माँ
जो जुबां पर भी न आये , दिल में घुट कर रह गए
ऐसे कुछ अरमान अपने साथ ले जाती है माँ
आपकी आमद ने आज हमारी देरीना इंतज़ार को बिल-आख़िर ख़तम कर दिया.
जजाकल्लाह .
bhtrin rchnaa mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
यह ब्लॉग अब आपको एक और एग्रीगेटर 'अपना ब्लॉग' पर भी दिखाई देगा.
इसी के साथ आज मैंने अपने कई और ब्लॉग्स भी इस एग्रीगेटर पर जोड़ दिया है.
रास्ते अभी और भी हैं ट्रैफिक बढाने के लिए. जैसे जैसे मेरा इल्म बढ़ता जायेगा और मुझे वक़्त मिलता जायेगा , मैं आपकी आवाज़ को ज्यादा से ज़्यादा फैलाता चला जाऊंगा.
आप लिखते रहें और हम पढ़ते रहें ऐसी हमारी इच्छा है.
शुक्रिया.
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/03/good-news.html
मानों आईने के उस पार से तूं बोली, “बेटी कितनी यादोँ को समेटती रहोगी?
मैं तुझ ही में तो समाई हुई हुं।
सुन्दर, बेहतरीन
Vivek Jain (vivj2000.blogspot.com)
बहुत ही बेहतरीन भाव... बेहद खूबसूरत रचना...
यह वाकई एक अच्छी खबर है कि प्यारी माँ ब्लॉग पर साधना वैद जी और जानी मानी शायरा रज़िया मिर्ज़ा साहेबा भी आ चुकी हैं और आते ही दोनों ने प्यारी माँ की ख़िदमत में काव्य रचना की शक्ल में अपना नजराना ए अक़ीदत भी पेश किया है . दोनों कलाम अपने आप में खूब से खूबतर हैं. हम इस्तकबाल करते हैं.
इस खुशखबरी का चर्चा आप यहाँ भी देख सकते हैं
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/03/blog-post_27.html
बहुत सुन्दर भाव
रज़िया जी एक बेहतरीन पेश्लाश ले लिए बहुत बहुत शुक्रिया. जिसकी मान जिंदा है और वो अपनी मां के करीब नहीं ,या उसका ख्याल नहीं रखता, बदकिस्मत है क्यों कि जिस दिनं मां इस दुनिया से चली जाएगी बहुत पछताएगा, लेकिन मां को नहीं पाएगा.
डो.जमाल साहब,अतुलजी,शाहनवाज़साहब,संगिताजी,विवेक्जी,वन्दनाजी,मासूम साहब और अख़्तर साहब।
आप सभी का बहोत बहोत शुक्रिया। मेरी रचना को सराहने के लिये। ये रचना ही सिर्फ़ नहिं है ये हक़ीकत बयाँ की है मैने।
डो.जमाल साहब की तहे दिल से शुक्रगुज़ार हुं जिन्होंने मुझे प्यारी माँ ब्लोग पर लिखने को कहा।
हकीम युनुसख़ान साहब । आपका शुक्रिया अदा करती हुं जो आपने हमें इतनी इज़्ज़त बक्षी है अपने अलफ़ाज से।
बहुत खूब ...भावमय करते शब्द ।
वास्तविकता के बहुत करीब बेहद पनी सी रचना ! हर बेटी के मन के जज्बातों को बहुत ही खूबसूरत अलफ़ाज़ दे दिए आपने ! मेरी बधाई क़ुबूल करें !
आंखें नम हो गईं। गहरे भाव खुद में समेटे ये पंक्तियां बेहतरीन हैं।
Bhut sundar rachna !
मैं तुझ ही में तो समाई हुई हुं।
“तुं ही तो मेरा वजुद है बेटी
khubsurat ahsason se sazi rachna
very beautiful... har baat, har yaad samet li...
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