Skip to main content

प्यारी माँ


प्यारी  माँ 
दुनिया मैं सबसे न्यारी है मेरी माँ 
बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ 
भगवान् पर बहुत विस्वास करती है मेरी माँ 
इसीलिए कैसी भी परिस्थिति मैं घबराती नहीं मेरी माँ 
बिलकुल देवी-स्वरूपा है मेरी माँ 
बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ 
अपनी दिनचर्या ,अपने मैं ही ब्यस्त रहती है मेरी माँ 
सबमे अच्छाई देखती ,कभी किसी की बुराई नहीं करती मेरी माँ 
हमेशा अच्छी सीख ,अच्छे सस्कार देती है मेरी माँ 
बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ 
दिल मैं बहुत प्यार है पर जताती नहीं मेरी माँ 
मन के भावों को शब्दों मैं ब्यक्त नहीं कर पाती मेरी माँ 
इसीलिए गलतफमी की शिकार बन जाती है मेरी माँ 
बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ 
हमेशा सजीं संवरी,एक मनमोहक ब्यक्तित्व है मेरी माँ 
अपनी सुंदरता का अभी भी बहुत ख्याल रखती है मेरी माँ 
मेरे लिए तो मेरा आदर्श मेरी दुनिया है मेरी माँ 
बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ 
भगवान् हर जनम मैं इन्हें ही बनाए मेरी माँ 
इतनी दीर्घायु दे की कभी ना बिछड़े मुझसे मेरी माँ 
हमेशा आशीर्वाद और प्यार से गले लगाती रहे मेरी माँ 
बहुत सुंदर बहुत प्यारी है मेरी माँ 

  

Comments

Pallavi saxena said…
मेरा मानना तो यह है कि शब्द कि कभी कोई भी व्यक्ति व्यखाया कर ही नहीं सकता है जितना छोटा सा यह शब्द है उतनी ही ज्यादा गहराई है इस शब्द में लकिन फिर भी आपने जिस तरह से माँ का वर्णन किया है वह सराहनीये है खास कर आप का वो लेख "माँ तो माँ ही होती है" फिर चाहे वो इंसान कि हो या जानवर कि...बहुत सुंदर और प्यार भरी प्रस्तुति।
vandana gupta said…
बहुत खूबसूरती से माँ का चित्रण किया है।
माँ तो बस माँ है
DR. ANWER JAMAL said…
बहुत उम्दा ख़याल हैं आपके।
आपकी पहली पोस्ट के साथ आपका स्वागत है ।
Roshi said…
bahut hi khoobsoorti ke sath maa ke bare mein likha hai

Popular posts from this blog

माँ बाप की अहमियत और फ़ज़ीलत

मदर्स डे पर विशेष भेंट  इस्लाम में हुक़ूक़ुल ऐबाद की फ़ज़ीलत व अहमियत इंसानी मुआशरे में सबसे ज़्यादा अहम रुक्न ख़ानदान है और ख़ानदान में सबसे ज़्यादा अहमियत वालदैन की है। वालदैन के बाद उनसे मुताल्लिक़ अइज़्जा वा अक़रबा के हुक़ूक़ का दर्जा आता है डाक्टर मोहम्मद उमर फ़ारूक़ क़ुरैशी 1 जून, 2012 (उर्दू से तर्जुमा- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम) दुनिया के हर मज़हब व मिल्लत की तालीमात का ये मंशा रहा है कि इसके मानने वाले अमन व सलामती के साथ रहें ताकि इंसानी तरक़्क़ी के वसाइल को सही सिम्त में रख कर इंसानों की फ़लाहो बहबूद का काम यकसूई के साथ किया जाय। इस्लाम ने तमाम इंसानों के लिए ऐसे हुक़ूक़ का ताय्युन किया है जिनका अदा करना आसान है लेकिन उनकी अदायगी में ईसार व कुर्बानी ज़रूरी है। ये बात एक तरह का तर्बीयती निज़ाम है जिस पर अमल कर के एक इंसान ना सिर्फ ख़ुद ख़ुश रह सकता है बल्कि दूसरों के लिए भी बाइसे राहत बन सकता है। हुक़ूक़ की दो इक़्साम हैं । हुक़ूक़ुल्लाह और हुक़ूक़ुल ऐबाद। इस्लाम ने जिस क़दर ज़ोर हुक़ूक़ुल ऐबाद पर दिया है इससे ये अमर वाज़ेह हो जाता है कि इन हुक़ूक़ का कितना बुलंद मुक़ाम है और उन...

माँ तो माँ है...

कितना सुन्दर नाम है इस ब्लॉग का प्यारी माँ .हालाँकि प्यारी जोड़ने की कोई ज़रुरत ही नहीं है क्योंकि माँ शब्द में संसार का सारा प्यार भरा है.वह प्यार जिस के लिए संसार का हर प्राणी भूखा है .हर माँ की तरह मेरी माँ भी प्यार से भरी हैं,त्याग की मूर्ति हैं,हमारे लिए उन्होंने अपने सभी कार्य छोड़े और अपना सारा जीवन हमीं पर लगा दिया. शायद सभी माँ ऐसा करती हैं किन्तु शायद अपने प्यार के बदले में सम्मान को तरसती रह जाती हैं.हम अपने बारे में भी नहीं कह सकते कि हम अपनी माँ के प्यार,त्याग का कोई बदला चुका सकते है.शायद माँ बदला चाहती भी नहीं किन्तु ये तो हर माँ की इच्छा होती है कि उसके बच्चे उसे महत्व दें उसका सम्मान करें किन्तु अफ़सोस बच्चे अपनी आगे की सोचते हैं और अपना बचपन बिसार देते हैं.हर बच्चा बड़ा होकर अपने बच्चों को उतना ही या कहें खुद को मिले प्यार से कुछ ज्यादा ही देने की कोशिश करता है किन्तु भूल जाता है की उसका अपने माता-पिता की तरफ भी कोई फ़र्ज़ है.माँ का बच्चे के जीवन में सर्वाधिक महत्व है क्योंकि माँ की तो सारी ज़िन्दगी ही बच्चे के चारो ओर ही सिमटी होती है.माँ के लिए कितना भी हम करें वह माँ ...

"माँ ममता और बचपन"

माँ की ममता एक बच्चे के जीवन की अमूल्य धरोहर होती है । माँ की ममता वो नींव का पत्थर होती है जिस पर एक बच्चे के भविष्य की ईमारत खड़ी होती है । बच्चे की ज़िन्दगी का पहला अहसास ही माँ की ममता होती है । उसका माँ से सिर्फ़ जनम का ही नही सांसों का नाता होता है । पहली साँस वो माँ की कोख में जब लेता है तभी से उसके जीवन की डोर माँ से बंध जाती है । माँ बच्चे के जीवन के संपूर्ण वि़कास का केन्द्र बिन्दु होती है । जीजाबाई जैसी माएँ ही देश को शिवाजी जैसे सपूत देती हैं । जैसे बच्चा एक अमूल्य निधि होता है वैसे ही माँ बच्चे के लिए प्यार की , सुख की वो छाँव होती है जिसके तले बच्चा ख़ुद को सुरक्षित महसूस करता है । सारे जहान के दुःख तकलीफ एक पल में काफूर हो जाते हैं जैसे ही बच्चा माँ की गोद में सिर रखता है ।माँ भगवान का बनाया वो तोहफा है जिसे बनाकर वो ख़ुद उस ममत्व को पाने के लिए स्वयं बच्चा बनकर पृथ्वी पर अवतरित होता है । एक बच्चे के लिए माँ और उसकी ममता का उसके जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान होता है । मगर हर बच्चे को माँ या उसकी ममता नसीब नही हो पाती । कुछ बच्चे जिनके सिर से माँ का...