कदम - कदम पर तुमने
अच्छी बातों की गांठ
मेरे आँचल से बाँधी .....
'उसमें और तुममें फर्क क्या रह जायेगा ?'
ऐसा कह कर ,
अच्छे व्यवहार की आदतें डाली .
अच्छी बातों की गांठ
मेरे आँचल से बाँधी .....
'उसमें और तुममें फर्क क्या रह जायेगा ?'
ऐसा कह कर ,
अच्छे व्यवहार की आदतें डाली .
मुझे संतोष है इस बात का
कि ,
मैंने गलत व्यवहार नहीं किया ,
और अपनी दहलीज़ पर
किसी का अपमान नहीं किया ,
पर गर्व नहीं है ....................
गर्व की चर्चा कहाँ ? और किसके आगे ?
हर कदम पर मुँह की खाई है !
अपनी दहलीज़ पर तो स्वागत किया ही
दूसरे की दहलीज़ पर भी खुद ही मुस्कुराहट बिखेरी है !
मुड़कर देख लिया जो उसने , तो जहे नसीब ....!!!
पीछे से तुमने मेरी पीठ सहलाई है .
खुद तो जीवन भर नरक भोगा ही
मुझे भी खौलते तेल मे डाल दिया
माँ , तुमने ये क्या किया !
मेरे बच्चे मेरी इस बात पर मुझे घूरने लगे हैं
कि ,
मैंने गलत व्यवहार नहीं किया ,
और अपनी दहलीज़ पर
किसी का अपमान नहीं किया ,
पर गर्व नहीं है ....................
गर्व की चर्चा कहाँ ? और किसके आगे ?
हर कदम पर मुँह की खाई है !
अपनी दहलीज़ पर तो स्वागत किया ही
दूसरे की दहलीज़ पर भी खुद ही मुस्कुराहट बिखेरी है !
मुड़कर देख लिया जो उसने , तो जहे नसीब ....!!!
पीछे से तुमने मेरी पीठ सहलाई है .
खुद तो जीवन भर नरक भोगा ही
मुझे भी खौलते तेल मे डाल दिया
माँ , तुमने ये क्या किया !
मेरे बच्चे मेरी इस बात पर मुझे घूरने लगे हैं
क्या पाया ?...इसका हिसाब -किताब करने लगे हैं ,
अच्छी बातों की थाती थमा
तुमने मुझे निरुत्तर कर दिया
अच्छी बातों की थाती थमा
तुमने मुझे निरुत्तर कर दिया
आँय - बाँय - शांय के सिवा कुछ नहीं रहा मेरे पास
.................हाय राम ! माँ , तुमने ये क्या किया !...............
.................हाय राम ! माँ , तुमने ये क्या किया !...............
Comments
शशक्त रचना.
दूसरे की दहलीज़ पर भी खुद ही मुस्कुराहट बिखेरी है !
कितनी सहजता से आम महिलाओं के मन की बात कह जाती है आप ..पारंपरिक परिवार से आयी महिलाओं की यही त्रासदी होती है ...ना नए ज़माने के साथ कदम मिला पाती हैं , ना ही पुरानी लीक पर ही सर झुकाकर चला जाता है !
फल शजर पे ताउम्र नहीं रहते
Nice post.
देखें http://rajey.blogspot.com/ पर।
मैं एक बार फिर बच्चा होना चाहता हूँ
तेरी गोद में रखकर सर
चैन की नींद सोना चाहता हूँ
माँ....
अकेलापन मुझे डरा रहा है
माँ...
तन्हाई मुझे खा रही है
चरों ओर से घिरा पा रहा हूँ
आत्मा मेरी थकन महसूस कर रही है
माँ....
मैं थक चूका हूँ दौड़ते दौड़ते
मैं और भागना नहीं चाहता
माँ....
में तेरे आँचल तले
खुद को छुपा लेना चाहता हूँ
मैं तेर तलक तेरे सीने से लगकर
खूब रोना चाहता हूँ
माँ....
मैं दर्द और तकलीफ में
फंस सा गया लगता हूँ
माँ...
मैं तुमसे खुद को दूर पा रहा हूँ
माँ....
मुझे तुम्हारी प्यारी सी थपकियाँ चाहिए
माँ...
मैं तुम्हे अपना ढाल बनाना चाहता हूँ
माँ...
मैं तुम्हारे पास होना चाहता हूँ
माँ....
मैं एक बार फिर बच्चा होना चाहता हूँ
तेर तलक तेरी गोद में सुरक्षित
चैन से सोना चाहता हूँ
माँ....
मैं एक बार फिर बच्चा होना चाहता हूँ...