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है कोई रिश्ता माँ जैसा तो बता दो..


बहुत ख़ूबसूरत सा रिश्ता है माँ
फ़लक से जो उतरा फ़रिश्ता है माँ
वो बच्चों की धुन में है ऐसी मगन
ज़रा सी नहीं होती उस को थकन

है कोई रिश्ता माँ जैसा तो बता दो..
कहाँ से इतना प्यार माँ लाई ये बता दो...

साभार -

Comments

***Punam*** said…
माँ....माँ होती है....बस !!
बहुत सुन्दर रचना...!!
Urmi said…
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने!
आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति ||
शुभ विजया ||
मांएं हैं तो सृष्टि है। यह दुनिया अनेक अर्थों में,उनके कारण ही जीने लायक है। देवताओं को भी मातृरूप इसी कारण दिया गया है।
हर रिश्ते से बढ़ कर है यह रिश्ता ...
सुन्दर!
Manish Khedawat said…
जब माँ पे लिखा जाता हैं , तो हर शब्द नूरानी लगता है :)
बहुत सुंदर ||
____________________________
किसे जलाये - रावण को या राम को ???
Sadhana Vaid said…
माँ कैसी होती है यह माँ बनने के बाद ही पता लग सकता है ! माँ जैसा निश्छल निस्वार्थ प्यार बच्चे को और कोई कहाँ दे पाता है ! बहुत सुन्दर रचना !
बहुत मुशिकल है माँ जैसा प्यार सिर्फ माँ ही दे सकती है।
Human said…
बहुत अचा लिखा है,बधाई !
Suman Dubey said…
ज्माल जी नमस्कार, मां मे सब कुछ है समाया वो तो कुदरत का है बच्चे को शरमाया।

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