हमने जब जब माँ को देखा
ख्याल ये मन में आया.
हमें बनाने को ही माँ ने
मिटा दी अपनी काया.
बचपन में माँ हाथ पकड़कर
सही बात समझाती
गलत जो करते आँख दिखाकर
अच्छी डांट पिलाती.
माँ की बातों पर चलकर ही
जीवन में सब पाया
हमें बनाने को ही माँ ने
मिटा दी अपनी काया.
समय परीक्षा का जब आता
नींद माँ की उड़ जाती
हमें जगाने को रात में
चाय बना कर लाती
माँ का संबल पग-पग पर
मेरे काम है आया.
हमें बनाने को ही माँ ने
मिटा दी अपनी काया.
जीवन में सुख दुःख सहने की
माँ ने बात सिखाई,
सबको अपनाने की शिक्षा
माँ ने हमें बताई.
कठिनाई से कैसे लड़ना
माँ ने हमें सिखाया.
हमें बनाने को ही माँ ने
मिटा दी अपनी काया.
[http ://shalinikaushik2 .blogspot .com ]
ख्याल ये मन में आया.
हमें बनाने को ही माँ ने
मिटा दी अपनी काया.
बचपन में माँ हाथ पकड़कर
सही बात समझाती
गलत जो करते आँख दिखाकर
अच्छी डांट पिलाती.
माँ की बातों पर चलकर ही
जीवन में सब पाया
हमें बनाने को ही माँ ने
मिटा दी अपनी काया.
समय परीक्षा का जब आता
नींद माँ की उड़ जाती
हमें जगाने को रात में
चाय बना कर लाती
माँ का संबल पग-पग पर
मेरे काम है आया.
हमें बनाने को ही माँ ने
मिटा दी अपनी काया.
जीवन में सुख दुःख सहने की
माँ ने बात सिखाई,
सबको अपनाने की शिक्षा
माँ ने हमें बताई.
कठिनाई से कैसे लड़ना
माँ ने हमें सिखाया.
हमें बनाने को ही माँ ने
मिटा दी अपनी काया.
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Comments
आपने सच कहा ।