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सवा साल की बच्ची हवस का शिकार


संगरूर (पीटीआई)। पंजाब के संगरूर ज़िले में सवा साल की बच्ची को 14 साल के उसके फूफेरे भाई ने हैवानियत का शिकार बनाया। बच्ची की माँ मीना बाई ने महिला चौकी में दर्ज शिकायत में बताया कि उसके पति के सगे भान्जे जशन शर्मा ने कल रात उसकी मासूम बच्ची को हवस का शिकार बनाया। वह भटिन्डा से आया था। मुल्ज़िम के खि़लाफ़ छाजली थाना में मामला दर्ज कर लिया गया है। मीना ने बताया कि पहले तो उसने घर की इज़्ज़त रखने के लिए मामले को दबाने की कोशिश की लेकिन बच्ची की हालत ख़राब होने से परेशान हो कर उसने इसकी सूचना पुलिस को दे दी। बच्ची संगरूर के सिविल अस्पताल में दाखि़ल है और उसकी मेडिकल जांच कर ली गई है। जिस में अस्मत-दरी की तस्दीक़ हो गई है। इस सिलसिले में मुक़ददमा दर्ज करके नाबालिग़ मुल्ज़िम को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा उर्दू दिनांक 24 अप्रैल 2013 पृ. 8
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यह केस भी दिल्ली के गुड़िया रेप कांड जैसा ही संगीन है। बच्ची की उम्र को देखते हुए यह उससे भी ज़्यादा घिनौना है। इसके बावजूद इस केस पर दिल्ली में कोई आंदोलन नहीं होगा। दिल्ली वाले अक्सर दिल्ली के मामलों को लेकर ही उबाल खाते हैं। वे ख़ुद को सुरक्षित देखना चाहते हैं। संगरूर के इस मामले को इलाक़ाई मानकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाएगा। अक्सर राष्ट्रीय हिन्दी दैनिकों में इस ख़बर को प्रमुखता नहीं दी गई है और कुछ ने तो इसे प्रकाशित भी नहीं किया। इस एक घटना से हमारे समाज और मीडिया प्रतिष्ठानों की चिंता के स्तर और संवेदनहीनता को साफ़ देखा जा सकता है। हम एक बीमार समाज में रह रहे हैं। जहां हरेक ख़ुद के लिए ही सब कुछ कर रहा है। 
दूसरों के लिए कुछ करने का जज़्बा आज मन्द पड़ चुका है।
हम सबको इस तरफ़ ध्यान देने की ज़रूरत है।

Comments

सिर्फ यही ही नहीं बल्कि रोज उठा कर देख लीजिये कम से कम ४ -५ दुष्कर्म के मामले अख़बार में मिल जाते हैं . न प्रदर्शन से और न हंगामा करने से होने वाला है . दिसंबर में कितने कडकडाती सर्दी में प्रदर्शनकारी न्याय पाने के लिए उचित उठाने की मांग करते रहे . क्या मिला ? नाबालिग अपराधियों को तो कोई डर ही नहीं है क्योंकि सजा मिलने से रही . अब बालिग़ और नाबालिग तय करने के लिए अपराध की श्रेणी को भी देखना होगा . फिर दुष्कर्म और भी के साथ एक अक्षम्य अपराध की श्रेणी में रखा जाना चहिए.
Sunitamohan said…
vo bitiya jaldi thik ho aur ek bahadur aurat bane aisi meri kamna hai, magar in ghatnaon ko sunkar dil chitkaar kar uthta hai, par samajh nahi aata karen to kya, ab man me dar is kadar baith gaya hai ki apni bitiya ki har pal chaukasi karne lgi hun, aisa kar mai uski aazadi ka hanan karti hun, par koi rasta nahi soojhta! har din balaatkar k case badhte nazar aa rahe hain. samaaj kis gart me ja raha hai???????

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