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प्यार का दरिया है माँ

आज के बदलते परिवेश में रिश्तों को कोई अहमियत नही रह गई है फिर भी एक रिश्ता है जो सदा एक अहम् भूमिका निभाता है | न होते हुए भी लगता है की वो हमारे आस पास ही है, हमारी निगरानी कर रहा है | वह और कोई नही "माँ" का रिश्ता है | माँ महान है, माँ माखन है, माँ मिश्री है | ईश्वर  ने भी तो कहा  है की माँ मेरी  और से एक दुर्लभ उपहार है | समुद्र ने कहा है ... की माँ एक सीपी है जो अपनी संतान के सभी दुःख अपने सीने में छुपा लेती है | तो बादल नें भी कहा है की माँ एक चमक है जिस में हर रंग उजागर होता है | माँ के लिए एक क्रूरतम शाषक  नादिर शाह  ने भी कहा है " मुझे फूल और माँ में कोई फर्क  दिखाई नही देता " |औरंगजेब ने भी कहा की माँ के बिना घर कब्रिस्तान है |  मेरा मानना है की माँ के क़दमों  तले ही स्वर्ग है | वे स्वयं को भाग्यवान समझे जिन्हें माँ की सेवा का अवसर मिला है | यदि माँ को प्रसन्न रखा है तो ईश्वर  आप के घर में ही है | आशीर्वादों  की झरी लग जाएगी | एक बात और याद रखना जो आप कर रहे हैं अपने माँ - बाप के साथ , आप की संतान उसकी साक्षी है | वो सभी संस्कार आपके ही ग्रहण कर रहे हैं | रही माँ की बात वो तो प्यार का दरिया है | उसके जैसा न था , न है और न कभी हो पायेगा |

Comments

DR. ANWER JAMAL said…
अल्लाह का फ़रमान है कि
और हमने मनुष्य को उसके अपने माँ-बाप के मामले में ताकीद की है - उसकी माँ ने निढाल होकर उसे पेट में रखा और दो वर्ष उसके दूध छूटने में लगे - कि "मेरे प्रति कृतज्ञ हो और अपने माँ-बाप के प्रति भी। अंततः मेरी ही ओर आना है (14) किन्तु यदि वे तुझपर दबाव डाले कि तू किसी को मेरे साथ साझी ठहराए, जिसका तुझे ज्ञान नहीं, तो उसकी बात न मानना और दुनिया में उसके साथ भले तरीके से रहना। किन्तु अनुसरण उस व्यक्ति के मार्ग का करना जो मेरी ओर रुजू हो। फिर तुम सबको मेरी ही ओर पलटना है; फिर मैं तुम्हें बता दूँगा जो कुछ तुम करते रहे होगे।"

http://quranse.blogspot.com/2011/05/blog-post_9112.html
Udan Tashtari said…
माँ से बढ़कर कोई नहीं होता...
माँ ईश्वर का ही दूसरा रूप ..
vandana gupta said…
माँ के रूप मे ही तो ईश्वर धरती पर उतरा है।
Sunil Kumar said…
मुनब्बर राना साहेब का एक शेर याद आ रहा है कि
ना सुपारी निकली ना सरोता निकला '
माँ के बटुए में तो दुआओं का बजीफा निकला |
और में क्या कहूँ बस माँ तुझे सलाम ...
माँ ईश्वर का ही दूसरा रूप| धन्यवाद|

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