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Showing posts from October, 2011

हमारी मां की दुआ-सी दुआ किसी की नहीं

है सब नसीब की बातें खता किसी की नहीं ये जि़दगी है बड़ी बेवफा किसी की नहीं। तमाम जख्म जो अंदर तो चीखते हैं मगर हमारे जिस्म से बाहर सदा किसी की नहीं। वो होंठ सी के मेरे पूछता है चुप क्यों हो किताबे-ज़ुर्म में ऐसी सज़ा किसी की नहीं। बड़े-बड़े को उड़ा ले गई है तख्त केसाथ चरा$ग सबके बुझेंगे हवा किसी की नहीं। 'नज़ीर सबकी दुआएं मिली बहुत लेकिन हमारी मां की दुआ-सी दुआ किसी की नहीं।

है कोई रिश्ता माँ जैसा तो बता दो..

बहुत ख़ूबसूरत सा रिश्ता है माँ फ़लक से जो उतरा फ़रिश्ता है माँ वो बच्चों की धुन में है ऐसी मगन ज़रा सी नहीं होती उस को थकन है कोई रिश्ता माँ जैसा तो बता दो.. कहाँ से इतना प्यार माँ लाई ये बता दो... Wall Photos साभार - Farhat Durrani

किशोरों का मस्तिष्क ठीक से काम नहीं करता !

लंदन। माता-पिता अक्सर अपने किशोरवय बच्चों के व्यवहार से परेशान रहते हैं, लेकिन इसमें बच्चों का नहीं बल्कि उनके मस्तिष्क का दोष होता है। नए अध्ययन के मुताबिक, किशोरावस्था के दौरान मस्तिष्क ठीक ढंग से काम नहीं करता। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि उम्र के इस मोड़ पर मस्तिष्क में नई कोशिकाओं को बनाने की प्रक्रिया बाधित होती है, जो नाटकीय परिणाम देती है। अखबार 'डेली मेल' के मुताबिक किशोरावस्था में नई कोशिकाओं के निर्माण में आने वाली बाधाओं के कारण उनमें न केवल व्यवहारिक समस्या पैदा होती है, बल्कि उनके बड़े होने पर सीजोफ्रेनिया जैसी दिमागी बीमारी का शिकार होने का खतरा भी होता है। ऐसा तब होता है, जब मस्तिष्क के हिप्पोकैंपस भाग में न्यूरॉन्स बनने में कमी आ जाती है। चूहों पर किए गए प्रयोग से पता चला कि यदि मस्तिष्क की कोशिकाओं के सुचारू विकास में बाधा आती है, तो वे असामाजिक हो जाते हैं। यही बाधा अगर वयस्क होने पर उत्पन्न होती है, तो ऐसा कोई प्रभाव नहीं दिखता। अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर एरी काफमैन ने 'न्यूरोसांइस जर्नल' में लिखा है कि यह अध्ययन सामाजिक विकास को समझने में मददगार...

प्रसव के बाद माता-पिता में पैदा होने वाला अवसाद

आज कुमार राधा रमण जी की पोस्ट साभार पेश की जा रही है और साथ में एक फोटो जो मीनाक्षी पंत जी के ब्लॉग से लिया गया है :   महिलाओं में अवसाद मनोविज्ञानियों को यह सवाल अक्सर परेशान करता है कि कोई मां आखिर कैसे खुद के जने स्वस्थ बच्चे को किसी कागज या कपड़े में लपेट कर अस्पताल , अनाथालय या किसी अन्य ऐसी सार्वजनिक जगह पर छोड़ आती है जहां उस पर किसी और नजर पड़ जाए और वह उसे पालने - पोसने के लिए ले जाए। अनचाही संतान या गरीबी जैसे सामाजिक कारणों के अलावा इसका एक और बड़ा कारण है प्रसव के बाद माता - पिता में पैदा होने वाला अवसाद। ब्रिटेन की एक बड़ी रिसर्च में दावा किया गया है कि उन लोगों ( महिलाओं - पुरुषों , दोनों ) में ऐसे अवसाद का काफी खतरा है जिन्हें मां - बाप बने ज्यादा अरसा न हुआ हो। करीब 90 हजार लोगों के डेटा के आधार पर की गई इस रिसर्च में यह नतीजा निकाला है कि प्रसव के पश्चात 13.9 प्रतिशत महिलाएं और 3.6 प्रतिशत पिता अवसाद की चपेट में आते हैं। पहली बार मां - बाप बने लोगों में यह संभावना 10 प्रतिशत से भी अधिक होती है कि वे अपने बच्चे को लेकर डिप्रेस हो जाएं। खासकर बच्चे के जन्म के बाद क...

13 million abortions every year in China due to its rigid population control programme

Chinese officials force woman to abort foetus A dozen officials burst into her home, dragged her out and carried out the abortion By Staff Published Friday, October 22, 2010 Picture of Xiao Aiying in a hospital in Siming, China. Her left upper arm carries a large bruise mark. (SUPPLIED) An eight-month pregnant Chinese woman who defied the one-child norm was dragged out of her home and forced to have an abortion. A dozen government officials entered the home of Xiao Aiying’s house and allegedly hit her and kicked her in the stomach before dragging her to a hospital where she was injected with a drug to kill the unborn baby, reported the Daily Mail on Friday. The 36-year-old woman was restrained while doctors went about their given task of injecting the drug. The incident happened on October 10 in Siming, near the city of Xiamen, south-west China. T...

मरने के बाद भी जिवान दे जाती है माँ

Baby delivered from murdered mom Medical worker delivers baby inside church after gunman shoots mother By AFP Published Saturday, October 01, 2011 Spanish doctors cared for a new-born boy delivered by emergency workers after a deranged gunman shot and killed his expectant mother in a church, officials said. A medical worker said she decided "in just seconds" to deliver the baby inside the Madrid church by emergency caesarian after failing to save the life of the 36-year-old mother. The team had to resuscitate the boy because his heart had stopped but it was too early to know whether he had suffered any brain damage, she added. The drama unfolded Thursday evening in the Santa Maria del Pinar church, a brick building in northern Madrid. "An individual enters and without a word shoots a pregnant woman in the head, then fires at another woman in the chest and then commits suicide w...