आम तौर पर आप जब भी किसी से समाज में गिरते मूल्यों को ऊपर उठाने के बारे विचार विमर्श करेंगे तो यह सुनने को मिलता है कि शिक्षा इन सब समस्याओं का हल है. ...लेकिन क्या सचमुच शिक्षा समाज से बुराईयों को हटा रही है ? ताज़ा खबर यह है कि एक अध्यापक ने चौथी क्लास की अपनी शिष्या से बलात्कार करना शुरू किया तो 75 बार कर डाला। इसलिए सब अपने बच्चे बच्चियों की हिफाज़त के लिये उनके टीचरों पर सतर्क दृष्टि ज़रूर रखे. पूरी ख़बर पढने के लिए अखबार की कटिंग देख लें. एक बार फिर सोचिये कि कौन सी चीज़ हमसे छूट रही है ?
ऐसे बहुत से केस हैं बल्कि ज़ुल्म के शिकार तमाम केस इस बात के गवाह हैं कि उन्हें बरसों भटकने के बाद भी दुनिया में न्याय नहीं मिल पाया. इसीलिये वैदिक धर्म और इसलाम में ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों में भी मरने के बाद पीड़ितों को न्याय मिलने और पापियों को नर्क की आग में जलाये जाने का बयान मिलता है. नास्तिकों ने इस बात को मानने से ही इंकार कर दिया है. जीवन और मौत के बारे में सही जानकारी की कमी भी जरायम बहने का एक सबब है. हमें अपने बच्चों को बुरे लोगों की शिनाख्त कराने के साथ यह भी बताना चाहिये कि हमें किसने पैदा किया है और क्या करने के लिये पैदा किया है और
नास्तिक बताते हैं कि दुनिया में तो किसी के साथ न्याय होता नहीं है. जिसका ज़ोर चलता है लोगों से अपने काम करवाता है, उनका शोषण करता है. मरने के बाद शोषण करने वाले और ज़ुल्म का शिकार होने वाले दोनों मरकर मिट्टी में मिल जाते हैं.
सवाल यह है कि जब वे समाज में ऐसी बातें फैलाते हैं तो ताक़तवर लोग ज़ुल्म करने क्यों डरेंगे ?
हम जानते ही हैं कि एक ही अधिकारी अमीर और गरीब के साथ क्या बर्ताव करते हैं ?
हम जानते ही हैं कि एक ही अधिकारी अमीर और गरीब के साथ क्या बर्ताव करते हैं ?
नास्तिकता किसी समस्या का हल नहीं है बल्कि यह समस्याओं को बढ़ा रही है.
नास्तिकों में वे लोग भी शामिल समझे जाने चाहियें जो धर्म का नाम लेते हैं लेकिन धर्म की बात नहीं मानते.
Source: http://pyarimaan.blogspot.in/2013/10/75-balatkar.html
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