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पानी से ."पानी" लिखना पानी पर

रिश्ते बनाना उतना ही आसान है जितना कि ...
मिटटी पर ..- मिटटी से ...- "मिटटी " लिख देना ,,
और रिश्ते निभाना उतना ही कठिन, जितना कि ....
पानी पर ...-पानी से ...- "पानी" लिख पाना !!

Comments

Unknown said…
बेहतरीन प्रस्तुति
sangita said…
माँ की इससे स्तुति नहीं हो सकती है |
मुन्नवर राणा ने कहा भी है की "मैं जब बाहर निकलता हूँ,मेरी माँ सजदे में होती है,माँ के सामने कभी रोना नहीं ,जहाँ बुनियाद हो वहां इतनी नमी अच्छी नहीं होती" |
Sanju said…
बहुत ही बेहतरीन.........
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
http://sandeshpoint.blogspot.com
vidya said…
बहुत बढ़िया...
कुंवर बैचेन जी कि पंक्तियाँ हैं...
बढ़िया शेयरिंग.
..बेजोड़ भावाभियक्ति....
Pallavi saxena said…
सत्य वचन ...

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