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Showing posts from January, 2011

.माँ का दर्द निराला

सिर्फ एक सन्देश जो माँ की भावनाओं से अन्जान हैं ! कहते हैं सब ये ...... की माँ ....हर दम रोती है ....... बचपन मै बच्चों को ....... भूखा देख  तड़पती है ! रात - रात भर जाग - जाग  .  फिर लोरी सुना............ खुद जगती है ! बच्चों  की बेबसी को खूब वो समझती है ! तभी तो  अच्छे - बुरे एहसासों मै  हर पल साथ वो  रहती है ! बच्चों को सारा जीवन दे..............  फिर अपना सफ़र वो तय करती है ! बुड़ापे मै जब कभी वो .......... बेबसी से गुजरती है ! तब कुच्छ बच्चे उन्हें ....... कुच्छ एसा सिला दे देते हैं ! उनके दर्द को कुच्छ और ...... बड़ा........... कर देते हैं ! उनके ही  घर से उन्हें .......... बेदखल करने का बड़ा गुनाह  वो कर देते हैं !. और फिर शयद सारी जिंदगी  खुद भी तो वो तडपते हैं !  माँ जब पहले रोती थी ! तब भूखा देख के रोती थी ! और आज भी जब वो .......... रोती है तो .......... शायद हमारी  बेबसी  पर ही रोती है ............. कितना प्यारा...

"मेरे अपने कौन ?"

मेरे अपने कौन ? पति  बेटा या बेटियाँ कौन हैं मेरे अपने ? ता-उम्र  हर रिश्ते में अपना अस्तित्व बाँटती रही ज़िन्दगी भर छली जाती रही मगर उसमे ही अपना सुख मानती रही पत्नी का फ़र्ज़  निभाती रही मगर कभी पति की प्रिया ना बन सकी मगर उसके जाने के बाद भी कभी होंसला ना हारती रही माँ के फ़र्ज़ से कभी मूँह ना मोड़ा रात -दिन एक किया जिस बेटे के लिए ज़माने से लड़ गयी वो भी एक दिन ठुकरा गया उस पर सठियाने का इल्ज़ाम लगा गया उसकी गृहस्थी की बाधक बनी तो भरे जहाँ में अकेला छोड़ दूर चला गया पति ना रहे  बेटा ना रहे तो कम से कम एक माँ का आखिरी सहारा उसकी बेटियां तो हैं इसी आस में जीने लगती है ज़हर के घूँट पीने लगती है मगर एक दिन  बेटियाँ भी दुत्कारने लगती हैं ज़मीन- जायदाद के लालच में माँ को ही कांटा समझने लगती हैं रिश्तों की  सींवन उधड़ने लगी आत्म सम्मान की बलि चढ़ने लगी अपमान के घूँट पीने लगी जिन्हें अपना समझती थी वो ही गैर लगने लगी जिनके लिए ज़िन्दगी लुटा दी आज उन्ही को बोझ लगने...

माँ

                                         ऐ मेरे मालिक तेरा हमपे ये करम हो गया ! तू ने अपनी जगह माँ का जो हमको साथ दिया !  तू भी जानता  था की अकेले तो हम न रह पाएँगे ! इसलिए चुपके से माँ बनके हाथ थाम लिया ! जिंदगी के हर पल में उसने हमारा साथ दिया ! इसलिए जब दर्द  उठा तो माँ का ही जुबाँ ने नाम लिया ! माँ ने तेरा ये  काम बहुत खूबसूरती से कर  दिया ! तेरी ही तरह हम सबको अपना गुलाम कर दिया ! दोनों के एहसानों को तो अलग ना हम कर पाएंगे ! इसलिए उससे लिपट कर तेरे और करीब हम आ जायेंगे ! 

'पुत्र ऋण' !

                           माँ तो सदा माँ ही होती है, जननी होती है और जगत्प्रसूता होती है. एक मांस के टुकड़े को कैसे वह वाणी, विचार और संस्कार देकर मानव बनाती  है इसको कोई और नहीं कर सकता है. इसी लिए अगर मानव वाकई मानव है तो वह कहता है कि माँ के  ऋण से कोई मुक्त नहीं हो सकता है. लेकिन समय और संस्कृति के परिवर्तन ने उसका भी विकल्प खोज लिया है और संतान ने भी तो उस  विकल्प को  अंगीकार कर लिया है. ये अपवाद नहीं है बल्कि किसी न किसी रूप में ऐसे इंसान आज मिल रहे हैं कि माँ के त्याग और तपस्या को पैसों से तौल कर उनका कर्ज पैसे से अदा करने के लिए तैयार हैं. एक छोटी से कहानी - मेरी अपनी नहीं लेकिन बचपन में कहीं पढ़ी थी.                          वो माँ जिसने बेटे और बेटियों को जन्म दिया और फिर क्षीण काया लिए कभी इस बेटे के...

छोटे से फ़रिश्ते

तू नज़र आता है, तो हर ग़म कमतर नज़र आता है, मेरे छोटे से फ़रिश्ते, तेरे चेहरे पे, खुदा का नूर नज़र आता है  तेरी मासूमियत से बढकर कुछ नहीं, तेरा भोलापन हर शै से बेहतर नज़र आता है तेरी हंसती आँखों में बसती है मेरी दुनिया जहां हर सू प्यार ही प्यार नज़र आता है  तुझे ज़रा कुछ हो जाए तो थम जाती है ज़िन्दगी, तेरी शरारतों में मुक्कमल मेरा संसार नज़र आता है  सोचती हूँ जो भूल गया ये दिन तू बड़े हो कर, फरमान-ऐ-मौत सा तेरा इनकार नज़र आता है देखा है उस माँ को जो अपनी औलाद से जुदा हुई  उसका कलेजा कतरा-कतरा, ज़ार-ज़ार नज़र आता है  ये दुआ है तेरे लिये, जो देखे तुझे वो कहे, खुदा का अक्स तेरे चेहरे पर नज़र आता है  एक औरत हूँ कई रिश्ते और रस्में निभाती हूँ, मगर सबसे खूबसूरत माँ का किरदार नज़र आता है 

‘बेटी चाहिए तो शाकाहारी बनें।‘ The relation between vegetables and girl child

 लंदन। मां बनने की तैयारी कर रही महिलाएं ज़रा ग़ौर फ़रमाएं। अगर आप पहली संतान के रूप में एक ख़ूबसूरत बेटी चाहती हैं, मांस-मच्छी से तौबा कर शाकाहार अपनाएं। एक नए अध्ययन के मुताबिक़ गर्भधारण से कुछ माह पहले कैल्शियम और मैगनीशियम युक्त फल-सब्ज़ियों का सेवन करने वाली 80 फ़ीसदी महिलाएं लड़कियों को जन्म देती हैं। इससे इतर प्रेगनेंसी के दौरान पोटैशियम और सोडियम भरपूर खाद्य सामग्रियां खाने पर लड़का पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि मां की तरह गर्भस्थ शिशु के लिंग पर पिता के खान-पान का कोई असर नहीं पड़ता है। मैसट्रिच यूनिवर्सिटी के स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ लगातार पांच सालों तक 172 से अधिक गर्भवती महिलाओं के खान-पान का विश्लेषण कर इस नतीजे पर पहुंचे हैं। उन्होंने पाया कि हरी सब्ज़ियां, गाजर, सेब, पपीता, चावल, दूध-दही का नियमित सेवन करने वाली ज़्यादातर महिलाओं के घर में बेटी की किलकारियां गूंजती हैं। इन खाद्य सामग्रियों से उनके रक्त में कैल्शियम और मैगनीशियम के स्तर में इज़ाफ़ा होता है। वहीं, गर्भावस्था में अपनी डाइट में केला और आलू शामिल करने वाली महिलाओं के शरीर में सोडियम और पोटैशियम की...

अपने खिलौने

मां-बाप क़फ़स में हंसते थे , गुलशन में जाके रोने लगे परिन्दे अपनी कहानी सुनाके रोने लगे बिछुड़ने वाले अचानक जो बरसों बाद मिले वो मुस्कुराने लगे , मुस्कुराके रोने लगे खुशी मिली तो खुशी में शरीक सबको किया मिले जो ग़म तो अकेले में जाके रोने लगे फिर आई ईद तो अब के बरस भी कुछ मां-बाप गले से अपने खिलौने लगाके रोने लगे - शफ़क़ बिजनौरी , निकट मदीना प्रेस                                 बिजनौर - 246701