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...जिनकी माँ नहीं होती ..!

''हमारी हर खता को मुस्कुराकर माफ़ कर देती ;
खुदा नहीं मगर ''माँ' खुदा से कम नहीं होती .''

''हमारी आँख में आंसू कभी आने नहीं देती ;
कि माँ की गोद से बढकर कोई जन्नत नहीं होती .''

''मेरी आँखों में वो नींद सोने पे सुहागा है ;
नरम हथेली से जब माँ मेरी थपकी है देती .''

''माँ से बढकर हमदर्द दुनिया में नहीं होता ;
हमारे दर्द पर हमसे भी ज्यादा माँ ही तो रोती .''

''खुदा के दिल में रहम का दरिया है बहता ;
उसी कि बूँद बनकर ''माँ' दुनिया में रहती .''

''उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
                                           शिखा कौशिक
http://shikhakaushik666.blogspot.com/
          

Comments

Shalini kaushik said…
माँ कोई खुदा नहीं पर माँ खुदा से कम नहीं क्या बात कह दी आपने.कुछ कहने लायक छोड़ा ही नहीं..
ये उनसे पूछो जिनकी माँ नहीं होती ...
बुढ़ापे में माँ की बेकद्री करने वालों को अच्छी सलाह दी है आपने!
उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
maa ki ahmiyat kabhi kam nahi hoti , tum laakh todo use , wah toott nahi
Minakshi Pant said…
''उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''
bilkul sahi kaha aapne haan maa to bas maa hoti hai
DR. ANWER JAMAL said…
उम्र भर रोते हैं वे माँ की ज़ियारत के लिए
जिन के आते ही जहाँ से ख़ुद चली जाती है माँ

ज़िंदगी उनकी भटकती रूह की मानिंद है
उनको हर आँसू के क़तरे में नज़र आती है माँ

@ शिखा जी ! आपके जज़्बात अच्छे हैं । हम इनकी क़द्र करते हैं लेकिन हर चीज़ ख़ुदा से कम है चाहे माँ हो , बाप हो या कोई गुरू पीर और पैग़ंबर हो । इंसान को यह सच हमेशा अपने सामने रखना चाहिए तभी वह भटकने से बच सकता है।
vandana gupta said…
''उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''

बेहतरीन अभिव्यक्ति।
Arshad Ali said…
behtareen rachna...umda chitran
सदा said…
मेरी आँखों में वो नींद सोने पे सुहागा है ;
नरम हथेली से जब माँ मेरी थपकी है देती .''

''माँ से बढकर हमदर्द दुनिया में नहीं होता ;
हमारे दर्द पर हमसे भी ज्यादा माँ ही तो रोती
बहुत ही सुन्‍दर भावमय करती हर पंक्ति लाजवाब ..।
बेहतरीन।
मां के न होने का अहसास ईश्‍वर करे किसी को न मिले।
लेकिन कुछ बदनसीब होते हैं जिन्‍हें.............
Hema Nimbekar said…
@शिखा कौशिक बेहतरीन, उतम और माँ की अहमियत का बिलकुल सही वर्णन करने वाली रचना...

@DR. ANWER JAMAL माँ और पिता के बारे में संवेदनाएं जगाना किसे अच्छा नहीं लगेगा...मैं इस ब्लॉग की कैसे सदस्य बन सकती हूँ यह भी विस्तार से बताईये....
''उम्रदराज माँ कि अहमियत कम नहीं होती ;
ये उनसे पूछकर देखो कि जिनकी माँ नहीं होती .''

आपने तो मेरी जिन्दगी की सच्ची तसवीर ही पेश कर दी --धन्यवाद ! इस मार्मिक कविता के लिए !!!
खामोशी भी और तकल्लुम भी ,
हर अदा एक क़यामत है जी
@ आप कितना अच्छा लिखती हैं ?
मुबारक हो आपको रंग बिरंग की खुशियाँ .
हा हा हा sss हा हा हा हा ssss

http://shekhchillykabaap.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

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