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निजी अस्पताल और नर्सिंग होम संचालकों ने धन कमाने के लालच में 226 महिलाओं के यूटेरस निकाले


राजस्थान के एक स्वयंसेवी संगठन का आरोप है कि दौसा जिले के बांदीकुई में संचालित पांच निजी अस्पतालों और नर्सिग होम संचालकों ने 226 महिलाओं की बच्चेदानी निकाल दी, जबकि चिकित्सकों का कहना है कि इसमें सिजेरियन प्रसव, बच्चेदानी सम्बंधी बीमारियों का उपचार भी शामिल है।
स्वयंसेवी संगठन के प्रतिनिधि दुर्गा प्रसाद ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के हवाले से कहा कि बांदीकुई के पांच में से तीन निजी नर्सिंग होम और अस्पताल के चिकित्सकों ने मार्च 2010 से सितम्बर 2010 तक अस्पताल पहुंचीं 385 महिलाओं में से दो सौ छब्बीस महिलाओं की बच्चेदानी निकाली। जिन महिलाओं की बच्चेदानी निकाली गई है, वे सभी गुर्जर और माली जाति की हैं।
दौसा के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ओ पी मीणा ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। बांदीकुई के जिन पांच निजी अस्पताल और नर्सिंग होम की बात की जा रही है, उनके एक साल के रिकार्ड जब्त कर लिये गये है। महिलाओं का ऑपरेशन करने वाले सर्जन, चिकित्सकों, संचालकों एवं महिला रोगियों के बयान लिये जा रहे है।
निजी अस्पताल और नर्सिंग होम चिकित्सक डा रमेश धाकड़ और डा सुनिल कट्टा ने एनजीओ के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि सूचना के अधिकार के हवाले से जो आकडे़ बताये जा रहे है, उसमें केवल बच्चेदानी के निकालने के ही नहीं बल्कि सिजेरियन प्रसव और बच्चेदानी सम्बधित रोग के उपचार भी शामिल है।
दुर्गा प्रसाद का कहना है कि निजी अस्पताल और नर्सिंग होम संचालकों ने धन कमाने के लालच में महिलाओं की बच्चेदानी निकाल दी। उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर को इस बारे में ज्ञापन देने पर मामले की जांच शुरू हुई है।
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आप इस खबर को देख सकते हैं इस लिंक पर
http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-Doctor-39-39-166892.हटमल
डाक्टर का पेशा सेवा का पेशा था , फिर यह कारोबार बना और अब तो कोई डाकू बन गया है और कोई कसाई .
जब तक आदमी खुद को खुदा के प्रति जवाबदेह नहीं समझेगा और उसके हुक्म के मुताबिक ज़िन्दगी नहीं गुज़रेगा , तब तक वह इंसान बन नहीं सकता और न ही लालच से निकल सकता है. 

Comments

Kunwar Kusumesh said…
अब डॉक्टर्स में संवेदना नहीं रह गई है,इलाज को इन्होंने व्यवसाय बना लिया है और इस भ्रष्ट देश में इन पर अंकुश भी कौन लगाएगा. बस ऊपर वाला ही मालिक है.
Sunil Kumar said…
अब डॉक्टर्स ने इलाज को व्यवसाय बना लिया है
आज की यदि हम गौर करें तो सबसे महत्वपूर्ण समस्या है
ऐसे डाक्टरों के लिए भी कोई बिल पास होंना चाहिए --जिससे ये अपनी मन मानी न कर सके --और निरीह जनता इनके अत्याचारो से दूर हो सके --
vandana gupta said…
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (18-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/
samvedana bhi jab bazaru ho jaye
mahtwakanksha jab fark na kar sake
khun aur pani men ,fark kare atma men ,insan men to shesh kya bachata hai .
aabhar jwalant vishay ke sampadan ka.
सरासर हैवानीयत है...
बहुत खूब सुन्दर पोस्ट के लिए
बधाई ......

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