Skip to main content

यादे ! यादे !! यादे !!!




  

तेरा चेहरा मुझको याद नही पर, 
तेरी गोद मुझे याद है माँ !
तेरा प्यार याद नही रहा पर ,
उसका एहसास मुझे याद है माँ !
तेरे दुध से जीवन दान मिला ,
पर उस दूध की खुशबु याद नही माँ !
मेरे दिल पर तेरा हक़ है पर ,
मेरे शरीर को तेरा साथ नही माँ !
जब पैदा हुई तो तेरा आगोश था ,
पर अब जीवन में वह आस नही माँ !
तुझसे मिलना न मुमकिन है पर ,
तेरी याद पर मेरा अख्तियार नही माँ !
जब चाहां निगाहें झुका कर देख ली ,
मेरे दिल में इक तस्वीर है माँ ! 
तुम बिन ये घर सूना है ,
सुने घर में एक भी चिराग नही माँ !
तेरी बगिया में इक फूल खिला था ,
आज उस पर वीरानी -सी छाई है माँ !
तस्वीर में ज़िंदा है तू मेरे लिए,
तक़दीर को क्या समझाऊ मैं  माँ !
हर शे में तुझको ढूंढा मैंने ,
इस भीड़ में केसे पहचानू मैं  माँ ! 
इस कंक्रीट के जंगल में धायल ,
कब से दोड़ रही हूँ  मैं  माँ ! 
लहू लुहान कब तक मैं  दोडू ,
बस ,एक सहारा मिल जाता माँ !
तेरे ममता का आंचल मिल जाता माँ !
तेरे प्यार का सागर मिल जाता माँ !
इस किश्ती को साहिल मिल जाता माँ !



Comments

सदा said…
तुझसे मिलना न मुमकिन है पर ,
तेरी याद पर मेरा अख्तियार नही माँ !

बहुत ही गहरे उतरते शब्‍द ...भावपूर्ण प्रस्‍तुति ।
POOJA... said…
bahut sundar... mai bhi koshish karti hu likhne ki par na jane kyo sirf sochti rah jati hu MAA k baare me...
Hema Nimbekar said…
bahut sunder rachna...
तेरे प्यार का सागर मिल जाता माँ !
इस किश्ती को साहिल मिल जाता माँ !
isse badhker kuch nahi maa
DR. ANWER JAMAL said…
माँ की दुआ ने हाथ पकड़कर मुझको रस्ता दिखलाया है
जीवन के इस लम्बे सफ़र में जब भी कभी दुश्वारी आई

दिल से निकली हुई एक आवाज़ जो दिल को तडपाती है.
तेरे प्यार का सागर मिल जाता माँ !
इस किश्ती को साहिल मिल जाता माँ !

nice post.

http://pyarimaan.blogspot.com/2011/03/blog-post_28.html
vandana gupta said…
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (31-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/
माँ की उपमा माँ ही .. माँ हम सबकी प्यारी ..
आपकी पोस्ट ने दिल को छु लिया ..धन्यवाद
तेरे प्यार का सागर मिल जाता माँ !
इस किश्ती को साहिल मिल जाता माँ !
Unknown said…
तुझसे मिलना न मुमकिन है पर ,
तेरी याद पर मेरा अख्तियार नही माँ

भावपूर्ण प्रस्‍तुति
Sabko dhanywad !
'mere armaan mere sapane ' par bhi aapka svaagat haae .
माँ की यादों को खूबसूरत शब्द दिए हैं
sada ji
bahut hi mna ki ko andar tak bhigo gai aapki prastuti ..
sach hai maa jab kho jaati hai ti yski jagah koi bhar hi nahi sakat hai.bas maaki yaaden hi jeene ka sambal deti hai .main bhi is dard se hamesha hi gujarti rahti hun .bas yaad me akele me ro leti hun.
इस कंक्रीट के जंगल में धायल ,
कब से दोड़ रही हूँ मैं माँ !
लहू लुहान कब तक मैं दोडू ,
बस ,एक सहारा मिल जाता माँ !
तेरे ममता का आंचल मिल जाता माँ !
तेरे प्यार का सागर मिल जाता माँ !
इस किश्ती को साहिल मिल जाता माँ
bahut hi gahre utar jaane wali prastuti
badhai
poonam
hamarivani said…
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

Popular posts from this blog

माँ बाप की अहमियत और फ़ज़ीलत

मदर्स डे पर विशेष भेंट  इस्लाम में हुक़ूक़ुल ऐबाद की फ़ज़ीलत व अहमियत इंसानी मुआशरे में सबसे ज़्यादा अहम रुक्न ख़ानदान है और ख़ानदान में सबसे ज़्यादा अहमियत वालदैन की है। वालदैन के बाद उनसे मुताल्लिक़ अइज़्जा वा अक़रबा के हुक़ूक़ का दर्जा आता है डाक्टर मोहम्मद उमर फ़ारूक़ क़ुरैशी 1 जून, 2012 (उर्दू से तर्जुमा- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम) दुनिया के हर मज़हब व मिल्लत की तालीमात का ये मंशा रहा है कि इसके मानने वाले अमन व सलामती के साथ रहें ताकि इंसानी तरक़्क़ी के वसाइल को सही सिम्त में रख कर इंसानों की फ़लाहो बहबूद का काम यकसूई के साथ किया जाय। इस्लाम ने तमाम इंसानों के लिए ऐसे हुक़ूक़ का ताय्युन किया है जिनका अदा करना आसान है लेकिन उनकी अदायगी में ईसार व कुर्बानी ज़रूरी है। ये बात एक तरह का तर्बीयती निज़ाम है जिस पर अमल कर के एक इंसान ना सिर्फ ख़ुद ख़ुश रह सकता है बल्कि दूसरों के लिए भी बाइसे राहत बन सकता है। हुक़ूक़ की दो इक़्साम हैं । हुक़ूक़ुल्लाह और हुक़ूक़ुल ऐबाद। इस्लाम ने जिस क़दर ज़ोर हुक़ूक़ुल ऐबाद पर दिया है इससे ये अमर वाज़ेह हो जाता है कि इन हुक़ूक़ का कितना बुलंद मुक़ाम है और उनकी अ

माँ की ममता

ईरान में सात साल पहले एक लड़ाई में अब्‍दुल्‍ला का हत्यारा बलाल को सरेआम फांसी देने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. इस दर्दनाक मंजर का गवाह बनने के लिए सैकड़ों का हुजूम जुट गया था. बलाल की आंखों पर पट्टी बांधी जा चुकी थी. गले में फांसी का फंदा भी  लग चुका था. अब, अब्‍दुल्‍ला के परिवार वालों को दोषी के पैर के नीचे से कुर्सी हटाने का इंतजार था. तभी, अब्‍दुल्‍ला की मां बलाल के करीब गई और उसे एक थप्‍पड़ मारा. इसके साथ ही उन्‍होंने यह भी ऐलान कर दिया कि उन्‍होंने बलाल को माफ कर दिया है. इतना सुनते ही बलाल के घरवालों की आंखों में आंसू आ गए. बलाल और अब्‍दुल्‍ला की मां भी एक साथ फूट-फूटकर रोने लगीं.

माँ को घर से हटाने का अंजाम औलाद की तबाही

मिसालः‘आरूषि-हेमराज मर्डर केस’ आज दिनांक 26 नवंबर 2013 को विशेष सीबीाआई कोर्ट ने ‘आरूषि-हेमराज मर्डर केस’ में आरूषि के मां-बाप को ही उम्रक़ैद की सज़ा सुना दी है। फ़जऱ्ी एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए डा. राजेश तलवार को एक साल की सज़ा और भुगतनी होगी। उन पर 17 हज़ार रूपये का और उनकी पत्नी डा. नुपुर तलवार पर 15 हज़ार रूपये का जुर्माना भी लगाया गया है। दोनों को ग़ाजि़याबाद की डासना जेल भेज दिया गया है। डा. नुपुर तलवार इससे पहले सन 2012 में जब इसी डासना जेल में बन्द थीं तो उन्होंने जेल प्रशासन से ‘द स्टोरी आॅफ़ एन अनफ़ार्चुनेट मदर’ शीर्षक से एक नाॅवेल लिखने की इजाज़त मांगी थी, जो उन्हें मिल गई थी। शायद अब वह इस नाॅवेल पर फिर से काम शुरू कर दें। जेल में दाखि़ले के वक्त उनके साथ 3 अंग्रेज़ी नाॅवेल देखे गए हैं।  आरूषि का बाप राकेश तलवार और मां नुपुर तलवार, दोनों ही पेशे से डाॅक्टर हैं। दोनों ने आरूषि और हेमराज के गले को सर्जिकल ब्लेड से काटा और आरूषि के गुप्तांग की सफ़ाई की। क्या डा. राजेश तलवार ने कभी सोचा था कि उन्हें अपनी मेडिकल की पढ़ाई का इस्तेमाल अपनी बेटी का गला काटने में करना पड़ेगा?