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मैंने माँ की दुआओं का असर है देख लिया ;

मैंने माँ की दुआओं का असर है देख लिया ;

मौत आकर के मेरे पास आज लौट गयी .

माँ ने सिखलाया है तू रहना मोहब्बत से सदा ;

याद आते ही सैफ़ नफरतों की टूट गयी .

जिसने माँ को नहीं बख्शी कभी इज्जत दिल से ;

ऐसी औलाद की खुशियाँ ही उससे रूठ गयी .

मिटाया खुद को जिस औलाद की खातिर माँ ने ;

बेरूखी देख उसकी माँ भी आज टूट गयी .

कैसे रखते हैं कदम ?माँ ने ही सिखाया था ;

वो ऐसा दौड़ा की माँ ही पीछे छूट गयी .

जो आँखें देखकर शैतानियों पर हँसती थी ;

तेरी नादानियों पर रोई और सूज़ गयी .

shikha kaushik

Comments

Roshi said…
maa ke dard ko acchi yogya aulad hi samaj sakti hai........
Unknown said…
वाह शिखाजी श्रेष्ठ उदगार
dil bhar aya hai

bahut hi unda likha........
DR. ANWER JAMAL said…
Nice post .

जो आँखें देखकर शैतानियों पर हँसती थी ;

तेरी नादानियों पर रोई और सूज़ गयी .
Shikha Kaushik said…
thanks -ROSHI JI ,KUSHVANSH JI ,SHALINI JI ,PUNEET JI & ANWAR JI TO APPRECIATE MY POETRY .
आज बहोत..........दिन बाद आई हूँ यहाँ क्यों की तबियत नासाज थी | opretion करवाना पड़ा था मुझे| आज तबियत ठीक लगी तो कमेन्ट देने आगई
मैंने माँ की दुआओं का असर है देख लिया ;
मौत आकर के मेरे पास आज लौट गयी .
माँ ने सिखलाया है तू रहना मोहब्बत से सदा ;
याद आते ही सैफ़ नफरतों की टूट गयी .
बड़ी ही शिक्षा देती लाईनें
Taqseer Ali said…
wo rulakar hans na paya der taq
jab maiN rokar muskuraaya der taq

bhoolna chaaha agar usko kabhi
aur bhi wo yaad aaya der taq

bhookhe bachchoN ki tasalli ke liye
maa ne phir paani pakaya der taq
Asha Joglekar said…
कैसे रखते हैं कदम ?माँ ने ही सिखाया था ;

वो ऐसा दौड़ा की माँ ही पीछे छूट गयी .

सच कह रही हैं इस दौडती जिंदगी में कितना कुछ पीछे छूट रहा है । अफसोस तो ये है कि उसका अफसोस भी नही है ।
main roya nahin tha kuch dino se...

aapki rachna man ko prabhavit karti hai, mera naman swikaar karen.

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