तू नज़र आता है,
तो हर ग़म कमतर नज़र आता है,
मेरे छोटे से फ़रिश्ते, तेरे चेहरे पे,
खुदा का नूर नज़र आता है
तेरी मासूमियत से बढकर कुछ नहीं,
तेरा भोलापन हर शै से बेहतर नज़र आता है
तेरी हंसती आँखों में बसती है मेरी दुनिया
जहां हर सू प्यार ही प्यार नज़र आता है
तुझे ज़रा कुछ हो जाए तो थम जाती है ज़िन्दगी,
तेरी शरारतों में मुक्कमल मेरा संसार नज़र आता है
सोचती हूँ जो भूल गया ये दिन तू बड़े हो कर,
फरमान-ऐ-मौत सा तेरा इनकार नज़र आता है
देखा है उस माँ को जो अपनी औलाद से जुदा हुई
उसका कलेजा कतरा-कतरा, ज़ार-ज़ार नज़र आता है
ये दुआ है तेरे लिये, जो देखे तुझे वो कहे,
खुदा का अक्स तेरे चेहरे पर नज़र आता है
एक औरत हूँ कई रिश्ते और रस्में निभाती हूँ,
मगर सबसे खूबसूरत माँ का किरदार नज़र आता है
Comments
हज़रत मुहम्मद साहब सल्ल. ने एक शख़्स से कहा था कि तेरी जन्नत तेरी मां के क़दमों तले है ।
इसमें मां के प्रति विनय और सेवा दोनों का उपदेश है । मां भी अपनी औलाद को हमेशा नेकी का रास्ता बताती है ।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया है कि जब तक तुम बच्चों की मानिंद न हो जाओ स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते ।
बच्चे मासूम होते हैं , ख़ुद को अपनी मां पर निर्भर मानते हैं । उसका कहना मानते हैं लेकिन आज माँ बाप औलाद को बेईमानी के रास्ते पर खुद धकेल रहे हैं।
वे अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा दौलतमंद देखना चाहते हैं । जिसके लिए वे खुद भी बेईमानी करते हैं और उनके बच्चे भी उनसे यही सीखते हैं और अपनी मासूमियत खो बैठते हैं जो कि बच्चे की विशेषता थी । मां ने भी सही गाइडेंस देने का अपना गुण खो दिया और बच्चे की मासूमियत भी नष्ट कर दी और तब इस धरती पर नर्क उतर आया हर ओर ।
अगर इस साक्षात नर्क से खुद भी मुक्ति पानी है और समाज को भी दिलानी है तो माँ को अपने मूल स्वभाव की ओर लौटना होगा । अपने बच्चे को ज़्यादा से ज़्यादा धन संपन्न देखने की चाहत छोड़ कर उसे ज़्यादा से ज़्यादा गुण संपन्न बनाना होगा , उसे नेकी और सच्चाई का रास्ता दिखाना होगा ।
आपकी रचना जिन बिंदुओं को रेखांकित कर रही है , उनके संबंध में अपने विचार मैं आपको और आपके पाठकोँ को अर्पित करता हूं ।
एक अच्छी रचना के लिए धन्यवाद !
बहुत प्यारी कविता और भाव हैं.. शुभकामनाएं....
कान्ता जी के बारे में मैंने बहन अंजना जी से पूछा तो उन्होंने बताया कि वे मेरी माता जी हैं। मुझे बेहद खुशी हुई कि इस ब्लाग का नाम ‘प्यारी मां‘ पर बहन अंंजना जी के रूप में एक मां ही विराजमान नहीं हैं बल्कि उनकी मां के रूप में ‘मां की भी मां‘ तशरीफ़ रखती हैं। मैं इन दोनों मांओं का बेहद मशकूर हूं और तहे दिल से इनका स्वागत करता हूं और ख़ास तौर पर मां कान्ता जी से दरख्वास्त करता हूं कि वे नियमित रूप से अपनी उपस्थिति इस ब्लाग पर बनाए रखें और अगर संभव हो तो वे अपनी ईमेल आईडी मुझे भेज दें ताकि उन्हें भी मैं अपने ब्लाग में एक लेखिका के तौर पर जोड़कर खुद को इज़्ज़त दे सकूं। आशा है कि वे मना नहीं करेंगी।
बहन रेखा श्रीवास्तव जी का भी मैं स्वागत करता हूं। वे भी एक मां हैं। एक सफल नौकरीपेशा और सफल गृहिणी हैं। वे एक सशक्त साहित्यकार भी हैं। आधुनिकता और परंपरा का एक अच्छा संतुलन उनमें देखा जा सकता है। शिक्षा उन्हें उच्छृख्ंाल आधुनिका में नहीं बदल पाई है। भारतीय संस्कार और मूल्य उन्हें आज भी याद हैं और वे उन्हें बरतती भी हैं। औरत और मां क्या होती है ? वे जानती हैं क्योंकि वे खुद एक औरत हैं, एक मां हैं। उनके विचार हमारे लिए अमूल्य हैं क्योंकि वे साबितशुदा तजर्बे की हैसियत रखते हैं। उनका इस प्यारे ब्लाग पर आना हम सबके हित में लाभकारी हो, अपने मालिक से हम ऐसी कामना करते हैं।
रोज़ कम से कमतर होती जा रही है। रिश्तों की अज़्मत और उसकी पाकीज़गी को बरक़रार रखने के लिए उनका ज़िक्र निहायत ज़रूरी है। मां का रिश्ता एक सबसे पाक रिश्ता है। शायद ही कोई लेखक ऐसा हुआ हो जिसने मां के बारे में कुछ न लिखा हो। शायद ही कोई आदमी ऐसा हुआ हो जिसने अपनी मां के लिए कुछ अच्छा न कहा हो। तब भी देश-विदेश में अक्सर मुहब्बत की जो यादगारें पाई जाती हैं वे आशिक़ों ने अपनी महबूबाओं और बीवियों के लिए तो बनाई हैं लेकिन ‘प्यारी मां के लिए‘ कहीं कोई ताजमहल नज़र नहीं आता।
ऐसा क्यों हुआ ?
इस तरह के हरेक सवाल पर आज विचार करना होगा।
‘प्यारी मां‘ के नाम से ब्लाग शुरू करने का मक़सद यही है।
इस प्यारे से ब्लाग को एक टिनी-मिनी एग्रीगेटर की शक्ल भी दी गई है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा मांओं और बहनों के ब्लाग्स को ब्लाग रीडर्स के लिए उपलब्ध कराया जा सके। जो मां-बहनें इस ब्लाग से एक लेखिका के तौर पर जुड़ने की ख्वाहिशमंद हों वे अपनी ईमेल आईडी भेजने की कृपा करें और जो अपना ब्लाग इसमें देखना चाहती हों, वे अपने ब्लाग का पता इसी ब्लाग की टिप्पणी में या फिर ईमेल से भेज दें।
मेरा ईमेल पता है- eshvani@gmail.com
Pyari Maa, Anwar bhai ki bahot hi behetreen koshish hai. Mujhe khushi hai main iska hissa ban saki :-)
अंजना जी की पोस्ट क़ाबिले तहसीन है.
मैं नेट पर कम वक़्त दे पा रहा हूँ , इसलिए देर से हाज़री के लिए माज़रत ख्वाह हूँ .