Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2013

बाद इसके किसी भी दिन क्या माँ है याद फिर आती .-HAPPY MOTHER'S DAY

तरक्की इस जहाँ में है तमाशे खूब करवाती , मिला जिससे हमें जीवन उसे एक दिन में बंधवाती . महीनों गर्भ में रखती ,जनम दे करती रखवाली , उसे औलाद के हाथों है कुछ सौगात दिलवाती . सिरहाने बैठ माँ के एक पल भी दे नहीं सकते , दिखावे में उन्हीं से होटलों में मंच सजवाती . कहे माँ लाने को ऐनक ,नहीं दिखता बिना उसके , कुबेरों के खजाने में ठन-गोपाल बजवाती . बढ़ाये आगे जीवन में दिलाती कामयाबी है , उसी मैय्या को औलादें, हैं रोटी को भी तरसाती . महज एक दिन की चांदनी ,न चाहत है किसी माँ की , मुबारक उसका हर पल तब ,दिखे औलाद मुस्काती . याद करना ढूंढकर दिन ,सभ्यता नहीं हमारी है , हमारी मर्यादा ही रोज़ माँ के पैर पुजवाती . किया जाता याद उनको जिन्हें हम भूल जाते हैं , है धड़कन माँ ही जब अपनी कहाँ है उसकी सुध जाती . वजूद माँ से है अपना ,शरीर क्या बिना उसके , उसी की सांसों की ज्वाला हमारा जीवन चलवाती . शब्दों में नहीं बंधती ,भावों में नहीं बहती , कड़क चट्टान की मानिंद हौसले हममे भर जाती . करे कुर्बान खुद को माँ,सदा औलाद की

मदर्स डे पर सभी माओं को शुभकामनायें Mother's Day

मदर्स डे पर सभी माओं को शुभकामनायें. इस मौके पर पेश है यह उम्दा कलाम- 'माँ' The mother मौत की आग़ोश में जब थक के सो जाती है माँ तब कहीं जाकर ‘रज़ा‘ थोड़ा सुकूं पाती है माँ फ़िक्र में बच्चे की कुछ इस तरह घुल जाती है माँ नौजवाँ होते हुए बूढ़ी नज़र आती है माँ रूह के रिश्तों की गहराईयाँ तो देखिए चोट लगती है हमारे और चिल्लाती है माँ ओढ़ती है हसरतों का खुद तो बोसीदा कफ़न चाहतों का पैरहन बच्चे को पहनाती है माँ एक एक हसरत को अपने अज़्मो इस्तक़लाल से आँसुओं से गुस्ल देकर खुद ही दफ़नाती है माँ भूखा रहने ही नहीं देती यतीमों को कभी जाने किस किस से, कहाँ से माँग कर लाती है माँ हड्डियों का रस पिला कर अपने दिल के चैन को कितनी ही रातों में ख़ाली पेट सो जाती है माँ जाने कितनी बर्फ़ सी रातों में ऐसा भी हुआ बच्चा तो छाती पे है गीले में सो जाती है माँ जब खिलौने को मचलता है कोई गुरबत का फूल आँसुओं के साज़ पर बच्चे को बहलाती है माँ फ़िक्र के श्मशान में आखिर चिताओं की तरह जैसे सूखी लकड़ियाँ, इस तरह जल जाती है माँ भूख से म