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"माँ ममता और बचपन"

माँ की ममता एक बच्चे के जीवन की अमूल्य धरोहर होती है । माँ की ममता वो नींव का पत्थर होती है जिस पर एक बच्चे के भविष्य की ईमारत खड़ी होती है । बच्चे की ज़िन्दगी का पहला अहसास ही माँ की ममता होती है । उसका माँ से सिर्फ़ जनम का ही नही सांसों का नाता होता है । पहली साँस वो माँ की कोख में जब लेता है तभी से उसके जीवन की डोर माँ से बंध जाती है । माँ बच्चे के जीवन के संपूर्ण वि़कास का केन्द्र बिन्दु होती है । जीजाबाई जैसी माएँ ही देश को शिवाजी जैसे सपूत देती हैं ।

जैसे बच्चा एक अमूल्य निधि होता है वैसे ही माँ बच्चे के लिए प्यार की , सुख की वो छाँव होती है जिसके तले बच्चा ख़ुद को सुरक्षित महसूस करता है । सारे जहान के दुःख तकलीफ एक पल में काफूर हो जाते हैं जैसे ही बच्चा माँ की गोद में सिर रखता है ।माँ भगवान का बनाया वो तोहफा है जिसे बनाकर वो ख़ुद उस ममत्व को पाने के लिए स्वयं बच्चा बनकर पृथ्वी पर अवतरित होता है ।

एक बच्चे के लिए माँ और उसकी ममता का उसके जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान होता है । मगर हर बच्चे को माँ या उसकी ममता नसीब नही हो पाती । कुछ बच्चे जिनके सिर से माँ का साया बचपन से ही उठ जाता है वो माँ की ममता के लिए ज़िन्दगी भर तरसते रहते हैं । या कभी कभी ऐसा होता है कि कुछ बच्चों के माँ बाप होते हुए भी वो उनसे अलग रहने को मजबूर हो जाते हैं या कर दिए जाते हैं । ऐसे में उन बच्चों के वि़कास पर इसका बड़ा दुष्प्रभाव पड़ता है । कुछ बच्चे माँ की माता न मिलने पर बचपन से ही कुंठाग्रस्त हो जाते हैं तो कुछ आत्मकेंद्रित या फिर कुछ अपना आक्रोश किसी न किसी रूप में दूसरों पर उतारते रहते हैं । बचपन वो नींव होता है जिस पर ज़िन्दगी की ईमारत बनती है और यदि नींव डालने के समय ही प्यार की , सुरक्षा की , अपनत्व की कमी रह जाए तो वो ज़िन्दगी भर किसी भी तरह नही भर पाती ।

कोशिश करनी चाहिए कि हर बच्चे को माँ का वो सुरक्षित , ममत्व भरा आँचल मिले जिसकी छाँव में उसका बचपन किलकारियां मारता हुआ ,किसी साज़ पर छिडी तरंग की मानिन्द संगीतमय रस बरसाता हुआ आगे बढ़ता जाए, जहाँ उसका सर्वांगी्ण विकास हो और देश को , समाज को और आने वाली पीढियों को एक सफल व सुदृढ़ व्यक्तित्व मिले ।



जिस मासूम को मिला न कभी
ममता का सागर
फिर कैसे भरेगी उसके
जीवन की गागर
सागर की इक बूँद से
जीवन बन जाता मधुबन
ममता की उस छाँव से
बचपन बन जाता जैसे उपवन
बचपन की बगिया का
हर फूल खिलाना होगा
ममता के आँचल में
उसे छुपाना होगा
ममत्व का अमृत रस
बरसाना होगा
हर बचपन को उसमें
नहलाना होगा

माँ के आँचल सी छाँव
गर मिल जाए हर किसी को
तो फिर कोई कंस न
कोशिश करे मारने की
किसी भी कृष्ण को
अब तो हर कंस को
मरना होगा और
यशोदा सा आँचल
हर कृष्ण का
पलना होगा
आओ एक ऐसी
कोशिश करें हम

Comments

सदा said…
माँ के आँचल सी छाँव
गर मिल जाए हर किसी को ...

बहुत ही सुन्‍दर भावों से सजी बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।
जीवन मे माँ से बडा
और नही वरदान
माँ चरणों की धूल ले
खुश होंगे भगवान।
सुन्दर रचना के लिये बधाई।
DR. ANWER JAMAL said…
घेर ले चारों तरफ़ से जब मसाएब का हुजूम
याद आता है ख़ुदा , या याद बस आती है माँ
POOJA... said…
waah... behad sundar bhaav...
बेहद सुन्दर प्रस्तुति हे और उससे भी सुन्दर आपकी भावनाए --मन भावन !
माँ के लिए, जितना कहा जाए.... कम है.
अपनी मा से दूर एक वंदन मेरा भी....

मेरा जीवन मेरी साँसे,
ये तेरा एक उपकार है माँ!
तेरे अरमानों की पलकों में,
मेरा हर सपना साकार है माँ!
तेरी छाया मेरा सरमाया,
तेरे बिन ये जग अस्वीकार है माँ!
मैं छू लूं बुलंदी को चाहे,
तू ही तो मेरा आधार है माँ!
तेरा बिम्ब है मेरी सीरत में,
तूने ही दिए विचार हैं माँ!
तू ही है भगवान मेरा,
तुझसे ही ये संसार है माँ!
सूरज को दिखाता दीपक हूँ,
फिर भी तेरा आभार है माँ!


आशीष
---
लम्हा!!!
Minakshi Pant said…
बुलंदी कब किस शख्श के हिस्से में रहती है |
ईमारत जितनी ऊँची हो खतरे में रहती है |
ये कैसा क़र्ज़ है में जिसको अदा कर नहीं सकती |
जब तक घर न पहुंचूं माँ मेरी सजदे में रहती है |

माँ के बारे जितना कहो उतना कम है
बहुत खुबसूरत रचना |
बहुत ही सुंदर !!!

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