MAA क्या होती है माँ हजारों दर्द और तकलीफ़ें सह कर अपने बच्चे की एक मासूम मुस्कुराहट को देख कर अपने सारे गम भूला देने वाली होती है माँ , या फिर अपने बच्चे की खुशी के लिए कुछ भी त्याग करने को तत्पर रहने वाली होती है माँ , या फिर अपने बच्चे के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए दिल पर पत्थर रख कर निर्णय लेने वाली होती है माँ , माँ एक ऐसा शब्द है जिसके नाम में ही सुकून छुपा होता है प्यार छुपा होता है। जिसका नाम लेते ही हर दर्द जैसे कम हो जाता है , है ना , J कि सी ने कितना सुंदर कहा है ना की “ हाथों की लकीरें बादल जाएगी गम की यह जंज़ीरे पिघल जाएगी हो खुदा पर भी असर तू दुआओं का है ” कितना कुछ जुड़ा होता है हमारे इस जीवन में इस “ माँ ” शब्द के नाम के साथ जैसे प्यार , डांट यादें एक बच्चे के बचपन की यादें और एक माँ की खुद के बचपन और अपने बच्चे के बचपन दोनों की यादें, कुछ खट्टी कुछ मिट्ठी यादें। जब कोई माँ एक बच्चे को जन्म देती है तब वह उसके बचपन में अपना खुद का बचपन देख कर जीती है। उस नन्हे से पौधे को अपनी ममता और संस्कारों से पाल पोस कर बड़ा करती है इसलिए ...
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मुन्नवर राणा ने कहा भी है की "मैं जब बाहर निकलता हूँ,मेरी माँ सजदे में होती है,माँ के सामने कभी रोना नहीं ,जहाँ बुनियाद हो वहां इतनी नमी अच्छी नहीं होती" |
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कुंवर बैचेन जी कि पंक्तियाँ हैं...
बढ़िया शेयरिंग.