एक माँ अपने बच्चे के लिए क्या कुछ और कैसे करती है ?
यही सब जानिये दिगंबर नासवा जी के शब्दों में
माँ .....
मैने तो जब देखा अम्मा आँखें खोले होती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
बँटवारे की खट्टी मीठी कड़वी सी कुछ यादें हैं
छूटा था जो घर आँगन उस पर बस अटकी साँसें हैं
आँखों में मोती है उतरा पर चुपके से रोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
मंदिर वो ना जाती फिर भी घर मंदिर सा लगता है
घर का कोना कोना माँ से महका महका रहता है
बच्चों के मन में आशा के दीप नये संजोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
चेहरे की झुर्री में अनुभव साफ दिखाई देता है
श्वेत धवल केशों में युग संदेश सुनाई देता है
इन सब से अंजान वो अब तक ऊन पुरानी धोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
बँटवारे की खट्टी मीठी कड़वी सी कुछ यादें हैं
छूटा था जो घर आँगन उस पर बस अटकी साँसें हैं
आँखों में मोती है उतरा पर चुपके से रोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
मंदिर वो ना जाती फिर भी घर मंदिर सा लगता है
घर का कोना कोना माँ से महका महका रहता है
बच्चों के मन में आशा के दीप नये संजोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
चेहरे की झुर्री में अनुभव साफ दिखाई देता है
श्वेत धवल केशों में युग संदेश सुनाई देता है
इन सब से अंजान वो अब तक ऊन पुरानी धोती है
जाने किस पल जगती है वो जाने किस पल सोती है
मूल स्रोत : स्वप्न मेरे
Comments
fir se samet di yaadein...
wakai maa par kitni pyaari-oyaari rachnayen post hoti hai yaha...
mai jab bhi sochati hu ki maa par aur kya likha jaa sakta hai, kyonki uske prem ko likha nahi jaa sakta... par tabhi yaha ek se ek rachnayen prastut ho jati hai...
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
सुन्दर !
bahut bahut hi achhi lagi pyari maa par likhi kavita.padh kar aankhe nam ho gai .bahut hi sundar vpyari rachna ke liye tatha mere blog par aane kae liye aapko hardik naman
aadarniy digambar ji ko bhi meri taraf se bahut bahut naman
dhanyvaad
poonam