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मीनोरेजिया, औरत का दर्द दूर करने के लिए डाक्टरों की एक और कोशिश जिससे दर्द हमेशा रहेगा दूर - Dr. Anwer jamal

पीरियड्स के दौरान दर्द होना आम बात है। पर, डॉक्टरों की मानें तो यह एक जेनेटिक परेशानी है और इसका इलाज भी संभव है। कैसे दर्द को अपनी जिंदगी से निकाल सकती हैं आप महिलाओं के लिए हर माह पीरियड्स के दिन काफी तकलीफ में गुजरते हैं। इस दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, दर्द, कमजोरी, थकान, उल्टियां, मितली जैसी शिकायतें अक्सर लड़कियां करती हैं। हालांकि कई लड़कियां तकलीफ के ये चार-पांच दिन बेहद सहजता से गुजार देती हैं। लेकिन जो लड़कियां ज्यादा ब्लीडिंग और अधिक दर्द की शिकायत करती हैं, उन्हें तब तक इसे भुगतना होता है, जब तक पीरियड्स खत्म न हो जाए। डॉक्टरी जुबान में इस बीमारी को मीनोरेजिया कहते हैं। यानी पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग कोई आम बात नहीं बल्कि अपने-आप में एक बीमारी है। यह बीमारी आपको अंदर से खोखला न कर दे, इसलिए जरूरी है कि वक्त रहते डॉक्टरी परामर्श लिया जाए।



कुछ स्त्रियों में मीनोरेजिया रोग के स्पष्ट शारीरिक लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कई स्त्रियों में यह समस्या हार्मोंस असंतुलन के कारण भी हो सकती है, तो कई बार गर्भपात होना, गर्भाशय की भीतरी झिल्ली में जलन होना, गर्भाशय में किसी तरह की रसौली होना, खून की कमी होना आदि कारणों से स्त्रियों के गर्भाशय से अनियमित तथा अत्यधिक खून के बहाव के कारण भी मीनोरेजिया की परेशानी उत्पन्न हो जाती है। डॉक्टर्स के मुताबिक 20 फीसदी लड़कियों में पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द जेनेटिक होता है। यदि लड़की की मां या बहन या परिवार की कोई अन्य महिला  पीरियड्स के दौरान दर्द से परेशानी रहती है, तो पहली बार पीरियड्स के दौरान लड़की को दर्द होना भी स्वाभाविक है। शुरुआत में लड़कियों को इन दिनों में पेट के निचले हिस्से में अधिक दर्द की शिकायत रहती है। आमतौर पर यह दर्द पैल्विक या कमर के निचले हिस्से में ही होता है और कई बार यह पैरों तक भी जा पहुंचता है। कई लड़कियों में छाती में भारीपन और दर्द की शिकायत भी देखने को मिलती है। आमतौर पर लड़कियों की सामान्य स्थिति होने पर डॉक्टर हार्मोंस की खुराक देते हैं। स्थिति बेहद गंभीर होने पर गर्भाशय निकालने की नौबत भी आ सकती है।
पर, अगर वक्त रहते यह पता चल जाए, तो सही इलाज से मीनोरेजिया का इलाज संभव है। हर बीमारी का इलाज कहीं न कहीं सतर्कता से जुड़ा हुआ है। अगर आप भी पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से काफी परेशान रहती हैं, तो इस परेशानी को आम बात मानकर अनदेखा करने की जगह, अपने डॉक्टर से संपर्क करें। सही इलाज, खानपान के मामलों में सतर्कता और सही पोषण की मदद से इस बीमारी से आप खुद को दूर रख सकती हैं।


इनका रखें ध्यान


माहवारी चक्र का रिकार्ड रखें:  पीरियड्स कब खत्म हुए, कितना और कब तक रक्त स्नव हुआ आदि बातों का रिकॉर्ड रखें। अगर कोई और अजीब लक्षण आपको नजर आ रहा है, तो उस बारे में भी अपने डॉक्टर को बताएं। पीरियड्स से जुड़ी किसी भी परेशानी को आम बात मानकर टालें नहीं। और न ही किसी तरह की शर्म या झिझक के कारण अपनी परेशानी को छुपाकर रखें। आपकी यह झिझक बाद में आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

साफ-सफाई का रखें खास ध्यान: पीरियड्स के दौरान एंटीबायोटिक साबुन या क्लींजर से प्राइवेट पार्ट्स की सफाई करें। दिन में दो या तीन बार सेनेटरी नैपकीन जरूर बदलें। ऐसा नहीं करना इन्फेक्शन को न्योता देने जैसा है। स्नान जरूर करें, इससे आप तरोताजा महसूस करेंगी। पीरियड्स के दौरान बहुत भारी सामान न उठाएं। पेट पर अधिक बल न डालें। ज्यादा उछल-कूद भी नहीं करें, वरना ब्लीडिंग ज्यादा होने लगेगी।

Comments

Unknown said…
बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर ...
उपयोगी जानकारी है महिलाओं के लिए!

मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है : Blind Devotion
is jaankari ke liye bahut bahut shukriya

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